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ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल क्या होता है | What is a Transit Anticipatory Bell

ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल क्या होता है | What is a Transit Anticipatory Bell


आजकल के भागदौड वाली आधुनिक युग में भौतिक दूरियां बहोत कम हो गई है। लोगों के लिए आजकल शिक्षा, व्यावसाय, व्यापार तथा अन्य अनेक सामाजिक कामों को करनें के लिए हमेशा एक जगह से दूसरी जगह पर जाना पडता रहता है। अक्सर यह भी काफी देखा जाने लागा है कि एक व्यक्ति आमतौरपर जिस राज्य में रहता है, उस व्यक्ति पर किसी दूसरे राज्य में भी कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया होता है। तो ऐसे परिस्थिति में उस व्यक्ति को न्यायालय में जाकर बेल करवाना जरूरी होता है।

इससे पहले कि आरोपी व्यक्ति के खिलाफ जिस राज्य में आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ होता है वहां के संबंधित कोर्ट में जाकर बेल याचिका लगाएं, उससे पहले ही उस व्यक्ति को अपने राज्य में दूसरे राज्य की पुलिस के द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है। इस तरह के परिस्थिति से बचने के लिए आइए इस इस लेख के माध्यम से हम यह जानने कि कोशिश करते है कि ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल क्या है और इसे कब और कहां लगाया जाता है। हमने इससे पहले रेग्यूलर बेल और एंटीसिपेटरी बेल के बारे में जानकारी हासिल कि है। इस लेख में हम ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल के बारे में जाकरारी हासिल करने वाले है।


ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल क्या होता है।

  1. यह ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल उस अदालत द्वारा दी जाती है जिसके अधिकार क्षेत्र में आरोपी व्यक्ति आमतौर पर रहता हो, ना कि उस अदालत के द्वारा जिसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आरोपी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।
  2. इस तरह के बेल एप्लिकेशन तब लगाई जा सकती है जब कोई आरोपी व्यक्ति जिस राज्य में रहता है, उस राज्य के अलावा, किसी अंन्य राज्य की पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार होने की आशंका होती हो।


ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल का उद्देश्य

  1. इस बेल का उद्देश सिर्फ यह है कि एक व्यक्ति को तब तक गिरफ्तारी से अस्थाई सुरक्षा देना जब तक वह उस संबंधित अदालत में, जिसके अधिकार क्षेत्र में अपराधिक मुकदमा दर्ज किसा गाया है, वहां अपनी जमानत के लिये याचिका ना लगा दे।
  2. इस प्रकार के ट्रांजिट बेल बहुत ही सीमित अवधि के लिए दी जाती है जिस में व्यक्ति को संबंधित न्यायालय का दरवाजा खटखटाना होता है। ट्रांजिट बेल की अवधि के दौरान व्यक्ति को उस राज्य की पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जिस राज्य में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है।

ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल संबंधित कानूनी प्रावधान

  1. कानून में ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल के बारे में न तो सीआरपीसी में और न ही किसी अन्य कानून में परिभाषित किया गया हैं। यह एक न्यायाधीश निर्मित कानून (judge made law) है। यह कंसेप्ट, समय-समय पर भारतीय उच्च न्यायालयों द्वारा आपराधिक कानूनों के विभिन्न धाराओं की व्याख्या से निकल कर आई है।
  2. सन 2021 के फरवरी में किसान आंदोलन से जुडे एक मामले में आरोपी वकील निकिता जैकब और पर्यावरण कार्यकर्ता शांतनु मुलुक के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा कार्यकर्ता शांतनु मुलुक को 10 दिन के लिए तथा वकील निकिता जैकब को 3 हफ्ते के लिए ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल दी थी।


कानूनी सलाह

अगर किसी व्यक्ति को किसी आपराधिक मामले में दूसरे अन्य राज्य की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी किये जाने कि आशंका है और उसे यह लगता है कि उस राज्य  कि संबंधित कोर्ट में पहुंचने मे काफी समय लग सकता है तो वह अपने वकील से उचित कानूनी परामर्श लेकर अपने ही राज्य में ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल की याचिका दाखिल कर सकता हैं और कुछ समय के लिए जमानत लेकर वह उस दुसरे राज्य के कोर्ट में जाकर अपनी जमानत करवा सकता हैं।

आज हमने इस लेख के माध्यम से हमारे पाठकों को ट्रांजिस्ट एंटीसिपेटरी बेल क्या होता है और इसे कब और कहां लगाया जाता है इसके बारे में जानकारी हासील करने की कोशिश की है। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर रोजाना ऐसे हि कानूनी जानकारी पढने के लिए और सिखने के लिए आवश्य व्हिजीट करें।


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