ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 | क्या है ग्रेच्युटी | ग्रेच्युटी का हकदार कौन होता है? | What is Gratuity Act in Hindi
नौकरी करने वाले लोगों को ग्रेच्युटी के बारे में पता होगा। लेकिन उन्हे उसके बारे में संपुर्ण कानूनी जानकारी नही होती हैं। तो ईसके बारे में संपुर्ण कानूनी जानकारी के लिए आइये आज हम ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 | क्या है ग्रेच्युटी | ग्रेच्युटी का हकदार कौन होता है? इसके बारेमे जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है।
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क्या है ग्रेच्युटी
ग्रेच्युटी यह किसी कंपनी अथवा नियोजक द्वारा उनके कर्मचारी को मिलने वाला एक तरीके का रिवार्ड होता है। वह एक धनराशि के रुप मे होती है। यह धनराशि उस कंपनी या नियोजक द्वारा दी जाती है जिस नियोजक के पास उसका कर्मचारी नौकरी कर रहा था। ग्रेट्युटी कर्मचारी के वेतन का यह हिस्सा है जो कम्पनी या नियोक्ता द्वारा सालों की सेवाओं के बदले नौकरी छोडने पर या खत्म हो जाने पर कर्मचारी को दिया जाता हैं।
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ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972
- नौकरीपेशा करने वाले लोंगों के हितों की रक्षा के लिए ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट का निर्माण सन 1972 में किया गया।
- इस कानून के तहत खनन क्षेत्रों में काम करने वालें कर्मचारियों को शामिल किया गया है।
- ग्रेच्युटी पेमेंट और भविष्य निधि वे बिल्कुल अलग-अलग लाभ होते है। ग्रच्युटी में पूरा पैसा एंप्लॉयर की तरफ से दिया जाता है जबकि भविष्य निधि में कुछ पैसा कर्मचारी के तनखाह में से भी लिया जाता है।
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कौन सी संस्थाएं ग्रेच्युटी एक्ट के दायरे में आती है?
- ऐसी कोई भी संस्था जहां पिछले 12 महीनों से अथवा उस के दौरान किसी एक भी दिन 10 या उससे अधिक कर्मचारियों ने एक साथ मिलकर काम किया हो वह संस्था ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट के अंतर्गत आ जाती हैं।
- एक बार कोई संस्था ग्रेच्युटी एक्ट के दायरे में आने के बाद हमेंशा के लिए इस एक्ट के दायरे में ही रहती है फिर भले ही चाहे बाद में कर्मचारियों की संख्या 10 से कम क्यों ना हो जाएं।
- ध्यान दें कि किसी भी प्रकार की संस्था हो चाहे वह सरकारी संस्था हो या प्राइवेट संस्था हो वह इस एक्ट के दायेरे में आती है।
ग्रेच्युटी का हकदार कौन होता है?
- कोई भी कर्मचारी जिसने अपने जिवन काल में नियोजक या एंप्लॉयर के लिए लगातार कम से कम 5 सालों के लिए काम किया हो अथवा सेवा दिया हो तो वह कर्रमचारी ग्रेच्युटी पानेका हकदार होता हैं।
- यह ग्रेच्युटी किसी भी कर्मचारी को उसके रिटायर होने पर अथवा रिजाइन करने या नौकरी से निकाले जाने पर मिलती है।
- किसी दुर्घटना की वजह से नौकरी करने में असमर्थ होने या मृत्यु हो जाने पर भी ग्रेच्युटी का लाभ मिल सकता हैं। ध्यान दें कि दुर्घटना या मृत्यु की स्थिति में 5 साल की लगातार नौकरी होना आवश्यक नहीं हैं।
- अगर ग्रेच्युटी का हकदार जीवित नहीं है तो उसके वारिस भी ग्रेच्युटी का क्लेम कर सकते हैं।
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शिकायत कहां दर्ज कीया जाता है?
- यदि कोई कंपनी अथवा नियोजक अपने कर्मचारी को नियमानुसार ग्रेच्युटी नहीं देता हैं। तो ऐसी परिस्थिति में उस नियोजक के खिलाफ अपने एरिया के नियंत्रक अधिकारी के यहां ग्रेच्युटी पाने के लिए क्लेम पिटिशन दाखल कीया जा सकता है।
- नियंत्रक अधिकारी आमतौर पर एरिया का असिस्टेंट लेबर कमिश्नर होता है।
- ऐसी परिस्थिति में नियंत्रक अधिकारी जिले के कलेक्टर को यह पर्माण पत्र जारी कर सकता है कि वह भू राजस्व की वसूली की तरह ग्रेच्युटी की रकम को भी वसूल करें तथा वसूल करके उस रकम को कर्मचारी को प्रदान करें।
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कानूनी सलाह
खासतौर पर निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के संदर्भ में यह देखा गया है कि या तो उन्हे ग्रेच्युटी बेनिफिट कि जानकारी नही होती या फिर जागरुकता के अभाव में उनके एंप्लॉयर बिना ग्रेच्युटी दिए ही उनसे फुल एंड फाइनल सेटलमेंट पर साइन करवा लेते हैं। ऐसे में हमारा सुझाव यह है कि एंप्लॉयमेंट से जुडे ऐसे किसी भी मामले में उचित कानूनी परामर्श अवश्य करें।
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इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठको को ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 | क्या है ग्रेच्युटी | ग्रेच्युटी का हकदार कौन होता है? इसके बारेमे सरल और आसान भाषा में जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा है के आपको यह लेख पसंद आया होगा। ऐसे ही कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य व्हिजीट करें।
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