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घरेलू हिंसा अधिनियम और उसके मुकदमे । क्रोस ऐग्जामिनेशन में पूछे जाने वाले प्रश्न | The Domestic Violence Act and its lawsuits

घरेलू हिंसा अधिनियम और उसके मुकदमे । क्रोस ऐग्जामिनेशन में पूछे जाने वाले प्रश्न | The Domestic Violence Act and its lawsuits



परिचय

इस लेख मे हम घरेलू हिंसा अधिनियम और उसके मुकदमे । क्रोस ऐग्जामिनेशन में पूछे जाने वाले प्रश्न | The Domestic Violence Act and its lawsuits के बारेमे जानकारी हासील करने वाले है। इसमे घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 (Protection of Women from Domestic Violence Act 2005) के मामलो मे क्या क्या नियमावली है और इस तरह के मामलो मे किस तरह बचाव लिया जा सकता है यह सविस्तर मे बताया है।


घरेलू हिंसा अधिनियम और उसके मुकदमे (The Domestic Violence Act and its lawsuits):-

घरेलू हिंसा अधिनियम के निर्णय की आवश्यकता के मुख्य कारण, बदली हुई सामाजिक स्थिति और विवाहित महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय/उत्पीड़न हैं। विवाहित महिला और उनके मायके के परिवारों के लोगोको शादी के बाद दबाव मे रखकर उनसे अवैध और गैर-कानूनी मांगो ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया। और, जब ऐसा नहीं किया गया, तो उसके परिवार वालो के लोगो के साथ बुरा व्यवहार करके उन्हे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का दिन ब दिन बढता गया।


इन सब को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 (Protection of Women from Domestic Violence Act 2005) इस कानून को बनाया गया। प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालतों में (JMFC) ऐसे मामलों के संचालन के लिए प्रावधान किया गया। वास्तव में, भले ही मामले की प्रकृति आपराधिक है, लेकिन इसका इस्तेमाल अंतमे समलेवाला / आरोपी को सजा देने के नहीं होता है।



हालांकि, इस कानून में संख्या के मात्रा से बहुत कम धाराएं हैं, लेकीन पीड़िता के पति और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ विभिन्न मांगें की जा सकती हैं। वे इस प्रकार हैं:-

  1. सामनेवाला / आरोपी ने आवेगनकर्ता / फिर्यादी के खिलाफ घरेलू हिंसा की।
  2. आवेदनकर्ता / फिर्यादी और सामनेवाला / आरोपी इनके बिच पति-पत्नी का रिश्ता हैं।
  3. अगर घरेलू हिंसा का आरोप है, तो वह मामला अदालत में दर्ज करने के लिऐ कानून द्वारा कोई समय सिमा (Limitation) निर्धारित नहीं है।
  4. गुजारा भत्ता की राशि अथवा अन्य राशियों के रूप में मांग हो इसके लिए कोई सीमा नहीं है।
  5. इस अधिनियम के तहत महिलाओं के खिलाफ भी आवेदन किया जा सकता है। उदा. सास, पति की बहन, भाभी आदि।
  6. इस अधिनियम के अनुसार प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट को लिखित आवेदन देना होता है। मजिस्ट्रेट, आवेदन की पहली सुनवाई की तारीख से 60 दिनों के भीतर, इस धारा के तहत किए गए आवेदन का निपटारा करेगा।
  7. धारा 12 के तहत निर्धारित सुनवाई की तिथि की सूचना, आवेदन प्राप्त होने की तिथि से अधिकतम दो दिनों के भीतर अथवा अगली उपयुक्त अवधि में, जिसे मजिस्ट्रेट द्वारा अनुमोदित किया जाएगा, वह मजिस्ट्रेट द्वारा रक्षा अधिकारी को दी जाएगी। और उस नोटिस द्वारा निर्धारित तरीके से सामनेवाला / आरोपी और कोई अन्य व्यक्ति को नोटीस देंगे जैसा कि मजिस्ट्रेट द्वारा निर्देशित किया गया है।
  8. काऊन्सिलींग - इस अधिनियम के तहत कार्यवाही के किसी भी चरण में, मजिस्ट्रेट सामनेवाला / आरोपी अथवा आवेदनकर्ता / फिर्यादी / पीड़ित को अकेले या संयुक्त रूप से काऊन्सिलींग लेने का आदेश दे सकता है।
  9. मजिस्ट्रेट को किसी भी कार्यवाही में विशेषज्ञों की सहायता, अपने कर्तव्यों को पूरा करने के उद्देश्य से, उसे जो ठिक लगे ऐसे किसी व्यक्ति द्वारा सहाय्य ले सकता है।
  10. इन्टेरियम मेंटेनंन्स को एकतरफा आदेश जारी करने का अधिकार


