कलंदरा नोटिस 107/150/151 क्या होता है | चाप्टर केस क्या होता है | What is Chapter Case in Hindi
जब कभी समाज मे किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा शाती भंग करने का डर होता है तब पुलिस उन व्यक्तियों के खिलाफ सीआर.पी.सी. कि धारा 107/150/151 के तहत कलंदरा की नोटिस भेजती है और उनपर चाप्टर केस कर के उनसे बॉनंड लेती है। क्योंकी पुलिस का सबसे बडा काम समाज में शांति व कानून व्यवस्था को बनाए रखना होता हैं। हमे अक्सर अपने आसपास यह देखने और सुनने को मिलता है कि किसी व्यक्ति के द्वरा समाज की शांति को भंग करने की कोशिश कीया जा रहा है तो उसे रोकने के लिए पुलिस द्वारा एक कलंदरा नोटीस भेजी जाती है और उसपर चाप्टर केस दर्ज किया जाता हैं। उदाहरण के लिए जब कोई सार्वजनिक संथान पर हुडदंग करता है, दो पडोसियों में किसी बात पर कोई कहासुनी हो जाती है या परिवार के सदस्यों के बीच में कोई झगडा हो जाता है तो अक्सर पुलिस द्वारा उन व्यक्तियों के खिलाफ कलंदरा नोटीस भेज के एक चाप्टर केस दर्ज किया जाता है। यह प्रक्रिया इतनी आम होने के बावजूग लोगों में कानून की दृष्टि से इसके बारेमें जानकारी का काफी अभाव है। आइए इस लेख के माध्यम से आज हम कलंदरा नोटिस 107/150/151 क्या होता है | चाप्टर केस क्या होता है | What is Chapter Case in Hindi से जुडी महत्वपूर्ण कानूनी बातें समझने कि कोशिश करते है।
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सीआरपीसी की धारा 107 के तहत नोटीस
- किसी एग्जीक्यूटीव मजिस्ट्रेट को यह जानकारी मिलती है के, उसके पुलिस थाने के कार्य क्षेत्र मे कोई व्यक्ति शांति भंग कर सकता है अथवा सार्वजनिक शांति को नुकसान नुकसान पहुंचाने की संभावना होती है और उनकी राय में उस व्यक्ति पर कार्यवाही करने के लिए पर्यास आधार उपलब्ध हैं, तो वह ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करता है की उसे एक साल तक के किसी भी अवधि के लिए, जैसे कि मजिस्ट्रेट को ठीक लगे, शांति बनाए रखने के लिए एक बॉन्ड एक्जीक्यूट करने का आदेश क्यों न दिया जाए। ऐसे नोटीस दे सकता है।
- यह मुकदमा उस एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के समक्ष चलता है जिसके क्षेत्राधिकार में ऐंसी अशांती होने की आशंका होती है या फिर जिसके क्षेत्राधिकार में ऐसी अशांती फैलने वाला व्यक्ति मौजूद होता है।
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सीआरपीसी की धारा 150 के तहत नोटीस
हर पुलिस अधिकारी जिसे किसी संज्ञेय अपराध किये जाने की आशंका होती है अथवा जानकारी प्राप्त होती है तो वह ऐसी जानकारी को उस अधिकारी को देगा जिसका वह सबॉर्डिनेट है या संज्ञान ले सकता है।
सीआरपीसी की धारा 151 के तहत नोटीस
इसे पुलिस की बडि ताकत भी कहते है, इस कार्यवाहि से किसी भी असंघेय अपराध में बगैर वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है लेकिन पुलिस को संघेय अपराध में बिना किसी वारंट के सीधे गिरफ्तार करने की शक्ति प्राप्त है।
- सीआर.पी.सी. की धारा 151 के अंतर्गत पुलिस को यह शक्ति प्राप्त होती है कि वे किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार कर सकती है भले ही उसने कोई अपराध नहीं किया हो, अगर पुलिस अधिकारी को यह लगता है कि अगर उस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किआ गया तो वह व्यक्ति कोई न कोई संज्ञेय अपराध जरूर कर सकता है।
- इस धारा के तहत गिरफ्तार किये हुवे किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता। गिरफ्तार के 24 घंटे के भीतर व्यक्ति को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होता है। पुलिस जब भी किसी व्यक्ति को धारा 151 के अंतरगत गिरफ्तार करती है तो उसे आमतौर पर एस.डी.एम. के न्यायालय में पेश करती है।
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दो प्रकार के कलंदरे नोटीस
1. 107/150 सीआरपीसी
इस प्रकार के नोटीस में आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाता। इसमे आरोपी व्यक्ति को नोटिस भेजकर कोर्ट बुलाया जाता है जिस कोर्ट मे उस आरोपी का केस चलने वाला है।
2. 107/151 सीआरपीसी
इसमे प्रकार के कार्यवाह मे पुलिस द्वारा आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उसे 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है, जिस कोर्ट मे उस आरोपी का केस चलने वाला होता है।
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चाप्टर केसेस कहां चलते है?
