किसी भी सरकारी अधिकरि पर सिव्हिल केस कैसे करे? | What Is Notice under Section 80 CPC
हम हमेशा लोगोंसे सुनते है के किसी एक सरकारी दफ्तर के अधिकारी के वजह से उन्हे कोई नुकसान हुवा या वह सरकारी अधिकारी के किसी कृत्य के वजह से कोई नुकसान हो सकता है। या फिर कई मामलो मे वह सरकारी अधिकारी उनका काम जानबूझ कर नही करते अथवा वे उनके कामो को कोई महत्व नही देते। जिससे समय से पहले होने वाला काम न होने से किसी को नुकसान का सामना करना पडता है। तो ऐसे परिस्थिती मे नागरीकों को सरकारी अधिकारी के खिलाफ नुकसान भरपाई के लिए एक तो मुकदमा दाखिल करना होता है। या तो किसी सरकारी अधिकारी क कुछ काम करने अथवा न करने से भी किसीका कानुनी अधिकार छिन लिया जाता है। जिससे सामान्य नागरिकों का नुकसान हो सकता है। तो ऐसी परिस्थिति मे उपाय यह होता है के उन सरकारी अधिकारी के खिलाफ कोर्ट मे केस फाइल करना जो के बहोत ही महत्वपुर्ण है। इस तरह के केसेस कोर्ट मे दाखिल करने के लिए उन सरकारी अधिकारी या कर्मचारी को कानून क्या नोटीस भेजना जरूरी होता है। इस लेख के माध्यम से हम किसी भी सरकारी अधिकरि पर सिव्हिल केस कैसे करे | What Is Notice under Section 80 CPC इसके बारेमे चर्चा करते है।
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किसी भी सरकारी अधिकरि पर सिव्हिल केस कैसे करे?
आये दिन रोजाना प्राइवेट पार्टीज के बीच में अनेक प्राकर के सिविल मुकदमे न्यायलयों में दाखिल किए जाते है। उन सिविल मुकदमों में आमतौर पर यह देखा जाता है कि केस फाइल करने वाला व्यक्ति द्वारा केस फाइल करने से पहले, लिगल नोटीस भेज कर अक्सर सामने वाली पार्टी को बताया जाता है कि उस पर क्या आरोप लगाए गए हैं, या फिर एसी कौनसी दायित्व उसने पूरे नहीं किये अथवा उसने क्या लापरवाही की है। ऐसे मामलों में सामने वाली पार्टी को लीगल नोटिस देना अनिवार्य नहीं होता जब तक की किसी विशिष्ट कानून में साफ तौर पर इसे अनिवार्य न किया गया है।
आम इन्सान के जिंदगीमे कई बार ऐसी परिस्थितियां भी आ जाती हैं की जहां पर लोगों को खुद सरकार द्वारा या सरकार के किसी अधिकारी द्वारा किए गए किसी कार्य से क्षति या नुकसान पहुंचाया जाता है, तो ऐसे परिस्थिति मे पीडित व्यक्ति को उसके नुकसान होने के कारण सरकार या सरकारी अधिकारी के विरूध्द दिवाणी न्यायालय मे दिवाणी मुकदमा दर्ज करना पड जाता है। यहां पर यह सवाल उठता है कि क्या ऐसे मामलों में केस फाइलकरने से पहले सरकार को लीगल नोटिस भेजना अनिवार्य है या नहीं। आइए जाने इससे जुडा कानूनी प्रावधान।
कानूनी प्रावधान
- सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 80 (1) के अनुसार अगर सरकार के खिलाफ या किसी सरकारी अधिकारी खिलाफ उनके द्वारा अपनी पद की हैसियत से किए गए किसी कार्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के लिए सबसे पहले एक लिखित में नोटिस देना अनिवार्य है।
- इस नोटीस के अनुसार, केस दाखिल करने वाले व्यक्ति द्वारा नोटिस में केस करने के कारणों को बिल्कुल स्पष्ट रुप से लिखा होना चाहिए। इसके साथ ही नोटिस भेजने वाले व्यक्ति को अपना संपूर्ण नाम तथा निवास स्थान भी स्पष्ट रुप से लिखना चाहिए।
सरकार या सरकारी अधिकारी के विरुध्द कब मुकदमा दर्ज किया जा सकता है?
