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एम्प्लॉयमेंट बांड क्या होता है। | What is Employment bond | Employment | रोजगार बांड क्या है? | रोजगार

एम्प्लॉयमेंट बांड क्या होता है। | What is Employment bond | Employment | रोजगार बांड क्या है? | रोजगार



कंपनी और कर्मचारी उनके बिचमे नौकरी लगने के समय एक एग्रिमंट के तौर पर बांड लिख लिया जाता है। जिसमे कर्मचारी को उसके कंपनी के साथ बने रहने के लिए और एक सिमीत समय के लिए नही छोड सकते। अगर कर्मचारी ने अपनी नौकरी बिच मे छोडने की कोशीश कि अथवा उन्हे अपनी नोकरी छोडना हो तो उन्हे किन कठीनाईयों का सामना करना पड सकता है, इसके बारेमे जानकारी हर व्यक्ति को होना जरूरी होता है।

आज हम एम्प्लॉयमेंट बांड क्या होता है? भारत में एम्प्लॉयमेंट बांड की कानूनी वैधता क्या है? क्या किसी को एक निश्चित अवधि तक नौकरी करने के लिए मजबूर किया जा सकता है? क्या समय से पहले नौकरी छोडने पर एंप्लॉयमेंट बॉनड में लिखी राशि देनी पडती है? इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के तहत मुआवजा कितना देना होगा? उचित मुआवजा कैसे तय होता है? कर्मचारी के लिए क्या सुझाव है कंपनी के लिए क्या सुझाव है? इसके बारेमे हम इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते है। इस लेख के माध्यम से आज हम एम्प्लॉयमेंट बांड क्या होता है। | What is Employment bond | Employment | रोजगार बांड क्या है? | रोजगार इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है।

एम्प्लॉयमेंट बांड की कानूनी वैधता क्या है। Employment

भारत में दिन ब दिन बेरोजगारी यह एक बडी समस्या बनती जा रही है। सरकारी नौकरयां सीमित होने के कारण ज्यादातर लोग प्राइवेट नौकरियों पर ही निर्भर रहते है। कॉरपोरेट जगत में कॉम्पिटिशन काफी हद तक बढ गया है। जब भी कोई कंपनि नए लोगों को नौकरी पर रखती हैं तब वे उन्हे नौकरी पर रखने से पहले अपनी अनेक प्रकार कीं शर्ते और नियम निर्धारित करती है। कंपनियों द्वारा नियुक्ति करते समय एम्प्लॉयमेंट बांड साइन करवाने का रिवाज काफी हद तक बढ़ गया हैं।

आजकल एम्प्लॉयमेंट बांड से जुडे कानूनी मसले आते रहते हैं। हैरानी की बात यह हैं कि प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले पढे लिखे लोगों में भी एम्प्लॉयमेंट बांड से संबंधित कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी नही है। प्राइवेट कंपनि में नौकरी करने वाले ज्यादातर लोगों को इस बांड को बिना पढे और जाने-समझे ही इनपर साइन करते रहते हैं। तथा इस बांड के कभी पढकर जानने की और समझने की कोशिश भी नही करते। आइए आज हम इस एम्प्लॉयमेंट बांड से जुडे अहम कानूनी पहलुओं को समझेने कि कोशिश करते है।

एम्प्लॉयमेंट बांड क्या होता है?

आजकल कंपनी और कर्मचारी के बीच में जब भी एप्लॉयमेंट एग्रीमेंट साइन होता है तो उस एग्रीमेंट में अक्सर एम्प्लॉयमेंट बांड भी शामिल होता है। यह बांड नौकरी कर्मचारी को में एक निश्चित अवधि तक कंपनि के साथ बने रहने के लिए मजबूर करता है। अगर वह कर्मचारी निश्चित अवधि से पहले कंपनी छोडकर जाता है तो उसे एम्प्लॉयमेंट बांड तहत उसमे में लिखी गई निश्चित रकम कंपनी को जुर्माने के तौर पर देनी होती है। कंपनियों का इस बांड के पीछे मकसद यही होता है कि उनके कर्मचारी उनकि कंपनि के साथ कम से कम कुछ समय बने रहें। और कंपनि का नुकसान न हो।

क्या किसी कर्मचारी को एक निश्चित अवधि तक नौकरी करने के लिए मजबूर किया जा सकता है?

