चोरी, लूट और डकैती मे क्या फर्क है?
पुराने जमाने से समाज मे चोरी, लूट या डकैती जैसे अपराध होते आ रहे है। यह अपराध कम होने के बजाये दिन ब दिन बढते जा रहे है। क्योकि हम रोजाना खबरों में चोरी, लूट या डकैती जैसी खबरें सुनते और पढते रहते है। वैसे देखा जाए तो एक आम आदमी के लिए चोरी, लूट और डकैती यह सब संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के संबंध मे होने के कारण यह एक जैसे अपराध लग सकते हैं, लेकिन कानून की नजर में ये सभी अपराध एक समान नहीं है। इन अपराध को करने वाले व्यक्ति का अपराध करने का तरिका अलग अलग होता है। अक्सर हमने देखा है कि लोगों को ये शब्द तो पता होता हैं। परंतु कानून की नजरो में इनका फर्क पता नही होता। आइए, आज हम इस लेख के माध्यम से जानने की कोशीश करते है के इन तीनों अपराथों में क्या फर्क होता है।
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चोरी क्या होती है?
- चोरी की परिभाषा आई.पी.सी. की धारा 378 में बताया गया है। चोरी का मतलब है के, जब कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति के पास से किसी चल संपत्ति को उसकी सहमति के बिना बेईमानी के इरादे से निकाल लेता है तो वह चोरी कहलाती है। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति किसी दुसेरे व्यक्ति के घर में चुपके से घुसकर कोई मौल्यवान चल संपत्ति जैसे की पैसे, गहने, सामान इत्यादि उठाकर ले जाता है तो वह चोरी कहलाएगी।
- चोरी जैसे अपराध के लिए सजा आई.पी.सी. की धारा 379 मे गई है इसके तहत चोरी करने वाले को तीन साल तक की सजा या जुर्माना या दोनो हो सकता है। यहा पर ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर चोरी किसी निवास स्थान में की जाती है तो आई.पी.सी. की धारा 380 के तहत सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
लूट क्या होती है?
- लूट की परिभाषा आई.पी.सी. की धारा 390 मे दी गई है। लूट चोरी का एक उग्र रूप है। यदि कोई व्यक्ति चोरी का कार्य करने के इरादेसे चोट पहुंचाने, बंदी बनाने या मृत्यु का प्रयास करने का प्रयत्न करता है या वैसे करता है, तो इसे लूट के रूप में जाना जाता है। साधारण भाषा में इसका मतलब यह है कि यदि चोरी करते समय हिंसा का रुप लेता है तो उसे लूट की परिभाषा में गिना जाता है। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति के घर मे घुसकर उसके साथ मारपीट करता है और कोई मौल्यवान चल संपत्ति जैसे कि पैसे, गहने या सामान इत्यादि उठाकर ले जाता है तो वह लूट कहलाएगी।
- लूट के लिए सजा का प्रावधान आई.पी.सी. की धारा 392 में दी गई है जिसके तहत लूट करने के इरादे से आने वाले व्यक्ति को दस साल तक का सश्रम कारावास और जुर्माना हो सकता है। और यदि लूट किसी हाईवे पर सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच में की जाती है तो चौदह साल तक का सश्रम कारावास और जुर्माना हो सकता है।
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डकैती क्या होती है?
- डकैती की परिभाषा आई.पी.सी. की धारा 391 में दी गई है। इसके मुताबीत जब कहीं पांच या उससे भी अधिक लोग मिलकर कहीं कोई लूट करते हैं या लूट का संगठित प्रयास करते हैं तो वह डकैती कहलाती है। उदाहरण के लिए यदि पांच या अधिक लोग किसी घर में घुसकर लूट करते हैं तो वह डकैती कहलाती है।
- डकैती के लिए सजा का प्रावधान आई.पी.सी. की धारा 395 में दी गई है जिसके तहत दस साल तक का सश्रम कारावास या उम्रकैद की सजा और जुर्माना का प्रावधान है।
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चोरी, लूट और डकैती में गिरफ्तारी
- चोरी, लूट और डकैती यह तीनो अपराध संज्ञेय अपराध है। संज्ञेय अपराध का मतलब यह है कि इन तीनों अपराधों में पुलिस के द्वारा आरोपीयों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
- चोरी, लूट और डकैती यह तीनो ही अपराध गैर-जमानती अपराध हैं। इसका मतलब यह है कि इन तीनों अपराधों मे जमानत कोर्ट से ही ली पडती है।
कोर्ट मे कार्यवाही
चोरी क मामलों को किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष चलाया जाता है। लूट का केस फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के समक्ष चलया जाता है। डकैती का केस सेशन कोर्ट में चलया जाता है।
चोरी, लूट और डकैती में समझौता
चोरी एक समझौतावादी अपराध है यानी सम्पत्ति के मालिक से सुलह करके मामला खत्म किया जा सकता है। लूट और डकैती ये दोनो अपराध समझौतावादी अपराध नहीं है।
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कानूनी सलाह
जब भी किसी से कोई वस्तु खरीदते समय यह जरूरी जांच पडताल आवश्य कर की वह वस्तू चोरी की तो है या नहीं। क्योंकि चोरी की वस्तु को लेना या उसे अपने पास रखना आई.पी.सी. की धारा 411 के तहत एक दंडनीय अपराध है। यह एक संज्ञेय व गैर जमानती अपराध है जिसमें तीन साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है।
इस लेख के माध्यम से आपको चोरी, लूट और डकैती मे क्या फर्क है? और इसमे सजा कि क्या क्या प्रावधान है। इसके बारेमे पता चल गया होगा। जब भी आप कोई मौल्यवान सामाने किसी अंजान व्यक्ति के पास से खरिद रहे हो तो इसकी जांचपडताल करें कि आप जो मोबाईल खरिद रहे हो वह चोरि का तो नहीं है। यह जरूर देखे।
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