ए) मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के तहत किसी भी कार्यवाही में, जैसा वह उचित समझे, इन्टेरियम मेंटेनंन्स का एकतरफा आदेश दे सकता है।

बी) यदि मजिस्ट्रेट को यह विश्वास हो जाता है कि, प्रतिवादी ने घरेलू हिंसा का कार्य किया है अथवा ऐसा कार्य कर रहा है अथाव ऐसा कार्य करने की संभावना है, तो सामनेवाला / आरोपी के खिलाफ इसतरह का एकतरफा आदेश पारित किया जा सकता है।

ग) मजिस्ट्रेट, इन नियमों के अनुसार, यह आदेश दे सकता है कि ऐसे मामलो मे जो भी आदेश दिये गये है उसकी एक प्रति आवेदन कर्ता के पक्षकारों को निःशुल्क दी जाए।


क्रोस ऐग्जामिनेशन में पूछे जाने वाले प्रश्न:-

आम तौर पर, पीड़िता ने इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार विभिन्न मांगों को लेकर अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया होता है। उस आवेदन पर समनेवाले की ओर से आवेदनकर्ता की क्रोस ऐग्जामिनेशन निम्न प्रकार की प्रश्नोसे किया जा सकता है।

  1. सामनेवाला और आपकी शादी को लगभग 10 साल पुरे हो चुके हैं।
  2. इस शादी के रिश्ते से आपको एक बेटा और एक बेटी है।
  3. तुम्हारे दोनों बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं।
  4. आपके पति एक राष्ट्रीयकृत बैंक में कैशियर के रूप में कार्यरत हैं।
  5. आप स्वयं सुशिक्षित हैं, लेकिन, आप घर के काम के अलावा कुछ नहीं करते।
  6. आपका मायका, जहाँ आप रहते हैं उसी शहर में है।
  7. आपकी माता, आपके ससूराल को लगातार आती-जाती रहती हैं।
  8. सामनेवाला को काम के वजाह से घर आने के लिए देर होती रहती है, इसलिए आप हमेशा संदेह के कारण सामनेवाला से बहस करते रहते हैं।
  9. इन्हीं वजहों से आप कई बार घर से निकल कर अपने मायके चले गए, और हर बार सामनेवाला ने आपको समझा कर लेकर आए।
  10. सामनेवाला की आर्थिक स्थिति अच्छी है और उन्होंने कभी भी आपसे अथवा आपके मायके से कोई भी मांग नहीं की है।
  11. आप दिवाली के अवसर पर मायके गए हैं, और तभी से आप बच्चों को सांनेवाला के पास रख कर बिना किसी कारण के अपने मायके में रह रहे हैं।
  12. समनेवाले ने कई बार आपको बुलाने की कोशिश की लेकिन आप नहीं आए।
  13. आपने समनेवाला के खिलाफ कंपलेन्ट दाखिल करने से पहले वकीलों के माध्यम से समनेवाला को नोटिस नहीं दिया और नाही पुलिस में कोई शिकायत दर्ज की गई है।
  14. सामनेवाला / आरोपी ने आपका कभीभी किसीभी प्रकार का घरेलू हिंसा नहीं कीया है।
  15. आपके द्वारा अदालत में दी गई गवाही और आपके आवेदन में दिए गए बयानों के बीच काफी फरक है।
  16. आपने कोर्ट में जो गवाही दी है उसमें बिल्कुल नई कहानी बताई गई है।
  17. आपके द्वारा सामनेवाला / आरोपी पर लगाए गए आरोपों को प्रमाणित करने के लिए आपके अपने शब्दों के अलावा कोई लिखित अथवा मौखिक साक्ष्य नहीं है।
  18. समनेवाला ने आपके साथ ग्रहस्ती बसाने के लिए फैमिली कोर्ट में रेश्टीट्यूशन ऑफ कॉन्जूगल राईट का आवेदन किया है और उसका काम अभी चल रहा है।
  19. आप ने समनेवाला के साथ ग्रहस्ती छोड़ कर बिना किसी कारण के अपने मायके जा कर रह रहे हैं।
  20. सामनेवाला को परेशान करने के लिए और पैसे निकालवाने के लिए आपके द्वारा झूठा आवेदन दायर किया गया है।


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