Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

लगातार अनावश्यक मुकदमेबाजी, पति को नौकरी से हटाने की शिकायतें और क्रूरता यह है तलाक के लिए आधारः सुप्रीम कोर्ट

लगातार अनावश्यक मुकदमेबाजी, पति को नौकरी से हटाने की शिकायतें और क्रूरता यह है तलाक के लिए आधारः सुप्रीम कोर्ट




जब भी पति-पत्नी के बिच कोई विवाद होता है तो अक्सर यह देखा जाता है कि  पत्नी की तरफ से अपने पती और उसके परिवार वालोंपर एक साथ कई तरह के मुकदमें व शिकायतें दर्ज करवा दी जाती है। कई बार ऐसी मुकदमेबाजी करने के पिछे केवल मानसिक और आर्थिक उत्पीडन करने के इरादे से किए जाते है। कइ बार ऐसे देखा गया है की कुछ वकील भी ऐसे मामलों में पत्नियों को ज्यादा से ज्यादा मुकदमे दर्ज कराने की सलाह देते है, और उन्हे मदत भी करते है, ताकि पति पर लगातार दबाव बनाया जा सके और उसे आखिकर कार वह समझौते के लिए मजबूर हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस अहम मुद्दे पर एक अहम फैसला सुनाया है। आइए जानें वह फैसले क्या है और माननीय सुप्रिम कोर्ट के न्यायनिर्णय का हवाले से यह देखते है की यदि पत्नी पती पर लगातार अनावश्यक मुकदमेबाजी करती है, पति को नौकरी से हटाने के लिए शिकायतें करती है और क्रूरता करती है तो यह तलाक के लिए किस तरह आधार हो सकता है। आइये समझे इस अहम फैसले को।

क्या था मामला

इस मामले में पत्नी शादी होते ही उसी रात मैरिज हॉल छोडकर भाग गई थी। पत्नी का कहना था कि उसकी शादी उसकी मर्जी के बिना हुई थी। जब उसे वापस लाने के सारे प्रयास विफल हो गए तो पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 (1) (आई ए) के तहत क्रूरता के आधार पर तालाक की मांग करते हुए नोटिस जारी किया। इसके बाद पत्नी ने लगातार मुकदमों और शिकायतों की झडी लगा दी।
  1. पत्नी ने कोर्ट में कई  बेबुनियाद केस फाइल किए।
  2. पति एक कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम कर रहा था। पत्नी ने विद्यार्थियों और सह-कर्मियों के सामने पति को अपमानित किया व धमकाया। यहां तक कि पत्नी ने उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही भी शुरू करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
  3. पति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए कॉलेज के अधिकारियों को पत्र लिखे।
  4. आरटीआई अधिनियम कार्यवाही का दुरूपयोग करते हुए अपने पति के पुनर्विवाह के बारे में जानकारी मांगी।
  5. उसके खिलाफ 498 ए आईपीसी के तहत शिकायत दर्ज कराई। यहां तक की पति की दूसरी शादी में मौजूद कुछ लोगों को भी इस केस में लपेटने की कोशिश की
  6. पति के एंप्लॉयर को अपने पति के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने की धमकी दी।


सुप्रीम कोर्ट का फैसला

ट्रायल कोर्ट नें पति की तलाक याचिका मंजूर कर दी थी। फिर यह केस होते-होते सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। तलाक के इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की।
  1. कोर्ट ने कहा कि इस केस में पत्नी ने पति की नौकरी छीनने की पुरी कोशिश की। कार्यस्थल पर पति का अपमान भी किया। इस तरह का दुर्व्यवहार मानसिक क्रूरता का उदाहरण है और यह तलाक का आधार है।
  2. सर्वोच्च न्यायालय ने इस केस में दोहराया कि लगातार आरोप लगाना और मुकदमेबाजी करना मानसिक क्रूरता का उदाहरण है और यह तलाक का आधार है।


कानूनी सलाह

  1. यह फैसला केवल पत्नी के आचरण के संदर्भ में ही नहीं है। अगर कोई पति इस तरह का दुर्व्यवहार करता है तो पत्नी भी मानसिक क्रूरता के आधार पर पति से तलाक मांग सकती है।
  2. अनावश्यक और झूठे मुकदमें व शिकायतें कभी भी दर्ज न कराएं। जहां तक हो सके बिल्कुल सटीक और सच्चे तथ्यों पर अपना केस लडना चाहिए।
  3. वह दौर जा चुका जब यह माना जाता था की जीतने के लिए शिकायतों और केसों की झडी लगा दों। उल्टा इस तरह के व्यवहार को अब न्यायालयों द्वारा नकारात्मक नजरिए से देखा जाता है।
  4. आज का दौर पढी-लिखी वकालत का दौर है। अपने केस की हर ड्राफ्टिंग अच्छे वकील से कराएं और सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों के फैसलों के मार्गदर्शन में अपने मुकदमें लडे।


इस लेख के माध्यम से हमने माननीय सुप्रिम कोर्ट के न्यायनिर्णय का हवाले से देखा के यदि पत्नी पती पर लगातार अनावश्यक मुकदमेबाजी करती है, पति को नौकरी से हटाने के लिए शिकायतें करती है और क्रूरता करती है तो यह तलाक के लिए आधार हो सकते है। एसे सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यायनर्णय में कहा था। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपको यह लेखपसंद  आया है तो आप अपनी राय निचे कमेंट बॉक्स में जरूर दें और ऐसे हि कानूनी जानारी के लिए हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।





यह भी पढे


थोडा मनोरंजन के लिए


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