ट्रेन के लेट होने पर रेलवे जिम्मेदार, यात्रियों को देना होगा मुआवजाः सुप्रीम कोर्ट
हमारे भारत देश में रेल ने न केवल देश की परिवहन सम्बन्धीत आवश्यक्ताओं को पूरा करती है, बलक्ति देश को एक सूत्र में बाँधने एव राष्ट्र के एकीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति में भारतीय रेल का प्रमुख योगदान रहा है। इसके साथ ही हामारे देश में ट्रेनों के लेट चलने की बात भी काफी वर्षों सो एक आम बात जैसे होते जा रही है जिसकी वजह से कई बार यात्रियों को काफी संकटोका सामना करते हुवे काफी नुकसान उठाना पडता है।
हाल ही में इसतरह ट्रेनों के लेट होने पर माननिय सुप्रीम कोर्ट ने बहोत ही सख्त रूख दिखाते हुए एक अहम बडा फैसला सुनाया है। जिसमें माननिय सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेन के लेट होने पर रेलवे को जिम्मेदार ठहराते हुवे यात्रियों को मुआवजा देनाके बारेमें कहा है। आईए जाने इस फैसले के बारे में।
क्या था मामला?
दरअसल एक यात्री जिनका नाम संजय शुक्ला होता है उन्हो ने उपभोक्ता फोरम में अजमेर-जम्मू एक्सप्रेस ट्रेन के चार घंटे की देरी से पहुंचने की शिकायत की थी। इस मामलें में शुक्ला का कहना यह था कि इसके चलते उनकी जम्मू से श्रीनगर के लिए जाने के लिए जो बुक की गई फ्लाइट थी वह छूट गई और उन्हे वक्त पर पहुंचने के लिए टैक्सी से यात्रा करने के लिए मजबूर होना पडा। इसके चलते उन्हे शारीरिक कष्ट के साथ ही भारी वित्तीय नुकसान भी उठाना पडा।
अलवर जिले के कंज्यूमर फोरम ने उत्तर पश्चिम रेल्वे को शुक्ला को 30 हजार रुपये का मुआवजा देने का ऑर्डर दिया।
इस निर्णय को पहले राज्य उपभोक्ता आयोग और उसके बाद राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने भी बरकरार रखा था। रेलवे ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से गुहार लागीई थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
(उत्तर पश्चिम रेलवे और अन्य बनाम संजय शुक्ला)
- रेलवे ने अपनी दलील में यह कहा कि रेलवे कॉन्फेंस एसोसिएशन कोचिंग टैरिफ नं 26 पार्ट-1 (Volume-1) के रुल 114 और 115 के मुताबिक ट्रेनों में देरी होने पर रेल्वे की मुआवजा देने की कोई जिम्मेदारी नहीं हैं। लेकिन कोर्ट ने उनकी इस दलील को स्वीकार नहीं किया।
- जस्टिस एम. आर. शाह और अनिरूध्द बोस की बेंच ने कहा कि रेल्वे ट्रेनो में देरी के लिए अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। जब तक देरी की व्याख्या करने वाले सबूत नहीं पेश किए जाते हैं और यह साबित नहीं हो जाता है कि देरी उनके नियंत्रण से बाहर थी और या यहां तक कि देरी के लिए कुछ औचित्य था, रेलवे देरी और ट्रेन के देरी से पहुंचने के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। कोर्ट ने कहा कि यात्रियों का समय बहुमुल्य है और ट्रेनों में देरी के लिए किसी न किसी को जवाबदेह बनाना होगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि इस केस में रेलवे ने कोई भी सबूत पेश नहीं किए ये बताने के लिए कि देरी ऐसे कारणों की वजह से हुई जो रेलवे के नियंत्रण से बाहर थे। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने भी डिस्ट्रक्ट स्टेट और नेशनल फोरम्स के मुआवजा देने वाले फैसले को बरकरार रखा।
इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को माननिय सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेन के लेट होने पर रेलवे को जिम्मेदार ठहराते हुवे यात्रियों को मुआवजा देनाके बारेमें जिस न्यायनिर्णय में कहा है। उसके बारें में हमने जानने की कोशिश की है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी लेख पढने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें। यदी आपकी कोई राय है और आप कुछ सवाल पुछना चाहते है तो आप निचे कमेंट बॉक्स में आप का सवाल और राय लिख सकते है।
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