धारा 144 क्या है? | What is section 144 emergency
जब कभी देश में कोई संकट आनेकी कोई संभावना अथवा शांति भंग होने कि कोई आशंका हो तो सरकार द्वारा देश में धारा 144 लगाई जाती है। जिस्से देंस में शांती बरकरार रहे।
अक्सर हम यह सुनते या पढते रहते हैं कि किसी राज्य के क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहांकी सरकार द्वारा उनके राज्य में धारा 144 लगाया गया है और यह चर्चा का विषय रहा हैं चाहे वह कोरोना महामारी को रोकने के लिए हो या फिर किसी आंदोलन को नियंत्रित रखने के लिए हो। आइए आज हम इस लेख के माध्य से यह जानने कि कोशिश करते है के धारा 144 क्या है और इससे जुडी अहम कानूनी जानकारियां क्या है।
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धारा 144
- धारा 144 जिला मजिस्ट्रेट, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा किसी कार्यकारी मजिस्ट्रेट को हिंसा या उपद्रव की स्थिति में तात्कालिक प्रावधान लागू करने का अधिकार प्रदान करती है।
- धारा 144 को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता हैं जिसके बाद उस तनावपूर्ण क्षेत्र में यह धारा लागू कर दी जाती है। आपातकालीन मामलों में मजिस्ट्रेट बिना किसी पूर्व सूचना के भी इन आदेशों को पारित कर सकता है।
- आमतौर पर धारणा है कि यह धारा किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मजिस्ट्रेट को एक निर्दिष्ट क्षेतेर में 4 या अधिक लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाने का अधिकार देती है लेकिन बता दें कि कानून में विशेष रुप से ऐसा कुछ लिखा नहीं हैं। यह आदेश किसी व्यक्ति विशेष या आम जनता के विरूध्द पारित किया जा सकता है।
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धारा 144 की अवधि कितनी होती है
इस धारा के तहत जारी कोई भी आदेश सामान्यतः 2 महीने से अधिक समय तक लागू नहीं रह सकता है। 2 महिने की अवधि के बाद राज्य सरकार विवेकानुसार आदेश की अवधि को दो और महीनों के लिए बढा सकती है। परंतु इसकी अधिकतम अवधि 6 महीने से अधिक नहीं हो सकती।
धारा 144 के आदेश के खिलाफ आवेदन
- इस प्रावधान के बारे में लोगों को बिल्कुल ही जानकारी नहीं हैं। अगर कोई व्यक्ति धारा 144 के आदेश से पीडित हैं तो वह धारा 144(5) के तहत संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष लिखित आवेदन कर सकता हैं। अगर सरकार द्वारा मजिस्ट्रेट के आदेश को 2 महीने से अधिक समय के लिए बढाया जाता है तो पीडित व्यक्ति धारा 144(6) के तहत सरकार के समक्ष लिखित आवेदन कर सकता है।
- धारा 144(5) या 144(6) के अनुसार जहां आवेदन प्राप्त होता है वहां, यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार आवेदन को स्वयं या अपने वकील के द्वारा उसके समक्ष हाजिर होने और आदेश के विरूध्द कारण दिखाने का शिघ्र अवसर देते है।
- मजिस्ट्रेट य राज्य सरकार किसी व्यक्ति के ऐसे आवेदन पर धारा 144 के आदेश को निरस्त य परिवर्तित कर सकतें हैं। ध्यान दे कि यदि मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार आवेदन को नामंजूर कर दें तो उन्हे ऐसा करने के कारणों को लिखित में देना होता है।
धारा 144 और कर्फ्यू के बीच अंतर क्या है
धारा 144 प्रकृति में निषेधात्मक है जो लोगों को सार्वजनिक सभा मे प्रतिबंधित करती है जब की कर्फ्यू के तहत लोगों को एक विशेष अवधि के दौरान घर के अंदर रहने के निर्देश दिए जाते है। सरकार यातायात पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा देती है। आम तौर पर कर्फ्यू बेहद गंभीर स्थिति में लगाया जाता है। कर्फ्यू के दौरान केवल वहीं सेवाए जालू रहती है जो बेहद जरूरी हों और वो भी पूर्व सूचना के आधार पर।
मा. सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने अनुराधा भसीन बनाम सूनियन औफ इंडिया में 10 जनवरी 2020 को कश्मीर में लगे प्रतिबंधो पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि धारा 144 का प्रयोग नागरिकों को शांति से एकत्रित होने के मौलिक अधिकार पर प्रतिबंध लगाने के लिए नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इंटरनेट का इस्तेमाल अभिव्यक्ति की आजादी को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है, जो हमें संविधान का अनुच्छेद 19(1) प्रदान करता है। इस पर प्रतिबंध और रोक भी उसी आधार पर लगनी चाहिए, जैसा संविधान में बताया गया है।
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इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को धारा 144 क्या है और इससे जुडी अहम कानूनी जानकारियां कौन कौन सी है इसके बारेमें जानकारी देनेकी कोशिश कि है। यदी आपको यह लेख पसंद आया है तो इसी तरह और भी कानून जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी वेब पोर्टल apanahindi.com पर अवश्य भेट दे।
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