  1. भारत में ना ही कोई कंपनी और ना ही कोर्ट द्वारा किसी भी व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत सेवाएं देने के लिए मजबूर किया जा सकता। इसके पीछे यह कारण हैं की, स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 14 जिसके अनुसार जो भी कॉन्ट्रैक्ट व्यक्तिगत रुप से किसी के योग्यता पर आधारित हैं उस कॉन्ट्रैक्ट को कोर्ट द्वारा किसी व्यक्ति को मजबूरन व्यक्तिगत सेवाएं देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इसलिए ऐसे मामलों में इस धारा के तहत सिर्फ मुआवजा ही एकमात्र विकल्प है।
  2. इस धारा का सरल भाषा में मतलब यह हुआ कि, अगर कोई कंपनी का कर्मचारी एम्प्लॉयमेंट बांड का उल्लंघन करता है। और वह आम तौर पर निश्चित अवधि से पहले नौकरी छोड देता है। तो कंपनी द्वारा कोर्ट में उस कर्मचारी से बस मुआवजा मांगा जा सकता है। क्योंकी, कंपनी द्वारा कोर्ट से ऐसा कोई आदेश नहीं ले सकती कि उस कर्मचारी को अपनी कंपनी में नौकरी जारी रखने के लिए मजबूर किया जाए।

क्या समय से पहले किसी व्यक्ति द्वारा नौकरी छोडने पर एम्प्लॉयमेंट बांड में लिखी राशि देनी पडती है?

कर्मचारिंयो व्दारा यह सवाल सबसे ज्यादा तौर पर पूछा जाता है। जब भी कोई कर्मचारी एम्प्लॉयमेंट बांड मे निर्धारित समय से पहले नौकरी छोडता है या नौकरी छोडने के बारे में सोचता है तो उसके मन में सबसे पहले यही सवाल आता है कि उसे एम्प्लॉयमेंट बांड में लिखी राशि के अनुसार कंपनी को जुर्माना के तौर पर रक्कम देनी पडेगी या नहीं। आम तौर पर एम्प्लॉयमेंट बांड में लिखी राशि अक्सर जादा रक्कम की होती हैं जिसकी वजह से लोग घबरा जाते है। इसलिए वे नौकरी छोडने से पहले यही सवाल पुछते है के रक्कम देनी होती है या नही। 

अभी यहा यह सवाल आता है के क्यो देनी पडती है? इसकी वजह यह है की, जब कंपनी अपने कंपनी के लिए नया एंप्लॉयमेंट अपॉन्ट करती है तब कंपनी को उसके जाहिरात के लिए और इंटरव्हू के लिए काफी खर्च किया होता है। जिस के वजह से अगर कोई नया कर्मचारी कंपनी को छोड कर जाता है तो कंपनी का नुकसान होता है। तो इस नुकसान को भरने के खातीर कंपनी द्वारा अगर कोई कंपनी समय से पहले नौकरी छोडना चाहती है तो वह उस कर्मचारी से मुआवजा लेती है।

इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के तहत मुआवजा कितना देना होगा।

यह एक बहोत हि एहम सवाल हैं। इस बात को समझने के लिए इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट की धारा 74 को समझना बेहद जरूरी होगा। इस धारा के तहत कॉनट्रैक्ट उल्लंघन की शिकायत करने वाला पक्ष उस पार्टी से उचित मुआवजा प्राप्त करने का हकदार होता है जिसने कॉन्ट्रैक्ट को तोडा है। यह मुआवजा कॉन्ट्रैक्ट मे लिखी राशि से ज्यादा नही हो सकता। ध्यान दें कि एम्प्लॉयमेंट बांड में लिखी राशि केवल एक ऊपरी सीमा के रूप में कार्य करती है। एम्प्लॉयमेंट बांड में लिखी पूरी राशि जुर्माने के तौर पर देने के लिए बाध्य करेगा। कोर्ट इन मामलों मे परिस्थिति और नुकसान के हिसाब से उचित मुआवजा तय करता है।

उचित मुआवजा कैसे तय होता है?

