सीआरपीसी 41ए का नोटिस क्या है? | What is Section 41A of Cr.P.C.
अक्सर कई बार हम लोग अखबार में देखते हैं और लोगों से सुनते रहते है कि पुलिस द्वारा किसी मामले के इन्वेहश्टीगेशन के लिए में थाने में पेश होने की नोटिस जारि किए जाते हैं। ऐसे नोटिस मिलने के बाद कुछ लोग उचित कानूनी जानकारी के अभाव होने के कारण काफी घबरा जाते हैं। दहेज और चीटिंग के मामलों में ये नोटिस काफी आम है। आईए इस लेख के माध्यम से आज सीआरपीसी 41ए का नोटिस क्या है? | What is Section 41A of Cr.P.C. इससे जुडी कानूनी बातें क्या है यह जानने की कोशिश करते है।
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घारा 41ए का नोटिस क्या है।
जब भी पुलिस को लगता है कि किसी व्यक्ति ने कोई संज्ञेय अपराध किया हैं अथवा ऐसे अपराध के संम्बंध में कोई सूचना प्राप्त हुई है, या किसी अन्य व्यक्ति ने पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है और पुलिस को लगता हैं की आरोपी का भागने की कोई आशंका नहीं हैं तो ऐसे व्यक्ति को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत संम्बधित थाने में पूछताछ के लिए पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने की सूचना के लिए नोटिस जारी क्या जाता हैं।
41ए के नोटिस का महत्व क्या है?
- 2010 में सीआरपीसी की धारा 41 में संशोधन किए जाने के बाद एक नई धारा 41 ए जोडी गई थी। इसमें यह प्रावधान दिया गया है कि धारा 41(ए) के तहत 7 साल तक की सजा वाले अपराध के मामले में गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है, चाहे वह जमानती हो या गैर जमानती, उसमे आरोपी को गिरफ्तारी से पहले नोटिस दिया जाएगा। ऐसे मामलों में पहले पुलिस आरोपी को नोटिस देकर बुलाएगी और नोटिस की शर्तों का पालन किए जाने की स्थिति में आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
- इसका आशय यह निकलकर आता है कि आरोपी को बिना सुने और आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत एकत्रित किए बिना उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। इस संशोधन का उद्देश फर्जी एफआईआर पर लगाम लगाना है जिससे सिर्फ संदेह मात्र के आधार पर अधाधुंध हो रही गिरफ्तारिओं को रोका जा सके।
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क्या 41ए के नोटिस के बाद कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन लगाई जा सकती है?
- हाल ही में हमने पैसों के लेन-देन से जुडे एक बडे मामले में आरोपी पक्ष की तरफ से कोर्ट में अग्रिम जमानात की याचिका लगाई। कोर्ट में इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर द्वारा यह दलील दी गई कि अभी मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई है और मात्र 41ए के नोटिस से अग्रिम जमानत का ग्राउंड नहीं बनता।
हमारी तरफ से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए दलीलें दी गई कि धारा 41ए Cr.P.C. के तहत उपस्थिति का नोटिस जारी करने के बाद भी गिरफ्तारी की आशंका हमेशा बनी रहती है और ऐसी परिस्थिति में धारा 438 सीआरपीसी के तहत अग्रिम जमानत की याचिका दायर की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह भी साफ किया जा चुका है कि एफआईआर दर्ज होने से पहले भी अग्रिम जमानत की याचिका लगाई जा सकती है। अंत में कोर्ट द्वारा याचिका कर्ता को रिलीफ दिया गया। - कई बार ऐसे मामलो में कोर्ट द्वारा एडवांस प्री-अरेस्ट नोटिस की राहत भी दी जाती है। इसका मतलब यह होता है की पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार करने से पहले कुछ दिन का एडवांस नोटिस देना होता है। इन दिनों में आरोपी द्वारा दोबारा से कोर्ट के समक्ष एंटीसिपेटरी बेल लगाई जा सकती है।
कानूनी सलाह
- 41ए का नोटिस मिलने के बाद व्यर्थ में न घबराएं। अपने वकील से उचित मार्गदर्शन लें। नोटिस मिलने के बाद नोटिस में दी गई तारीख और समय पर थाने में इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर के समक्ष जरूर पेश हों। धारा 41 में साफ लिखा है किस अगर इस धारा के तहत दिए गए नोटिस का पालन नहीं किया जाता है तो पुलिस द्वारा आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है।
- कई बार शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस अधिकारियों पर आरोपी को गिरफ्तार करने का कई तरीके से काफी दबाव बनाया जाता है। ऐसी परिस्थिति में अगर आपको कभी गिरफ्तारी का शक हो तो कोर्ट में अग्रिम की याचिका अवश्य लगाएं। चाहे ऐसे मामलों में कोर्ट से अग्रिम जमानत ना मिले पर फिर भी ऐसी याचिका लगाने से पुलिस पर उचित दबाव बना रहता है।
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इस लेख के माध्यम से आज हमने हमारे पाठकों को सीआरपीसी 41ए का नोटिस क्या है? | What is Section 41A of Cr.P.C. के बारेमें संपुर्ण जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपकी कोई राय या सवाल है तो आप हमें निचे कमेंट बॉक्समे आवश्य पुछ सकते है। इसी तरह कानूनी जानकारी के लिए आर हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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