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मध्यस्थता क्या है? | What is Arbitration in Hindi | मध्यस्थता के लाभ क्या है? | मध्यस्थता के लाभ क्या है? | मध्यस्थता की प्रक्रिया | मध्यस्थता समझौता क्या है | सामाजिक मध्यस्थता क्या है | मध्यस्थता का अर्थ | मध्यस्थता कौन करता है? | मध्यस्थ का मुख्य कार्य क्या है? | Arbitration in Hindi

मध्यस्थता क्या है? | What is Arbitration in Hindi | मध्यस्थता के लाभ क्या है? | मध्यस्थता के लाभ क्या है? | मध्यस्थता की प्रक्रिया | मध्यस्थता समझौता क्या है | सामाजिक मध्यस्थता क्या है | मध्यस्थता का अर्थ | मध्यस्थता कौन करता है? | मध्यस्थ का मुख्य कार्य क्या है? | Arbitration in Hindi


आज कल रोजाना न्यायालय में दिन ब दिन नये मामले बढते आ रहे है। इन्हे सुलझाने के लिए काफि समय व्यतित होने के कारण लोगोंको जल्द से जल्द न्याय नही मिलता। इस समश्या को सुलझाने के लिए न्यायालय ने आर्बिट्रेशन करा कर मामलों की जल्द से जल्द निपटान कराती है। आइये इस लेख के माध्यम से आज मध्यस्थता क्या है? | What is Arbitration in Hindi | मध्यस्थता के लाभ क्या है? | मध्यस्थता के लाभ क्या है? | मध्यस्थता की प्रक्रिया | मध्यस्थता समझौता क्या है | सामाजिक मध्यस्थता क्या है | मध्यस्थता का अर्थ | मध्यस्थता कौन करता है? | मध्यस्थ का मुख्य कार्य क्या है? | Arbitration in Hindi इसके बारेमें जानने की कोशिश करते है।



मध्यस्थता क्या है? | मध्यस्थता का अर्थ 

  1. आर्बिट्रेशन का तरीका पक्षकारों की सहमति से मध्यस्थ की नियुक्ति करके उनके विवादों के निपटारे के लिए निर्दिष्ट करना है जिसमें मध्यस्थ के लिए यह बाध्यकर नहीं होता कि वह सिव्हिल प्रक्रिया संहिता (CPC) एवं साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन करें। इसमें मध्यस्थ द्वारा जो विवाद के संबंध में निर्णय दिया जाता है उसे अवार्ड कहते हैं जो कि न्यायालय की डिक्रि के समान होता है।
  2. आर्बिट्रेशन का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि आजकल लगभग हर कमर्शियल कॉन्ट्रेक्ट में आर्बिट्रेशन क्लॉज होता है।
  3. धारा 9 के तहत न्यायालय से अंतरिम राहत ली जा सकती है। जबकि धारा 17 के तहत आर्बिट्रेशन से अंतरिम राहत ली जा सकती है। ध्यान दें कि वाहन से जुडे लोन के मामलों में ज्यादातर बैंक इन्हीं धाराओं के तहत आदेश लेकर वाहन उठाते हैं।
  4. धारा 7 के तहत जब पक्षकार अपने विवादों का निपटारा न्यायालय से ना करा कर अपनी सहमती से नियुक्त किए गए मध्यस्थों से कराना चाहते हैं तो धारा 7 के अनुसार उनके बीच लिखित रुप में आर्बिट्रेशन करार होना परम आवश्यक होता है जिस पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
  5. धारा 34 के अनुसार यदि कोई पक्षकार अवार्ड को चैलेंज कराना चाहता है तो अवार्ड की प्रति मिलने से 3 महीने के अंदर ही अवार्ड में आपत्तियां दाखिल करते हुए न्यायालय में इसे चैलेंज कराने के लिए आवेदन कराना होता है। जिस पर न्यायालय दोनों पक्षकारों को नोटिस देने के बाद एवं सुनवाई के पश्चात यदि आपत्तियों को संपूर्ण पाती है तो न्यायालय अवार्ड को अपास्त करने का आदेश पारित कर सकती है।


मध्यस्थता के लाभ क्या है?

