Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

लॉकर की सुरक्षा और संचालन सुविधा सुनिश्चित करना बैंकों का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश | लॉकर संचालित करने के लिए अधिकृत कौन है? | बैंक लॉकर कैसे संचालित होते हैं? | क्या बैंक लॉकर किसी दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर किया जा सकता है?

लॉकर की सुरक्षा और संचालन सुविधा सुनिश्चित करना बैंकों का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश | लॉकर संचालित करने के लिए अधिकृत कौन है? | बैंक लॉकर कैसे संचालित होते हैं? | क्या बैंक लॉकर किसी दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर किया जा सकता है?




आज कल जमाना डिजीटल दुनिया के और बढता जा रहा है। साथ ही हर व्यावहार अभी डिजीटल हो गया है। अभी बहोत से लोग कैशलैस इकोनॉमी के दौर में अपनी नकदी, गहने आदि घर पर रखने से कतराते हैं। जिसकी वजह से उन लोगों के लिए अभी बैंक लॉकर एक जरूरी सर्विस बन चुका है। लॉकर प्रबंधन को लेकर वर्तमान में पर्याप्त नियम नहीं है। हर बैंक अपनी प्रक्रियाओं का पालन कर रहा है और नियमों में कोई एकरुपता नहीं हैं। इस वजह से उपभोक्ताओं को अनेकों समस्याओं का सामना करना पडता हैं। आइये इस लेख के माध्म से आज हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बारेमें जो के लॉकर की सुरक्षा और संचालन सुविधा सुनिश्चित करना बैंकों का कर्तव्य है। ऐसे कहा है। आइये जाने वह अहम फैसला क्या है।


माननीय सुप्रीम कोर्ट नें अमिताभ दासगुप्ता बनाम यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में 19 फरवरी 2021 को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि लॉकर की सुरक्षा व संचालन में जरूरी सावधानी बरतनी बैंको का दायित्व होता है तथा बैंक अपनी इस जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड सकते। 

क्या था मामला

इस केस में शिकायतकर्ता अमिताभ दासगुप्ता ने बैंक पर आरोप लगाया था कि लॉकर का किराया देने के बावजूद बैंक ने उसके लॉकर को बताएं बगैर तोड दिया था। इसके अलावा बैंक ने उसे केवल दो ही आभूषण वापस किए थे जबकि लॉकर में सात आभूषण रखे थे।

कंज्यूमर न्यायालयों ने क्या राहत दी थी

जिला फोरम ने बैंक को लॉकर की पूरी सामग्री वापस करने या गहनों की लागत के लिए 50 हजार रुपए शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में भुगतान करने का निर्देश दिया था।
अपील में, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने जिला आयोग के निष्कर्षो को स्वीकार किया था परंतु मुआवजे को 50 हजार रूपये से कम करके 30 हजार रूपये कर दिया था। एनसीडीआरसी ने राज्य आयोग के इस आदेश को बरकरार रखा था।


सुप्रीम कोर्ट ने क्या राहत दी।

सुप्रीम कोर्ट ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत सेवा में कमी का जिम्मेदार ठहराते हुए याचिकाकर्ता को 5 लाख रूपये हर्जाना और 1 लाख रूपये मुकदमा खर्चा अदा करने का आदेश दिया।


सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया है कि वह बैंक के लिए छह महीने के भीतर लॉकर प्रबंधन के रेगुलेशन जारी करने का आदेश दिया और कोर्ट ने यह कहा कि बैंक को इस बारे में एक तरफा नियम तय करने की छूट नहीं होनी चाहिए।

इसके साथ ही कोर्ट ने बैंक लॉकर प्रबंधन के बारे में बैंक के लिए दिशा-निर्देश जारी किए है। आरबीआइ के नियम जारी होने तक बैंक को सुप्रीम कोर्ट के इन दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।

कुछ महत्वपूर्ण दिशा निर्देश

  1. बैकों द्वारा लॉकर और लॉकर की चाबी का रजिस्टर मेंटेन किया जाए और एलॉटमेंट बदलावो को रूटीन से रजिस्टर में अपडेट किया जाए।
  2. बैंक लॉकर के आवंटन में किसी भी बदलाव से पहले मूल धारक को सूचित किया जाए तथा अपना सामान वापस लेने का अवसर दिया जाए।
  3. बैंक का संरक्षक अतिरिक्त रूप से लॉकरों तक पहुंच का रिकॉर्ड रखेगा, जिसमें उन सभी पक्षों का विवरण होगा, जिन्होने लॉकर्स को खोला और बंद किया, और तारीख और समय का भी विवरण होगा।
  4. जिन लॉकर्स को इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के माध्यम से संचालित किया जा रहा है, उनमें बैंक यह सुनिश्चित करे कि वे हैंकिंग या किसी सुरक्षा के उल्लंधन से सुरक्षित है।
  5. किसी भी ग्राहक का व्यक्तिगत डेटा, उनके बायोमेट्रिक डेटा सहित, उसकी सहमति के बिना तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं किया जा सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत संबंधित नियम इस संबंध में लागू होंगे।
  6. बैंको के पास केवल संबंधित कानूनों और भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार ही लॉकर को खोलने की शक्ती है। निर्धारित नियमों के अलावा अन्य तरीके से लॉकर को खोलना एक गैरकानूनी कार्य है जो कि बैंक की ओर से सेवा में कमी माना जाएगा।
  7. ल़ॉकर को तोडने से पहले लॉकर धारक को उचित समय पर लिखित रूप में नोटिस दिया जाएगा। इसके अलावा, केवल अधिकृत अधिकारियों और स्वतंत्र  गवाहों की उपस्थिति में ही लोकर को तोडा जाएगा। बैंक को लॉकर खोलने के बाद लॉकर के अंदर पाए जाने वाले किसी भी सामान की एक विस्तृत सूची तैयार करनी होगी जिस पर धारक के हस्ताक्षर लेने होंगे।
  8. लॉकर हायरिंग एग्रीमेंट की एक कॉपी, जिसमें संबंधित नियम और शर्ते है, लॉकर आवंटन के समय ग्राहक को दी जाएगी, ताकी वह अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों से परिचित हों सके।

इस लेख के माध्यम से आज हमने हमारे पाठकों को माननीय सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसले में लॉकर की सुरक्षा और संचालन सुविधा सुनिश्चित करना बैंकों का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश | लॉकर संचालित करने के लिए अधिकृत कौन है? | बैंक लॉकर कैसे संचालित होते हैं? | क्या बैंक लॉकर किसी दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर किया जा सकता है? एसे कहते हुवे माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बँको के लिए नये दिशानिर्देश जारी किए। इसके बारेमें हमने सखोल चर्चा की है। आशा है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमे आपके सवाल निचे कमेंट बॉक्स में  पुछ सकते है। इसीतरह कानूनी जानकारी के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।





यह भी पढे


थोडा मनोरंजन के लिए


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