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क्या आपराधिक मामलों में अपील के समय नया एविडेंस लाया जा सकता है? | Can new evidence be introduced at the time of appeal in criminal cases?

क्या आपराधिक मामलों में अपील के समय नया एविडेंस लाया जा सकता है? | Can new evidence be introduced at the time of appeal in criminal cases?



समाज में आम लोगों के मन में यह धारणा होती है कि जब कोई केस अपील में चल जाता है तो वह केस पूरी तरीके से दोबारा लडा जाता है। लेकिन, ऐसा नहीं है। जवाब, बयान, सबूत, गवाही, स्टेटमेंट, क्रॉस एग्जामिनेशन इत्यादि ये सब मुख्य तौर पर केवल केस के ट्रायल के दौरान ही होते है। अपील में गवाही दोबारा नही होती। कई बार ऐसा हो जाता है कि केस में फैसला आने के बाद पार्टी के हाथ में कुछ ऐसा सबूत या गवाह लग जाता है जो केस के फैसले में अहम भूमिका निभा सकता था। आइए इस लेख के माध्यम से आज हम यह जनने की कोशिश करते है की, क्या आपराधिक मामलों में अपील के समय नया एविडेंस लाया जा सकता है? | Can new evidence be introduced at the time of appeal in criminal cases? ध्यान दें कि यह लेख केवल क्रिमिनल मामलों के संबंध मे ही लिखा गया है। यह सिवील केस के लिये नही है।

सीआरपीसी की धारा 391 के तहत ॲप्लिकेशन

  1. इस धारा में यह दिया गया है कि किसी अपील पर विचार करने में यदि अपील कोर्ट अतिरिक्त एविडेंस आवश्यक समझता है तो वह ऐसा एविडेंस या तो स्वयं ले सकता है या किसी मजिस्ट्रेट को लेने के लिए निर्देश दे सकता है। जब अपील न्यायालय हाईकोर्ट है, तब सेशन कोर्ट को अथव ज्युडिशीयल मजिस्ट्रेट द्वारा, अतिरिक्त एविडेंस लिने के लिए निर्देश दे सकते है। इस धारा के तहत यह जरूरी है कि अपील कोर्ट अतिरिक्त एविडेंस लिए जाने के कारण दर्ज करें।
  2. इस प्रावधान के किसी भी पार्टी के द्वारा, चाहे वह आरोपी हो, पुलिस हो या शिकायतकर्ता हो, अपील के समय नया एविडेंस लाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जरूरी बात यह है कि यदि अपील में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ एडिश्नल एविडेंस लिए जातें है तो उस समय आरोपी व्यक्ति को या उसके वकील को उपस्थित रहने का अधिकार होता है।

कब लगाई जा सकती है 391 सीआरपीसी की एप्लीकेशन?

  1. केस के दौरान अपने पक्ष में एविडेंस लाना या आरोपी व्यक्ति द्वारा अपने बचाव में एविडेंस लाना एक अधिकार है। अपील के दौरान एडिशनल एविडेंस लेकर आना अधिकार नहीं है। यह अपील कोर्ट पर निर्भर करता है कि परिस्थितियों को देखते हुए वह एडीशनल एविडेंस की एप्लीकेशन को मंजूर करें या नहीं।
  2. इस एप्लीकेशन की सुनवाई के दौरान अपील कोर्ट के समक्ष मुख्य तौर पर दो बातें रखी जा सकती है। जिस अतिरीक्त एविडेंस को लाने की कोशिश की जा रही है वह एविडेंस केस के ट्रायल के दौरान मौजूद नहीं था या पूरी कोशिश के बावजूद पार्टी के द्वारा वह एविडेंस ट्रायल के दौरान नहीं लाया जा सका था।

कानूनी सलाह

  1. इस प्रावधान का उपयोग ट्रायल के दौरान की गई अपनी गलतियों को सुधारने के लिए नहीं किया जा सकता। आपको अपील कोर्ट को संतुष्ट करना होता है कि जिस एडिशनल एविडेंस को लाने की कोशिश की जा रही है व एविडेंस ट्रायल के दौरान पार्टी के नियंत्रण के बाहर था जिसकी वजह से वह ट्रायल के दौरान नही लाया जा सका था। इसलिए केस के ट्रायल के दौरान किसी भी जरूरी सबूत या गवाह को लाने में कोई लापरवाही कभी न करें।
  2. हम बार-बार यह बोलते है कि अगर आरोपी व्यक्ति के  पास अपनी बचाव में कोई अच्छा सबूत है तो आरोपी व्यक्ति को ट्रायल के दौरान 315 सीआरपीसी की एप्लीकेशन लगाकर खुद गवाह के तौर पर कोर्ट के समक्ष जरूर आना चाहिए ताकि आरोपी व्यक्ति अपने बचाव के सबूत कोर्ट रिकॉर्ड पर दे सके।

इस लेख के माध्यम से आज हमने यह जानने की कोशिश की के क्या आपराधिक मामलों में अपील के समय नया एविडेंस लाया जा सकता है? | Can new evidence be introduced at the time of appeal in criminal cases? यह लेख आपको पसंद आया तो आप अपनी राय निचे कमेंट बॉक्स में जरूर दे। इसी तरह के कानूनी जानकारी पढने के लिए और सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।



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