  1. पक्षकारों के कई मामले तकनीकी प्रकृति के होते है जिनको समझने के लिए विशेष तकनीकी ज्ञान की आवश्यक्ता होती है। ऐसे तकनीकी मामलों का निपटारा ऐसा ज्ञान रखने वाले विशेष व्यक्तियों को मध्यस्थ के रुप में नियुक्त करके आसानी से कराया जा सकता है।
  2. आर्बिट्रेशन में न्यायालय की अपेक्षा शीघ्र केसों का निपटारा किया जाता है क्योंकी न्यायालय में वैसे ही मुकदमों का अंबार होता है जबकी दूसरी तरफ आर्बिट्रेशन के पास वही मामला सुनवाई के लिए होता है। साथ ही यह तरीका सिविल मुकदमों से काफी कम खर्चीला होता है।
  3. क्योंकि पक्षकारों की सहमति से ही आर्बिट्रेशन नियुक्त किया जाता है। इसलिए पक्षकारों की सुविधा को देखते हुए विवाद की सुनवाई का स्थान ही यह तरीका सिविल मुकदमों से काफी कम खर्चीला होता है।
  4. आर्बिट्रेशन कार्यवाई में पक्षकार अपनी सहमति से सरल प्रक्रिया अपना सकते है और मध्यस्थ पर यह बाध्यकर नहीं होता कि वह सिविल प्रक्रिया को ही अपनाएं। इसलिए आर्बिट्रेशन की कार्यवाई तकनीकी जटिल प्रक्रिया न होकर विशेष रुपसे वास्तविक न्यायपर केंद्रित रहती है।
  5. Arbitral Award सिविल डिक्री के समान होता है। जिसके आधार पर न्यायालय में निष्पादन (Execution) और कुर्की (Attachment) की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।


मध्यस्थता की प्रक्रिया

  1. आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया आर्बिट्रेशन नोटिस के माध्यम से शुरू होती है। आमतौर पर देखा गया है कि लोग आर्बिट्रेशन नोटिस की उपेक्षा यह समझकर कर देते है कि वह किसी कोर्ट का नोटिस नहीं है। बाद में उनकी गैरहाजिर मं अवार्ड पास हो जाता है। जिसके आधार पर सामने वाली पार्टी कोर्ट में एक्जिक्यूशन नोटिस को गंभीरता से लें तथा आर्बिट्रेशन प्रक्रिया में हिस्सा लेकर अपने पक्ष को जरूर रखें।
  2. जब भी आप किसी के साथ कोई कॉन्ट्रैक्ट या एग्रीमेंट करें तो जरूर देख लें के कि उसमें कोई आर्बिट्रेशन क्लॉज तो नहीं है और अगर है तो हस्ताक्षर करने से पहले उसके बारे में आर्बिट्रेशन का ज्ञान रखने वाले वकील से जरुर परामर्श करें।


इस लेख के माध्यम से आज हमने हमारे पाठकों को मध्यस्थता क्या है? | What is Arbitration in Hindi | मध्यस्थता के लाभ क्या है? | मध्यस्थता के लाभ क्या है? | मध्यस्थता की प्रक्रिया | मध्यस्थता समझौता क्या है | सामाजिक मध्यस्थता क्या है | मध्यस्थता का अर्थ | मध्यस्थता कौन करता है? | मध्यस्थ का मुख्य कार्य क्या है? | Arbitration in Hindi और उसके क्या लाभ है इसके बारेमें पुरी जानकारी देने काप्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपका कोई सवाह है तो आप हमे निचे दिये गये कमेंट बॉक्स में आप अपना सावाल पुछ सकते है। इसी तरह कानूनी जानकारी पाने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।



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