1. इस प्रकार के चाप्टर केसेस एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के सामने चलाए जाते हैं न कि ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने। सामांन्य तौर पर देखे तो इस प्रकार के चाप्टर केसेस एस.डी.एम. के कोर्ट में चलते हैं।
2. दिल्ली में ये इस तरह के मुकदमे स्पेशल एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के समक्ष चलए जाते हैं जो के संबंधित क्षेत्र के ए.सी.पी. होते है।
चाप्टर केसेस मे जमानत कैसे मिलती है?
- सीआर.पी.सी. की धारा 107/150 में आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाता है। लेकिन, नोटिस में दि गई तारिख और समय पर आरोपी को मजिस्ट्रेट कोर्ट मे पेश होकर जमानत लेनी पडती है। और धारा 107/151 सीआरपीसी में आरोपी व्यक्ति को पुलिस द्वारा गिरफ्तार करके मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया जाता है जहां उसको जमानत लेनी पडती है।
- कलंदरे कि कार्यवाही के तहत आरोपी को कोर्ट मे पेश होने के लिए जो नोटिस जारि किए जाते है उसमे जमानत राशि लिखी हुई होती है। गिरफ्तार करके जब कोर्ट में पेश करते है तब भी जमानत कि राशि बताई जाती है।
- ध्यान दें कि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आरोपी को जमानत राशि कोर्ट में जमा करनी है। इसका मतलब इतना ही है कि आरोपी को इस राशि का एक पर्सनल बांड देना होता है और साथ ही जमानत के लिए कोर्ट में एक जमानत राशि के बराबर या उससे अधिक मुल्य की कोई सिक्योरिटी जमा करनी होती है। इसके लिए अक्सर जमानती के लिए अपने किसी वाहन की आरसी या किसी प्रॉपर्टी के कागजात या अपनी कोई एफडी जमा करता है। जमानती को अपने साथ अपना पासपोर्ट फोटो और एक पहचान पत्र जैसे कि आधार कार्ड या वोटर कार्ड लेकर जाना होता है।
समय सीमा
इस तरह के चाप्टर केसेस आमतौर पर 6 महीने के लिए चलते है जिसके बाद बॉंन्ड लेकर यह केस बंद कर दिए जाते है। इस दौरान आरोपी व्यक्ति को कुछ बार तारीख को पेश होना होता है। वैसे कानून के हिसाब से कोर्ट इन मामलों को अपने पास अधिकतम एक साल के लिए रख सकता है। हमने आमतौर पर कभी इन मुकदमों में कभी किसी को सजा होते हुवे नही देखा।
सरकारी नौकरी पर असर
- लोगों में यह काफी भ्रम होता है कि 107/150/151 का कलंदरा दर्ज होने के बाद उनकी सरकारी नौकरी चली जाती है। लोगों में यह भी भ्रम होता है कि ऐसा कलंदरा दर्ज होने के बाद सरकारी नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं किया जा सकता। ये दोनों बातें बिल्कुल गलत है।
- यह कलंदरा अपने आप में कोई अपराध नहीं हैं बल्कि अपराध को रोकने की पूर्व प्रक्रिया होती है। इसमे दिया गया बॉन्ड किसी भी अपराध को रोकने के लिए भरवाए जाता हैं ना कि किसी व्यक्ति द्वारा अपराध किए जाने के बाद।
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इसलिए इस प्रकार के कलंदरो के कार्यवाही का सरकारी नौकरी पर कोई असर नहीं होता। जब तक की कोई एफ.आई.आर. दर्ज ना हो जाए। सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करते वक्त भी ऐसे कलंदरो का रिकॉर्ड देना जरूरी नही होता जब तक की विशेष तौर पर ना पूछा जाए।
इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को कलंदरा नोटिस 107/150/151 क्या होता है | चाप्टर केस क्या होता है | What is Chapter Case in Hindi इसके बारेमें जानकारी देने कि कोशिश कि है। आशा है के आपको यह लेख पसंद आया होगा। साथ में आपको कलंदरा नोटिस और चाप्टर केस होने पर क्या करना चाहिए और वह कैसे किया जाता है यह पता चल गया है।
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