नाराजी याचिका क्या है | Protest Petition kya hai
जब कोई व्यक्ति किसी मामले को लेकर पुलीस थाने में एफआईआर दर्ज करवाता है और पुलिस द्वारा उस मामले में जांच पडताल करने के बाद यह लगता है कि, इस मामलें में कोई अपराधिक मुकदमा नहीं बन सकता है, तो उसके पश्चात पुलिस द्वारा अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दिया जाता है। अक्सर यह भी देखा जाता है कि पुलिस कुछ मामलों में ठीक से तफ्तीश नहीं करती और अदालत में कमजोर चार्जशीट दाखिल कर देती है, जिससे यह साफ-साफ पता लगता है कि मुजरिम बरि हो जाएगा। ऐसे मामलों में क्या पीडित या शिकायत कर्ता के पास कोई उपाय मौजूद होता है। इसी बात को समझने के लिए, आइए इस लेख के माध्यम से आज हम नाराजी याचिका क्या है | Protest Petition kya hai इस के बारमें कानून मे क्या क्या प्रावधान दिये गये है। इसके बारेमें जानकारी हासिल करते है।
प्रोटेस्ट पिटीशन क्या है
जब भी कोई पीडित अथवा शिकायतकर्ता कोर्ट के सामने दाखिल की गई पुलिस रिपोर्ट से संतुष्टी नहीं है तो वह व्यक्ति उस पुलिस रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट में नाराजी याचिका दाखिल कर सकता है जिसे प्रोटेस्ट पिटीशन या नाराजी याचिका कहते है। आसान भाषा में कहें तो पुलिस द्वारा जांच पडताल पूरी होने के दौरान या बाद में पीडित या शिकायतकर्ता द्वारा जांच पडताल पूरी होने के दौरान या बाद में पीडित या शिकायतकर्ता द्वारा अपनी आपत्तियां उठाने के लिए अदालत में किया जाने वाला प्रतिनिधित्व को प्रोटेस्ट पिटिशन कहा जाता है।
क्या है कानून
- हालांकि प्रोटेस्ट पिटिशन के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता 1973, भारतीय दंड संहिता 1860 या भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 या किसी अन्य अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं दिया गया है परन्तु फिर भी यह भारत में आजादी के पहले से ही आपराधिक न्याय प्रणाली का हिस्सा रही है। समय-समय पर विभिन्न उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए हगे फैसलों से भी प्रोटेस्ट पिटिशन अब स्थापित प्रैक्टिस का हिस्सा बन चुकी है।
- प्रोटेस्ट पिटीशन को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 190 के तहत कोर्ट के समक्ष कंप्लेंट माना जाता है।
कानूनी सलाह
- बहुत से आम लोगों को इस पिटीशन के बारे में ज्ञान ही नहीं है। जब भी पुलिस किसी मामले में क्लोजर रिपोर्ट फाइल करें या कमजोर चार्जशीट फाइल करें और आप उससे संतुष्ट नहीं हैं तो उस केस में संबंधित कोर्ट के सामने प्रोटेस्ट पिटिशन लगाकर अपना विरोध अवश्य दर्ज कराएं।
- अपराधिक मामलों में अक्सर देखा गया है कि लोग पूरी तरह पुलिस और प्रशासन पर ही निर्भर होकर चलते है जिसकी वजह से उन्हे न्याय की दृष्टि से कई पीडित या शिकायतकर्ता को अपने वकील से उचित कानूनी परामर्श अवश्य लेते रहना चाहिए।
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इस लेख के माध्यम से आज हमने नाराजी याचिका क्या है | Protest Petition kya hai इस के बारमें कानून मे क्या क्या प्रावधान दिये गये है। इरसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश की आहै। आशा है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदी आपको कोई सवाल पुछना है और या कोई सुझाव है तो आप अपनी सुझाव हमे निचे दिए कमेंट बॉक्स में दे सकते है। इसी तरह कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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