जमानतदार बनने से संबंधित कानूनी जिम्मेदारी | legal responsibility related to becoming surety in Hindi
जब भी किसी पुलिस थाने में किसी गंभीर प्रकार के आरोप का केस किसी व्यक्ति पर दर्ज होता है। तब आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया जाता है। कई बार न चाहते हुवे भी हमारे सामने ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं की हमें किसी अपने दोस्त, घरवाले या किसी रिश्तेदार के लिए किसी गंभीर अपराध वाले केस में जमानत देने के लिए जमानती बनना पडता हैं। आमतैर पर न्यायालयों में यह देखा गया है कि कोई व्यक्ति किसी के कहने पर दुसरे व्यक्ति को जमानती तो बन जाता है पर उससे जुडी कानूनी जिम्मेदारियों क्या होती है यह उन्हे बिल्कुल ही पता नहीं होता। तो आईए इस लेख के माध्यम से हम यह जाने कि किसी व्यक्ति का जमानती बनने से पहले उसके बारेमें हमें क्या-क्या कानूनी बातें पता होनी चाहिए वह समझने की कोशिश करते है।
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जमानतदार कौन होता है | who is the surety
- दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतदा को प्रतिभू कहा गया है। किसी आपराधिक केस में आरोपी को हर तारिख के दिन कोर्ट में पेश होने होने के लिए जिम्मेदारी लेने वाले व्यक्ति को जमानतदार कहते हैं। सी.आर.पी.सी. की धारा 441(ए) के अंतर्गत जमानतदार यह घोषणा करता है की वह आरोपी को जब भी कोर्ट को जरुरी हो या कोर्ट द्वारा बुलाया जाए, तब कोर्ट में पेश करेगा।
- सामान्यतः न्यायालय द्वारा जमानत देते समय कोर्ट आरोपी से एक निश्चित धनराशि का निजी मुचलका जिसे हमारी भाषा मेंPersonal Bond कहते है वह लिया जाता है और जमानतदार से एक निश्चित धनराशि का बंधपत्र जिसे bail bond कहते है वह मांगां जाता हैं।
- जमाानतदार को न्यायालय में यह दिखाना होता है कि उसके द्वारा दिए जाने वाले बेल बॉन्ड में निश्चित की गई धनराशि यदि जब्त की जाती है तो वह न्यायालय में जितनी धनराशि का बंधपत्र दिया गया है उतनी धनराशि न्यायालय में जमा कर सकता हैं। इसके लिए जमानतदार को आमतौर पर किसी संपत्ति से जुडे कागज अथवा बैंक की एफडी या किसी वाहन की आरसी बुक कोर्ट में जमा करनी होती है जिसे जमानतदार का sufficient proof भी कहा जाता है। जमानतदार का जमानत पूरा केस खत्म हो जाने तक अथवा कोर्ट का अंतिम आदेश तक जमानतदार द्वारा जमा किये गए sufficient proof के साथ कोई भी किसी भी प्रकार का छेडछाड या बदलाव नही्ं किआ जा सकता।
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बेल बॉन्ड जब्त हो जाने के परिणाम क्या होता है
- अगर कोई आरोपी हर तारिख पर न्यायालय में पेश नहीं होता है तो न्यायालय द्वारा जमानतदार को नोटिस जारी किया जाता है उसे यह मौका देती है कि वह आरोपी को न्यायालय में पेश करे। अगर जमानतदार आरोपी को न्यायायलय में पेश करने में असमर्थ हो जाता है तो जमानतदार के द्वारा जमा किए गए बंधपत्र के अनूसार उसकी जमानत संपत्ति जैसे कि प्रोपर्टी के कागजात एफडी, गाडी के कागजात आदि जब्त हो जाते है।
- सीआरपीसी की धारा 446 के अनुसार यदि बेल बॉन्ड को जब्त कर लिया जाता है तो बेल बॉन्ड में जितनी धनराशि लिखी हुई होती है उतनी धनराशि की वसूली के लिए न्यायालय को ऐसा अधिकार मिला जाता है जैसा अधिकार जुर्माना वसूल करने के लिए होता हैं।
- अगर फिर भी जमानत धनरशि की वसूली नहीं हो पती है तो जमानतदार को सीआरपीसी की धारा 446 के तहत अदालत द्वारा 6 महीने तक के लिए सिविल कारावास में भेजा जा सकता हैं।
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क्या जमानत वापस ली जा सकती है?
यह बात सच है की कोई भी जमानतदार द्वारा दि गई जमानत वापस लेना चाहाता है तो सीआरपीसी की धारा 444 के तहत अदालत में एक आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। जिससे जमानत संपत्ति मुक्त हो जाती है। जब जमानत वापस ले ली जाती है तो आरोपी को कोई अन्य जमानतदार अदालत में पेश करना होता है।
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कानूनी सलाह
- किसी व्यक्ति के बहकावे में आकर या किसी के दबाव में आकर न्यायालय में किसी के लिए जमानत कभी न दें। किसी की जमानत देने से पहले यह भली-भांति सुनिश्चित कर लें कि आप जिस व्यक्ति के लिए जमानतदार होने जा रहे है। उश व्यक्ति को अच्छे से जानते हैं और वह व्यक्ति आपके कंट्रोल अथवा कहे-सुने में होना चाहिए।
- जब कभी भी आप किसी व्यक्ति को जमानत देने के लिए अपनी किसी प्रोपर्टी के कागजात, कोई बँक का एफडी या किसी वाहन की आरसी बुक इत्यादी अदालत में दें देते है तो अदालत से उसकी रिसीवींग लेना कभी ना भूले। ध्यान दें कि अगर आप के द्वारा किसी वाहन की आरसी जमानत के तौर पर कोर्ट में दी है तो उसकी रिसीविंग दिखाने के बाद ही आप किसी ट्रैफिके चालान से बच सकते हैं।
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इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठको को यह जानकारी देने का पुरा प्रयास किया है के जमानतदार बनने से संबंधित कानूनी जिम्मेदारी क्या है और बॉन्ड जप्त होजाने के परिणाम क्या है इसके बारेमें जानने की कोशिश कि है। अगर आपको यह लेख पसंद आया है तो ऐसे ही कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पॉर्टल apanahindi.com पर आवश्य व्हिजिट करते रहिए।
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