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सामने वाली पार्टी अगर स्टे ऑर्डर का उलंघन करे तो क्या करें

सामने वाली पार्टी अगर स्टे ऑर्डर का उलंघन करे तो क्या करें



प्रॉपर्टी से जुडे मुकदमों में स्टे ऑर्डर लेना यह काफी प्रचलित प्रैक्टिस हो गई है। प्रॉपर्टी से जुडे अधिकतर मामलों में केस फाइल करने वाली पार्टी स्टे ऑर्डर की एप्लीकेशन जरूर लगाती ही है। ताकी जब तक केस में फैसला ना सुनाया जाए, तब तक सामने वाली पार्टी प्रॉपर्टी के साथ कोई भी छेडछाड कर नही सकती। आइए इस लेखके माध्यम से  आज हम सामने वाली पार्टी अगर स्टे ऑर्डर का उलंघन करे तो क्या करें इस को समझते है और प्रॉपर्टी मामलों में स्टे ऑर्डर से जुडी कुछ महत्वपूर्ण कानूनी बातों को भी समझने की शोशिश करते हैं।

क्या है स्टे ऑर्डर का कानून?

  1. साधारण शब्दों में कहें तो स्टे ऑर्डर यह किसी को कारवाही अथवा किसी कार्य को रोकने के लिए न्यायालय द्वारा पारित क्या गया एक आदेश होता है। स्टे ऑर्डर मिलने का मतलब यह होता है की प्रॉपर्टी के साथ प्रत्यक्ष रुप से अथवा अप्रत्यक्ष रुप से कोई भी छेडछाड नहीं की जाएगी। यहां तक की प्रॉपर्टी पर किसी भी तरह का लोन या प्रॉपर्टी को किराए या लीज पर भी नहीं दिया जा सकता।
  2. स्टे ऑर्डर के लिए कोर्ट में सीपीसी के ऑर्डर 39 रूल 1 एवं 2 के तहत केस के साथ ही एक एप्लीकेशन लगाई जाती है। अक्सर शुरू की कुछ तारीखों में ही मुख्य केस शुरू होने से पहले ही कोर्ट द्वारा इस एप्लीकेशन पर सुनवाई पूरी कर दी जाती है। अगर सबूतों एवं तर्कों से कोर्ट संतुष्ट हो जाता है तो प्रॉपर्टी पर स्टे ऑर्डर दे दिया जाता है।

स्टे ऑर्डर कब तक लागू होता है।

किसी भी न्यायालय द्वारा जारी किया गया स्टे ऑर्डर केवल 6 महीने तक के लिए ही वैध होता है। इसके बाद यह स्वतः ही समाप्त हो जाता है और फिर से कोर्ट में बहस करके स्टे को रिन्यू कराया जाता है।

यदि कोर्ट किसी विशेष कारण को दर्शाते हुए ऑर्डर की अवधि इससे अधिक रखता है तो उस अवधि तक के लिए स्टे ऑर्डर जारी रहता है जब तक के लिए कोर्ट ने जारी किया है। प्रॉपर्टी के मामलों में अक्सर स्टे केस की पूरी अवधि के लिए दे दिए जाते हैं।

सामने वाली पार्टी अगर स्टे ऑर्डर का उलंघन करें तो क्या करें?

  1. अगर केस के दौरान कोई भी पार्टी स्टे ऑर्डर का उल्लंघन करती है तो उस पार्टी के खिलाफ सीपीसी के ऑर्डर 39 रूल 2A के तहत याचिका दायर की जा सकती है। और कंटेम्ट ऑफ कोर्ट की कारवाही की जाएगी।
  2. कोर्ट द्वारा इस प्रावधान के तहत उल्लंघन करने वाली पार्टी की प्रॉपर्टी अटैच की जा सकती है तथा 3 महीने तक की सिविल कारावास की सजा भी सुनाई जा सकती है।
  3. अगर 1 साल के बाद भी पार्टी द्वारा उल्लंघन जारी रहता है तो कोर्ट इस प्रावधान के तहत अटैच की गई प्रॉपर्टी को बेचने से जो पैसा आता है उससे पीडित पार्टी को कंपनसेशन दिया जाता है।

सीधे तौर पर प्रॉपर्टी से छेडखानी के सबूत ना मिले तो क्या करें?

जिन लोगों के पास प्रॉप्रटी का कब्जा नहीं होता उन्हे अक्सर यह समस्या आती है कि उन्हे प्रॉपर्टी से छेडखानी का अंदेशा तो पूरा होता है पर सीधे तौर पर कोई सबूत नहीं मिल पाते। यह इसलिए होता है कि जिसके पास प्रॉपर्टी का कब्जा होता है वह दूसरी पार्टी को उस प्रॉपर्टी में घुसने नहीं देता तथा चुपके-चुपके अंदर ही प्रॉपर्टी से छेडखानी चलती रहती है।

ऐसी परिस्थिति में ध्यान रखें कि आप सीपीसी के ऑर्डर 26 रूल 9 के तहत एक कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करवा सकते हैं। कोर्ट कमिश्नर अक्सर एक एडवोकेट ही होता है जिसे कोर्ट द्वारा कोर्ट कमिश्नर के रूप में प्रॉपर्टी की जांच पडताल के लिए भेजा जाता है जो बाद में कोर्ट में अपनी रिपोर्ट फाइल करता है। इस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट द्वारा यह निर्णय लिया जा सकता है कि स्टे ऑर्डर का उल्लंघन हुआ है या नहीं। इसके लिए आपको कोर्ट कमिश्नर की कुछ फीस जरूर देनी पडेगी पर बाद में यह रिपोर्ट उपयोगी साबित होती है।


कानूनी सलाह

कुछ लोग स्टे ऑर्डर के उल्लंघन होने पर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट फाइल कर देते है जो कि एक सामान्य प्रावधान है। ऑर्डर 39 रूल 1 एवम 2 के स्टे का उलंघन होने पर ऑर्डर 39 रूल 2A में सजा का विशिष्ट प्रावधान बनाया गया है। बाद में सामने वाली पार्टी यह डिफेंस ले लेती है कि स्टे के उलंघन के मामलों में कंटेम्पट ऑफ कोर्ट नहीं चल सकता। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी साफ किया जा चुका है कि जब कानून में कोई विशिष्ट प्रावधान उपलब्ध है तो सामान्य प्रावधान उपयोग नहीं किया जा सकता। इसलिए ऑर्डर 39 रूल 1 एवम 2 के मामलों में अगर स्टे ऑर्डर का कोई उलंघन होता है तो हमेशा ऑर्डर 39 रूल 2A की एप्लीकेशन लगाए।


इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को सामने वाली पार्टी अगर स्टे ऑर्डर का उलंघन करे तो क्या करें इसके साथ साथ उसके कानूनी क्या प्रावधान है इसके बारेमें संपूर्ण जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इससे जूडे आपके कोई सवाल हो तो आप निचे कमेंट बॉक्स में पुछ सकते है। इसी तरह कानूनी जानकारी पाने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।



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