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एडवांस रकम लेकर भी रजिस्ट्रि कराने से मना करे तो कब्जे को कैसे बचाए? | जमीन विवाद को कैसे सुलझाएं? | डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस | possession of property in Hindi

एडवांस रकम लेकर भी रजिस्ट्रि कराने से मना करे तो कब्जे को कैसे बचाए? | जमीन विवाद को कैसे सुलझाएं? | डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस | possession of property in Hindi



अक्सर लोगोंके बिच में किसी प्रोपर्टी की लेनदेन का सैदा होता है, लेकीन कुछ दिनो बाद बेचने वाले व्यक्ति को किसी तिसरे व्यक्ति का अच्छा ऑफर मिलता है तब बेचने वाले की नियत बदलने के वजाह से वह पेहले व्यक्ति के साथ किया सैदा रद्द करता है अथवा रद्द करने की कोशीश करता है। तो ऐसे परिस्थिति मे खरिदने वाले को अपने कब्जे को बनाए रखने के लिए कुछ कानूनी जानकारी होना जरूरी होता है। तो आईये इस लेख के मदत से हम यह जानने की कोशिश करत है की, अगर बेचने वाला कुछ एडवांस रकम लेकर रजिस्ट्रि कराने से मना कर दे तो आप अपने कब्जे को कैसे बचाए? | जमीन पर कब्जा कानून | जमीन विवाद को कैसे सुलझाएं?

जमीन विवाद को कैसे सुलझाएं?

जमीनी विवाद को समझने के लिए एक उदहरण देखते है। एक व्यक्ति ने दुसरे व्यक्ति को लिखित कॉन्ट्रैक्ट के तहत अपनी प्रॉपर्टी उसको बेचने का फैसला किया। और उस लिखित कॉन्ट्रैक्ट के तहत दूसरे व्यक्ति ने कुछ एडवांस रकम पहले व्यक्ति को दे दीये। उसके बाद पहले व्यक्ति ने अपने प्रॉपर्टी का कब्जा दूसरे व्यक्ति को दे दिया। इसी बीच अभी एडव्हान्स रक्कम लेने के बाद जब रजिस्ट्री कराने का समय आया तब पहले व्यक्ति को एक ऐसा तीसरा व्यक्ति मिल जाता है जो उसे उसके प्रॉपर्टी की ज्यादा कीमत देने को तैयार रहता है। इस वजह से जब रजिस्ट्री कनाने का समय आता है तब पहला व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के पक्ष में उसके प्रॉपर्टी का रजिस्ट्री कराने से मना कर देता है और दूसरे व्यक्ति से उसके प्रॉपर्टी से कब्जा वापस लेने के लिये कोर्ट में केस भी दाखिल कर देता है।


रोजाना कोर्ट मे और रजिस्ट्री ऑफिस मे प्रोपर्टी के लेनदेन वाले मामलों में ऐसी समस्या काफी हद तक देखने को मिलती है। कई बर तो ऐसा भी होता है कि पहला व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के पक्ष में रजिस्ट्री कराने से पहले अपनी प्रॉपर्टी को किसी तीसरे व्यक्ति को बेच चुका होता है और दूसरे व्यक्ति पर कब्जा वापस लेने के लिए साम दाम दंड का इस्तेमाल करता है अथवा कोर्ट मे केस डाल देता है। एसी परिस्थिति मे खरिदार को बहोत ही दिखतो का सामना करना पडता है।

आइए जानें ऐसी परिस्थिति में दूसरे व्यक्ति अपने कब्जे को बचाने के लिए कौन-कौन से कानूनी तरीकों इस्तेमाल करना चाहिए।

अगर बेचने वाला व्यक्ति कुछ एडवांस रकम लेकर भी खरिदार करने वाले व्यक्ति को रजिस्ट्रि कराने से मना कर दे तो ऐसे परिस्थिती मे अपने कब्जे को बचाने के लिए कानून मे निम्नलिखित तरिकों का इस्तेमाल कर सकते है. वे इस प्रकार है।


ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 

कानूनी की नजरो में प्रॉपर्टी को दो अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया हैं- चल संपत्ति और अचल संपत्ति। भारतीय कानूनी व्यवस्था मे ट्रान्सफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट यह सबसे पुराने कानूनों में से एक है जो के प्रॉपर्टी और उसकी ट्रान्फर करने के कानूनी तरीके और कॉन्ट्रैक्ट के बारेमे विस्तार मे बताता है। अचल संपत्ति को ट्रांसफर करने की योजना बनाने वालों के लिए, इस अधिनियम के कुछ प्रमुख पहलुऔं को जानना जरूरी होता है।
  1. ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट यह लोगों द्वारा और कंपनीयों द्वारा अचल संपत्तियों को ट्रांसफर करने के लागू होता है। उदाहरण के लिए जैसे कि सेल, लीज, मोर्टगेज, एक्सचेंज, गिफ्ट या नीलामी से जुडे हुवे मामलों के लिए यह कानून लागू होता है।
  2. यह कानून अपने आप होने वाले प्रॉपर्टी ट्रांसफर के मामलों में लागू नहीं होता। उदाहरण के लिए जैसे कि विरासत, वसीयत, जब्ती, दिवालियापन या डिक्री के एग्जिक्यूशन करने के लिए किया गया बिक्री, आदी के मामलों को ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत कवर नहीं किया जा सकता।

डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस (आंशिक पालन का सिध्दांत)

डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस याने आंशिक पालन का सिध्दांत आज यह हमारे चर्चा का सबसे अहम पहलू है। इस सिध्दांत / डॉक्ट्रिन का सामान्य मतलब यह है कि कुछ स्थितियों मे करार के आंशिक पालन करने से भी कुछ अधिकार प्राप्त हो जाते है। कोई कॉन्ट्रैक्ट जैसे किसी वस्तु के खरिद-बिक्री के लिए किया गया हो उस में अधिकार तभी उत्पन्न होते है जब कि उस कॉन्ट्रैक्ट का पूरी तरह पालन हो जाए या उसके पालन के लिए कोई कार्य किया जाये। डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉरमेंस का जन्म इंग्लैंड में हुआ था लेकिन 1929 में संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 में संशोधन करके इसमें सेक्शन 53 को जोड दिया गया और पार्ट परफॉर्मेंस के सिध्दांत को इसमे शामिल कर लिया गया।

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 के सेक्शन 53ए के लागू होने के लिए शर्ते

सेक्शन 53ए के लागू होने के लिए निम्नलिखित शर्तें दिए गए हैः
  1. कॉन्ट्रैक्ट वैध और कानून द्वारा पालनीय किए जाने वाले होने चाहिए। शून्य कॉन्ट्रैक्ट पर यह सिध्दांत लागू नहीं होता हैं।
  2. कॉन्ट्रैक्ट लिखित रुपसे और हस्ताक्षरित किए होना चाहिए और वह कॉन्ट्रैक्ट किसी अचल संपत्ति के ट्रांसफर के लिए होना चाहिए।
  3. दूसरी पार्टी के द्वारा उस कॉन्ट्रैक्ट को अग्रसर करने के लिए कोई कार्य किया जाना चाहिए।
  4. दूसरी पार्टी इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत अपने वचन का पालन कर चुकी हो या पालन करने के लिए तैयार हो।

डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस को कैसे इस्तेमाल करें?

  1. यह डॉक्ट्रिन उन व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है जिनके पक्ष में प्रॉपर्टी का भावी ट्रांसफर होना है और प्रॉपर्टी के फ्रॉड होने से बचाती है। जब दूसरी पार्टी लिखित अनुबंध के तहत कुछ आशिक भुगतान करने के लिए भी तैयार है लेकिन पहली पार्टी रजिस्ट्री कराने से मना करती है तो ऐसे परिस्थिति मे यह डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस दूसरी पार्टी को संपत्ति पर कब्जे को बरकरार रखने के लिए मदत करता है और उस का हक भी देता है। इसका मतलब कब्जे के केस या निष्कासन के केस के द्वारा दूसरी पार्टी को  प्रॉपर्टी से नहीं निकाला जा सकता।
  2. अगर कॉन्ट्रैक्ट बनाने के बावजूद भी अगर कोई व्यक्ति उपरोक्त परिस्थिति के हिसाब से किसी प्रॉपर्टी से निकालने का केस डाल दें तो उसका उचित जवाब कोर्ट मे दाखिल करें जिसमें धारा 53 क के तहत इस डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस का विशिष्ट तौर पर डिफेंस उठाना चाहिए और कोर्ट को बताना चाहिए कि इस प्रावधान के तहत कब्जे से नही निकाला जा सकता। अपने जवाब के साथ लिखित कॉन्ट्रैक्ट की एक कॉपी और आंशिक भुगतान का सबूत अवश्य लगाएं।

कानूनी सलाह

  1. अगर प्रॉपर्टी से जुडे लेनदेन और उसके सारे मामलों के पक्के कागजों पर लिखित में होने शुरू हो जाए तो ना जाने कोर्ट में कितने केस कम हो जाएंगे। इस डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस का लाभ केवल वहि व्यक्ति ले सकता है जिसने प्रोपर्टी खरिदने के लिए लिखनत करार किया हो।
  2. इस डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस का लाभ तभी उठा सकते है जब आपके पास प्रॉपर्टी का कब्जा है। इस डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस को प्रॉपर्टी पर अपना कब्जा बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन कब्जा लेने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कब्जा लेने के लिए अलगसा कब्जे वाला केस डालना होता है।
  3. हमने इस डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस को प्रॉपर्टी की खरिद-फरोख्त के संदर्भ में समझाया है। अगर इस डॉक्ट्रिन के जरूरी तत्व मौजूद हों तो इस डॉक्ट्रिन का इस्तेमाल लीज, मॉर्टगेज आदि मामलों मे भी किया जा सकता है।

इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठको को एडवांस रकम लेकर भी रजिस्ट्रि कराने से मना करे तो कब्जे को कैसे बचाए? | जमीन विवाद को कैसे सुलझाएं? | डॉक्ट्रिन ऑफ पार्ट परफॉर्मेंस | possession of property in Hindi बताने की कोशिश की है। आशा है के आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो आप अपने परिजनो को और दोस्तो को हमारे इस वेबसाईट www.apanahindi.com के बारेमे जरूर बताएं।


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