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क्या पुलिस को दिया बयान साक्ष्य माना जाता है? | 161 का बयान क्या होता है? | 161 statement

क्या पुलिस को दिया बयान साक्ष्य माना जाता है? | 161 का बयान क्या होता है? | 161 statement


जब भी कही कोई गंभीर अपराध होता है तब नजदिकी पुलिस थाने में एफ.आई.आर रजिस्टर की जाती है तब पुलिस द्वार आरोपी व्यक्ति की और उस केस से जुडे अंन्य जरूरी गवाहों के बयान दर्ज कर लिए जाते है। हमे अक्सर सुनने मे मिलता है कि आरोपी का बयान अथवा बाकी किसी अंन्य गवाहों के बयान पुलिस द्वारा डरा-धमका कर या दबाव बनाकर लिया गया हैं। तो आइए इस लेख के माध्यम से आज हम यह जानें कि कोशिश करते है के क्या पुलिस को दिया बयान साक्ष्य माना जाता है? | 161 का बयान क्या होता है? पुलिस के समक्ष दिए गए बयान कोर्ट में कितना महत्व रखते हैं। इसके बारेमे चर्चा करते है।

161 का बयान क्या होता है?

किसी भी केस की जांच के दौरान संबंधित पुलिस अधिकारी द्वारा आरोपी तथा अन्य गवाहों के जो बयान दर्ज किए जाते हैं वे सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज किए होते हैं। ये बयान ज्यादातर पुलिस अधिकारी द्वारा खुद अपने हाथो से ही लिखे जाते हैं। ध्यान दें कि जांच के दौरान पुलिस द्वारा इन बयानों पर हस्ताक्षर नहीं लिए जाते है।

161 के बयानों का साक्ष्य के लिए महत्व

161 के बयान को मूल साक्ष्य नहीं माना जाता। इनका प्रयोग साक्ष्य अधिनियम की धारा 157 के तहत सूचना देने वाले के बयान की सम्पुष्टि (Corroboration) के लिए किया जाता है और धारा 145 के तहत अगर सूचना देने वाले को गवाह के तौर पर बुलाया जाता हैं तो उसके बयान को खंडन करने के लिए किया जा सकता हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

मा. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अनेकों फैसलों में सीआरपीसी 161 के बयानों के संदर्भ में कानूनी रोशनी डाली हैं। हाल ही में पर्वत सिंह बनाम मध्य पर्देश सरकार (केस.नं क्रिमिनल अपील नं. 374/2020) में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने यह कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए बयान का इस्तेमाल केवल विरोधाभासों और गलतियों को साबित करने के लिए ही किया जा सकता है। कानून के तय नियमों के अनुसार सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज बयानों के साक्ष्य अमान्य होतें हैं और आरोपी की दोषसिध्दि के लिए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

कानूनी सलाह

  1. पुलिस थाने में कभी भी किसी दबाव अथवा बहकावे में आकर किसी स्टेटमेंट पर साईल न करें। यदी किसी पुलिस अधिकारी ने आपकी झूठी गवाही कि स्टेटमेंट बनाई है या किसी झूठी गवाही के स्टेटमेंट पर आपके हस्ताक्षर जबरदस्ती लिए हैं तो आप कोर्ट को इसके बारे में जरूर बताएं।
  2. मजिस्ट्रेट के समक्ष जो भी बयान होते हैं उन्हे 164 के तहत दर्ज किए जाते हैं। मजिस्ट्रेट के सामने ये बयान बिल्कुल सोच समझकर और बिना किसी डर अथवा दबाव के देने चाहिए। ध्यान दें कि यें बयान मूल साक्ष्य माने जाते है अथवा इनकी एविडेंशरी वैल्यू होती है। 164 का गलत बयान आपके केस पर काफी भारी पड सकता है। इसलिए उचित कानूनी सलाह के साथ ही ऐसे बयान दें।


इस लेख के माध्यम से आज हमने यह समझने की कोशिश की है के, क्या पुलिस को दिया बयान साक्ष्य माना जाता है? | 161 का बयान क्या होता है? जिससे हमारे पाठको को कानूनी मदत मिल सके। यदी आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो आप एसेही कानूनी जानकारी पढने के लिए हमारे इश पोर्टल apanahindi.com पर अवश्य भेट दे।



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