महर क्या है? | What is Dower in hindi
महर क्या है?
मुस्लिम कानून के मुताबिक, महर का मतलब यह है के, पति द्वारा पत्नी को अपनी शादि अथवा निकाह मे दिया जाने वाला प्रतिफल स्वरूप अथवा प्रेम तथा स्नेह स्वरूप दिया जाने वाला धन राशी अथवा संपत्ति है। जो के निकाह अथवा विवाह के दौरान पत्नी को पति द्वारा प्राप्त होने वाला उसका अधिकार है। लेकिन यह विचार नागरिक अनुबंध के समान नहीं है। महर मुस्लिम कानून के रिवाजो के अनुसार पति पर लगाया गया दायित्व है और गोताखोरी का उद्देश्य पत्नी को अपने विवाह के विघटन के बाद अपनी निर्वाह के लिए प्रदान करना है ताकि वह पति की मृत्यु के बाद असहाय न हो या तलाक से शादी समाप्त हो सके। मुस्लिम कानून के अनुसार महर न तो पत्नी का मुल्य है और न ही लैंगिक सम्बन्ध का प्रतिफल है। यह पत्नी का अधिकार है।
भारत के कानून के अनूसार क्रिमिनल प्रोसिजर कोड 1 9 73 की धारा 125 के अनुसार भरण पोषण की मात्रा को तय करते समय महर को भपण पोषण का हिस्सा भी माना जाता है। चूंकि महर की राशि के संबंध में मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक कोई स्पष्ट रुप से कटौती नहीं है, विभिन्न मामलों में भारत के विभिन्न उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के ने महर से संबंधित विभिन्न धारणाएं प्रदान की हैं।
तलाक की स्थिति में महर का भुगतान नहीं किया जाए तो क्या होता है?
मुस्लिम कानून के अनुसार विवाह याने निकाह यह पति और पत्नी के बीच एक अनुबंध है। और महर पत्नी को मुवावजा भुगतान करना अथवा भुगतान करने का वादा किया गया है। तब निकाह किया जाता है। सोचा जाए तो भुगतान के मामले में अनुबंध की तरह अमान्य घोषित किया जाता है। यदि महर राशि का भुगतान नहीं किया जाता है और पति तलाख देना चाहता है तो महर की राशी का भूगतान किए बिना तलाक को भी अमान्य माना जाता है। महर विवाहित मुस्लिम महिलाओं का अधिकार होता है और यदि अगर पति अपने पत्नी को महर का भुगतान करने से इंकार कर देता है तो वह अपने पति पर मुकदमा कर सकती है।
महर के मामले में पत्नी के अधिकार क्या हैं?
मुस्लिम कानून के मुताबिक महर एक ऋण याने कर्जा की तरह है और पति निकाह से पेहले अपनी पत्नी को महर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है। जब तक पति महर का भुगतान नहीं करता है, तबतक पत्नी अपने पति के साथ सहवास का विरोध करने का अधिकार रखती है। अगर पत्नी पति की संपत्ति के कब्जे में है, तो उसे तब तक बनाए रखने का अधिकार है जब तक कि महर का भुगतान नहीं किया जाता है। उसे संपत्ति के लिए शीर्षक नहीं मिला है और इसे अलग करने का अधिकार नहीं है।
एक पत्नी को किस तरह के महर का भुगतान किया जाता है?
महर की विषय-वस्तु
- कोई भी मूल्यवान वस्तु,धनराशि या सम्पत्ति।
- चल, अचल, मूर्त या अमूर्त कोई भी सम्पत्ति।
- प्रलाभ
- किसी व्यापार या जीवन बीमा पॉलिसी का लाभ।
- पति द्वारा पत्नी को कुरान का पाठ कराना।
- पति द्वारा एक निश्चित अवधि तक पत्नी की सेवा करना या उसका वचन देना।
ऐसी सम्पत्ति जो वर्तमान मे अस्तित्व मे न हो महर की विषय-वस्तु न होगी। शराब, सूअर, या ऐसी ही कोई वर्जित सम्पत्ति महर की विषय-वस्तु नही हो सकती क्योंकि ये इस्लाम के विरूध्द माली जाती है।
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महर के प्रकारः-
एक महर आमतौर पर दो प्रकार का होता है -
शीघ्र महर:
इसका मतलब यह है की, यह निकाह के अनुबंध पर हस्ताक्षऱ करते समय पति द्वारा पत्नी को महर दिया जाता है।
स्थगित महर:
इसका मतलब है, वह महर का हिस्सा जो निकाह में निर्दिष्ट पति या पति की मृत्यु के माध्यम से विवाह के विघटन के समय पत्नी को दिया जाता है। इसके लिये विलम्ब नही होना चाहिये। यदी विलम्ब होने पर पत्नी व्याज भी वसूल कर सकती है। यदि सम्भोग नहीं हुआ हे तथा पत्नी द्वारा मुअज्जल महर की माँग कर दी गई है, वहाँ जब तक पति भुगतान नही कर देता तब तक पत्नी उसे सम्भोग से करने से इंकार कर सकती है।
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क्या महर की राशि मे परिवर्तन किया जा सकता हैः-
महर की राशि घटाई नही जा सकती है, लेकीन पत्नी इसे स्वेच्छा से महर की भुगतान के दायित्व से क्षमा कर सकती है। ऐसी क्षमा सम्पूर्ण राशि हो सकती है अथवा उसके किसी अंश के प्रति हो सकती है।
क्या एक पत्नी महर के अपने अधिकार को छोड़ सकती है?
निकाह पूर्ण हो जाते ही महर पत्नी का अधिकार निहित हो जाता है। वह महर की माँग करने या न करने के लिये पुर्ण रुप से स्वतन्त्र होगी। पत्नी चाहे तो महर को माफ भी कर सकती है। माफी पूर्ण राशि अथवा उससे किसी अंश के प्रति हो सकती है। माफी विधि सम्मत होनी चाहिये। विधि सम्मत निम्नलिखित हैः-
- माफी करते समय पत्नी वयस्क एवं स्वस्थचित्त होनी चाहिये। ऐसी माफी हिबा-ए-महर कहलाती है। इस सम्बन्ध मे थोडी अनिश्चितता है कि माफि के सम्बन्ध मे वयस्कता की आयु 15 वर्ष अथवा 10 वर्ष होगी।
- माफी स्वतन्त्र सहमति से होनी चाहिये।
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