न्यायालय की अवमानना क्या है | What is Contempt of Court
हम अक्सर अखबारों में और न्यूज चैनल पर अथवा कहीं ना कहीं कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट, यानी न्यायालय की अवमानना की खबरों के बारे में सुनते ही रहते हैं। जैसे हाल ही में मांननिय सुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन याचिका पर सुनवाई के दौरान दोषीयों के खिलाफ कंटेप्ट नोटिस जारी किया है। इन लोगों पर यह आरोप है कि इन्होने मांननिय सुप्रिम कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। अभी पिछले दिनों में माननिय सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण को क्रिमिनल कंटेप्ट ऑफ कोर्ट के तहत दोषी पाया गया था। आइए इस लेख के माध्यम से हम लोग न्यायालय की अवमानना क्या है | What is Contempt of Court और इसके लिए कानून में क्या प्रावधान दिए गए है। इसके बारेमें चर्चा करते है।
कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का कॉसेप्ट कहां से आया है।
- भारत देश में यह कॉसेप्ट आजादी के पहले से चला आ रहा है। सुरूआती तौर में हाईकोर्ट के अलावा, कुछ राजतंत्र वाले राज्यों में भी यह लागू किया गया था।
- जब हमारे भारत का संविधान बनाया जा रहा था, तब उसमें कोर्ट के अवमानना के कायदे का जिक्र हुआ। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 129 सुप्रीम कोर्ट को स्वयं की अवमानना के लिए किसी को सजा देने की ताकत देता है और उसको दंडित कर सकता है, जबकि अन अनुच्छेद 215 में हाई कोर्ट के पास कंटेप्ट ऑफ कोर्ट के लिए सजा देने का अधिकार बतलाया गया है।
- इसके बाद 1971 में बने कंटेप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट से इस विचार को कानूनी रुप मिला।
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न्यायालय की अवमानना क्या है | What is Contempt of Court
- न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 के अनुसार, न्यायालय की अवमानना का अर्थ किसी भी न्यायालय की गरिमा तथा उसके अधिकारों के प्रति अनादर प्रदर्शित करना है। इस अधिनियम में अवमानना को सिविल और आपराधिक अवमानना में बाँटा गया है।
- सिविल अवमाननाः न्यायालय के किसी निर्णय, डिक्री, आदेश, रिट अथवा अन्य किसी प्रक्रिया की जान बूझकर की गई अवज्ञा या उल्लंघन करना यह न्यायालय की सिविल अवमानना कहलाता है।
- आपराधिक अवमाननाः न्यायालय की आपराधिक अवमानना का अर्थ न्यायालय से जुडी किसी ऐसी बात के प्रकाशन से है, जो किखित, मौखिक, चिन्हित चित्रित या किसी अन्य तरीके से न्यायालय की अवमानना करती है।
क्या नहीं होता कण्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट
- न्यायिक कार्यवाहियों को लेकर सही और सटीक रिपोर्टिंग करना यह न्यायालय के अवमानना के दायरे में नहीं आता।
- किसी केस की सुनवाई हो जाने के बाद अथवा उसे खारिज किये जाने के बाद किसी न्यायिक आदेश पर गुणवत्ता के आधार पर किया गाया सटीक विश्लेशण भी कण्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट के दायरे में नहीं आता।
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न्यायालय की अवमानना के लिए दंड का प्रावधान क्या है
- स्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय को अदालत की अवमानना के लिए दंडित करने की शक्ति प्राप्त है। यह दंड छह महीने का साधारण कारावास या 2000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकता है।
- वर्ष 1991 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया कि उसके पास न केवल खुद की बल्कि पूरे देश में जितने भी उच्च न्यायालयों, अधीनस्थ न्यायालयों तथा न्यायाधिकरणों की अवमानना के मामले में भी दंडित करने की शक्ति है।
- उच्च न्यायालयों को न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 10 के अंतर्गत अधीनस्थ न्यायालयों की अवमानना के लिये दंडित करने का विशेष अधिकार प्रदान किया गया है।
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कानूनी सलाह
- संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) भारत के प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति एवं भाषण की स्वतंत्रता प्रदान करता है परंतु अनुच्छेद 19(2) न्यायालय की कार्यप्रणाली के खिलाफ अपमानजनक बातें करने पर अंकुश भी लगाता है। लोगों को समझना होगा कि विचार अभिव्यक्ति की जो आजादी मिली हुई है उसमें वाजिब प्रतिबंध है और इसके तहत न्यायालय के अवमानना की कार्यवाही हो सकती है।
- हर जिम्मेदार नागरिक को यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी अदालती फैसले की अवहेलना ना हो तथा हर अदालती आदेश, जजमेंट या डिक्री का तय समय पर पालन हो।
- न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखना तथा उसका सम्मान सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसीलिए हर नागरिक को इसके बारे में जागरूक रहना चाहिए।
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आज हमने इस लेख के माध्यम से न्यायालय की अवमानना क्या है | What is Contempt of Court यह जानने की कोशिश की है। आशा है के हमारे पाठकों को यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह के कानूनी जानकारी पाने के लिए और सिखने के लिए, आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।
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