रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 | Real Estate (Regulation and Development) Act, 2016
यदी किसी व्यक्ति ने किसी बिल्डर से कोई प्रॉपर्टी खरिदी और बिल्डर ने प्रॉपर्टी मे कोई खास काम नही किया हो और बार बार पुछे जाने के बाद भी कोई रिस्पोन्स नही मिल रहा हो तो, वह व्यक्ति रेरा (RERA) के तहत मकान खरीदार विल्डर्स के खिलाफ आसानी से अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है।
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प्रोजेक्ट अथवा प्रॉपर्टी की डिलीवरी में देरी के अलावा बायर्स को फ्लैट से जुडी कई अनेक समस्याओं का सामना करना पडता है। जैसे, प्रॉजेक्ट की निर्माण के प्लान में तब्दीली अथवा अतिरिक्त फिस की वसूली, पार्किंग स्पेस कम रखा हो, स्टोरेज स्पेस या एलीवेटर जैसी सुविधाएं न मिली हो। अगर आप भी बायर है और आप भी ऐसी किसी समस्या का सामना कर रहे है। तो आप रेरा के तहत अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है।
तो आइए इस लेख के माध्यम से आज हम हमारे पाठकों को रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 | Real Estate (Regulation and Development) Act, 2016 के बारेमें पुरी जानकारी और मालूमात हसिल करते है।
रेरा तहद शिकायत कैसे दर्ज कराएं?
इस अधिनियम के मुताबिक, किसी डेवलपर, बिल्डर या रियल एस्टेट एजेंट के खिलाफ रेरा के तहत शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इसके लिए एक खास फॉर्म्स का सेट भरकर जमा करना पडता है। होम बायर्स अपनी शिकायत को ऑनलाइन दर्ज करा सकते है। हर राज्य की रेरा की आधिकारिक वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कराने का सेक्शन मौजूद होता है और बायर को उसमें दिए गए फॉर्म में सभी जानकारी देनी होती है।
रेरा के तहत शिकायत कब तक कर सकते है?
रेरा के तहत शिकायत दर्ज करने के लिए ऐसी कोई निश्चित अवधि नहीं बताई गइ है जिसके अंतर्गत बायर को शिकायत दर्ज करा लेनी चाहिए, हालांकि बायर जितनी जल्दी चाहे उतनी जल्दी शिकायत दर्ज कराएं, उतना अच्छा होता है।
बायर्स को और गृह खरीदारों को राहत
रेरा की शिकायत दर्ज होने पर आम तौर पर होम बायर्स को दो तरह की राहत दी जाती है।
- नुकसान की भरपाई के लिए ब्याज सहित मुआवजा, और
- घर खरीदार के द्वारा किए गए पूरे निवेश की ब्याज सहित वापसी ध्यान दें कि इस एक्ट के तहत प्रमोटर को कानूनी प्रावधानों का उंल्लंघन करने के लिए जुर्माना के साथ-साथ कारावास की भी सजा दी जा सकती है।
कम खर्चे में जल्द निपटारा
- बायर किसी भी कंज्यूमर फोरम में भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, लेकिन इनमें समस्या का निपटारा होने में काफी समय लग सकता है। इसलिए समस्याओं के तेज और आसान निपटारे के लिए रेरा का गठन किया गया है।
- कंज्यूमर फोरम से अलग, रेरा सिर्फ रियल एस्टेट के मामलों को देखता है। कंज्यूमर फोरम के मुकाबले रेरा में केस लडना कम खर्चीला होता है।
- इस एक्ट में दिया गया है कि शिकायत दर्ज होने के 60 दिनों के अंदर उसका समाधान किया जाएगा। हालांकि अगर रेरा अथॉरिटी इस अवधि में कोई समाधान नहीं कर पाती है, तो उसे बायर को एक उचित कारण बताना होता है।
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कानूनी सलाह
- घर खरिदारों को रियल एस्टेट से जुडे मामलें रेरा के तहत ही लडने चाहिए।
- राज्य रेरा के पोर्टल पर पंजीकृत परियोजनाओं की जानकारी उपलब्ध होती है। एक होमबायर के रुप में आपको यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आप जिस परियोजना में घर खरीद रहे है वह विधिवत प्राधिकरण के पास पंजीकृत है या नही।
- इसके अलावा राज्य रेरा के पोर्टल पर पंजीकृत रियल एस्टेट एजेंटो की जानकारी भी उपलब्ध होती है। कभी भी उस एजेट के माध्यम से संपत्ति ना खरीदें जो प्राधिकरण में पंजीकृत नहीं है।
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इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 | Real Estate (Regulation and Development) Act, 2016 के बारेमे पुरी जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है के आपको यह लेख पसंद आया होगा। ऐसे ही कानूनी जानकारी पाने के लिए और पढने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो और आपका कोई सवाल हो तो आप निचे दिये गये कॉमेंट बॉक्स में आपका सवाल अवश्य पुच्छे।
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