नोटरी और ओथ कमिश्नर में क्या अंतर है | Difference between Notary and Oath Commissioner
हमे वर्तमान समय में अक्सर यह देखा जाता है कि जिन दस्तावेजों को किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी या प्रमाणित नहीं किए जाते है तो उन दस्तावेजों का कोई कानूनी मुल्य नहीं होता। फिर चाहे वह एफिडेव्हिट, लीज डीड, एग्रीमेंट, अथवा भू-संपत्ति इत्यादि जैसे कोईभी दस्तावेज ही क्यों न हो। इन दस्तावेजों की कानूनी वैध्यता के निर्धारण के लिए दो कार्यालय होते है, एक नोटरी का कार्यालय और ओथ कमिश्नर का कार्यालय, जो के आमतौर पर हम सभी को किसी भी कोर्ट में देखे जा सकते है। आईए इस लेख के माध्यम से हम यह चर्चा करते है के नोटरी और ओथ कमिश्नर में क्या अंतर है | Difference between Notary and Oath Commissioner जिसके बारे में सभी को जानकारी होना चाहिए।
नोटरी और ओथ कमिश्नर के बारे में उलझन क्या है?
हम लोगों को अक्सर यह देखा गया है कि काम और भूमिकाओं के समान होने के कारण यह दो पद आमतौर पर, न केवल आम लोगो के मन में उलझने पैदा करते हैं, बल्कि कुछ पेशेवर लोग जैसे वकिलों को भी उलझा देते है। इस बात को समझना जरूरी है के नोटरी एवं ओथ कमिशनर के बीच के क्या अंतर है जिससे आम लोगों को इनके कार्य के भुमिका को लेकर कोई उलझन ना हो।
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क्या है कानून
- जहां एक और नोटरी के कार्यको, योग्यता एवं चयन, नोटरी एक्ट 1952 में उल्लेख किए गए हैं, वहीं दूसरी और ओथ कमिश्नर से संबंधित सभी चीजें ओथ एक्ट 1969 के तहत दी गई है।
- नोटरी एक्ट 1952 की धारा 3 के तहत केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा ही नोटरी की नियुक्ति की जा सकती है।
- ओथ कमिश्नर की नियुक्ति संबंधित हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा की जाती है और यह ओथ एक्ट 1969 की धारा 3 और 6 के तहत किया जाता है।
नोटरी और ओथ कमिश्नर में क्या अंतर है | Difference between Notary and Oath Commissioner
- नोटरी को दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले प्रत्येक महत्वपुर्ण दस्तावेजों को प्रमाणित करने का अधिकार होता है, ताकि ऐसे दस्तावेजों को कानूनी मान्यता मिल सके। दूसरी ओर एक ओथ कमिश्नर को केवल उन दस्तावेजों को प्रमाणित करने का अधिकार है जिनको न्यायिक कार्यवाही के लिए अदालत में पेश करना आवश्यक होता है।
- नोटसी का पद प्राप्त करने के लिए एक व्यक्ति को कम से कम 7 से 10 वर्षो के वकालत करने का अनुभव होना आवश्यक है। ओथ कमिश्नर के पद के लिए एक व्यक्ति को वकिल व्यावसाय का अनुभव होना चाहिए परंतु इसके लिए न्यूनतम अनुभव की कोई आवश्यक्ता नही होती है। आमतौर पर नए अधिवक्ता को ही संबंधित हाईकोर्ट द्वारा ओथ कमिश्नर के रुप में नियुक्त किया जाता है।
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कानूनी सलाह
जैसा कि देखा जा सकता है। कि भले ही दोनों अधिकारियों को अर्थात नोटरी एवं ओथ कमिश्नर के पास दस्तावेजों को सत्यापित करने के समान अधिकार हैं, लेकिन ओथ कमिश्नर केवल उन शपथ पत्रों को एवं घोषणा पत्रों को सत्यापित कर सकते है जो न्यायिक कार्यवाही के लिए आवश्यक होते है जबकि नोटरी हर दस्तावेज को कानूनी वैधता देने की शक्ति रखते हैं। इसीलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ओथ कमिश्नर की तुलना में नोटरी द्वारा प्रयोग किए जाने वाली शक्ति का दायरा ज्यादा बडा होता है। जब भी आप कोर्ट जाएं या अपने दस्तावेजो को प्रमाणीत करने का सोचें तो उसके लिए उचित अधिकारी का चयन करना ना भूले।
हमने इस लेख के माध्यम से हमारे पाठकों को नोटरी और ओथ कमिश्नर में क्या अंतर है | Difference between Notary and Oath Commissioner के बारेमें जानकारी देने का पुरा प्रयास किया है। आशा है के आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इसी तरह के कानूनी जानकरी जानने के लिए और सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।
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