- सरकार या सरकारी अधिकरी को एक लिखित नोटीस मिलने के 2 महीने के बाद ही उन पर न्यायालय में दिवाणी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
- इस कानून में यह प्रावधान इसलिए बनाया गया है क्योंकि आमतौर पर सरकार या सरकारी अधिकारी को उनके कार्यालय में किसी मामले का सही पता लगाने के लिए कुछ समय लगता है। इसलिए इस लीगल नोटिस के माध्यम से सरकार या सरकारी अधिकरी को नोटिस भेजने वाले व्यक्ति की शिकायत का निपटारा करने के लिए भी वक्त मिल जाता है जिससे कि कोर्ट में केस फाइल होने की नौबत ही ना पडे।
एडवांस लीगल नोटिस देना कब अनिवार्य नहीं है?
- सी.पी.सी. की धारा 80 (2) के अनुसार जिन मामलों में सरकार के खिलाफ किसी अर्जंट या तत्काल राहत की आवश्यकता होती है। ऐसे मामलों में बिना एडवांस लीगल नोटिस दिए ही कोर्ट में सीधा केस फाइल किया जा सकता है। इस तरह सीधा केस फाइल करने के लिए कोर्ट की अनुमति लेने की आवश्यकता होती है। इसतरह के मामलों में अंतरिम या कोई अंन्य राहत देने से पहले कोर्ट द्वारा सरकार या सरकारी अधिकारी को अवश्य सुना जाता है।
- दोनों पक्षों का सुनने के बाद अगर कोर्ट को यह लगता है कि केस में किसी अंतरिम या अर्जेंट राहत की जरुरत नहीं है तो केस को वापस भेज दिया जाता है ताकि धारा 80 (1) के तहत लीगल नोटिस की प्रक्रिया की जा सके।
कानूनी सलाह
- हम हमेशा सलाह देते है कि कोई भी लीगल नोटिस स्पीड पोस्ट के माध्यम से ही भेजा जाना चाहिए। इससे न केवल आपका लीगल नोटिस जल्दी पहुंचता है बल्कि भारतीय डाक की वेबसाइट पर आप अपनी डाक का वर्तमान स्टेटस भी चेक कर सकते हैं कि, वह लिगल नोटीस सामनेवाले याने सरकार को या सरकारी अधिकारी को पहुंचा या नही या वह कहां तक पहुंचा है।
- लीगल नोटिस को स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजने का दूसरा फायदा यह है कि आप भारतीय डाक की वेबसाइट से अपने लीगल नोटिस की डाक का फाइनल स्टेटस भी प्रिट कर सकते है। इस रिपोर्ट में डाक की फाइनल रिपोर्ट भी पता लगा सकते है जैसै कि लीगल नोटिस पहुंचा या नहीं, पता अधूरा या गलत होने की वजह से वापस तो नहीं कर दिया। आदी के बारेमे पता चल सकता है। इस रिपोर्ट को संभाल कर रखना चाहिए क्योंकि यह रिपोर्ट केस के साथ फाइल की जाती हैं।
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आशा है के इस लेख के माध्यम से हमारे पाठकों को केस फाइलकरने से पहले सरकार को लीगल नोटिस भेजना अनिवार्य है या नहीं। किसी भी सरकारी अधिकरि पर सिव्हिल केस कैसे करे | What Is Notice under Section 80 CPC इसके बारेमे जानकारी समझमे आई होगी। अगर आपका कोई सवाल हो तो आप उसे कमेंट बॉक्स मे छोड सकते है। जिससे हम आपके सवाल का जबाब देने का प्रयास कर सकते है।
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