  1. एम्प्लॉयमेंट बांड के उल्लंघन होने के मामलों में न्यायालय द्वारा यह देखा जाता है कि, कंपनी के द्वारा अपने कर्मचारी की ट्रेनिंग और उसके विकास पर कितने पैसे खर्च किए गए थे। इसके अलावा कंपनी के अन्य खर्चे भी कोर्ट के द्वारा विचार लिए जा सकते हैं, जैसे कि कर्मचारी की भर्ती के समय किया गया हुवा खर्चा, कर्माचारी की आगे की पढाई के लिए किया गया हुवा खर्चा, कर्मचारी के अचानक रिजाइन करने से कंपनी का होने वाला नुकसान आदि का विचार कोर्ट द्वारा किया जाता है, और क्रमचारि पर मुआवजा तय किया जाता है।
  2. कोर्ट द्वारा एम्प्लॉयमेंट बांड में लिखी राशि को कोई खास तवज्जो नहीं दीया जाता। इसका मतलब यह साफ-साफ है कि, अगर कंपनी द्वारा अपने कर्मचारी पर ऐसे कोई विशिष्ट खर्चे नहीं किए गए हो तो बांड में लिखी जुर्माने की राशि को कंपनी द्वारा कोर्ट से वसूल नही की जा सकता।बांड का उल्लंघन होने पर कंपनी अपने कर्मचारी से अपने खर्चे तो वसूल कर सकती है अगर सबूत हों तो, परंतु मात्र पेनल्टी के तौर पर कर्मचारी से किसी भी प्रकार की राशि वसूल नहीं की जा सकती।

कर्मचारी के लिए क्या सुझाव है

एंप्लॉयमेंट एग्रीमेंट को साइन करने से पहले उसको अच्छे से पढ लिया करें और अगर संभव हो तो उसमें लिखे एम्प्लॉयमेंट बांड के लिए कानूनी परामर्श कर लें। ज्यादातर कंपनियों द्वारा बांड मे भारी भरकम राशि इसलिए लिखी जाती हैं ताकि कर्मचारियों पर नौकरी में टिके रहने का दबाव बना रहें।
  1. बांड का उलंघन होने पर ज्यादातर कंपनियां कोर्ट में नहीं जाती। क्योंकि कंपनी द्वारा जल्दी नैकरी छोड कर गए कर्मचारीयों को डराने के लिए वे एक लीगल नोटीस भेज देती है जिसका जवाब इस लेख मे समझाए गए कानूनी प्रावधानों के तहत दिया जा सकता है।
  2. अगर किसी कर्मचारी के पास इस तरह कंपनी की कोई चीज है जैसे कि मोबाईल फोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, आदि तो रिजाइन करते समय वे सब चीजें कंपनी को लौटा दें और कंपनी से रिसीव के नाम पर एक नो ड्यू सर्टिफिकेट लेने की कोशिश करें। अगर कंपनी आपको ऐसा सर्टिफिकेट देने से मना करें तो ये सब चीजें कंपनी को लौटाने के सबूत आप अपने पास आवश्य रखें।

कंपनी के लिए क्या सुझाव है

  1. अगर कंपनी द्वारा अपने कर्मचारी पर, ऊपर बताए गए खर्चे किए जाते है तो कंपनी द्वारा उन सभी खर्चो का उचित रिकॉर्ड अपने पास रखना अनिवार्य है। क्योंकि, कोर्ट से मुआवजा मांगने के लिए ये सभी रिकॉर्ड अपने केस के साथ लगाना जरूरी होता है।
  2. इसतरह के केसस कोर्ट में अक्सर बहुत लंबे समय तक चलते हैं इसलिए कंपनियों को हमेशा सलाह यही देते हैं कि एंप्ल़यमेंट एग्रीमेंट में हमेशा आर्बिट्रेशन क्लॉज अवश्य लिखा करे, जिसकी मदद से कॉन्ट्रैक्ट में दिए बांड को बडि जल्दी से लागू किआ जा सकता है। आर्बिट्रेटर के द्वारा नुक्सान का आकलन करके थोडे से समय में ही मुआवजे का निर्धारण किया जा सकता है।


इस लेख के माध्यम से हमारे पाठको को एम्प्लॉयमेंट बांड क्या होता है? भारत में एम्प्लॉयमेंट बांड की कानूनी वैधता क्या है? क्या किसी को एक निश्चित अवधि तक नौकरी करने के लिए मजबूर किया जा सकता है? क्या समय से पहले नौकरी छोडने पर एंप्लॉयमेंट बॉनड में लिखी राशि देनी पडती है? इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के तहत मुआवजा कितना देना होगा? उचित मुआवजा कैसे तय होता है? कर्मचारी के लिए क्या सुझाव है कंपनी के लिए क्या सुझाव है? इसके बारेमे जानकारी देने का पुरा प्रयास किया है। यदी आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। इसी प्रकार कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे कानूनी पोर्टल apanahindi.com पर वाश्य भेट दे।


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