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आई.पी.सी. धारा 323 क्या है? | What is Section 323 of I.P.C. in Hindi

आई.पी.सी. धारा 323 क्या है? | What is Section 323 of I.P.C. in Hindi



आई.पी.सी. धारा 323 क्या है?

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 323 यह किसी भी व्यक्ति को मारपीट करने अथवा घायल करने के इरादे से स्वेच्छा से किसी को नुकसान पहुंचाता है अथवा कोई शरीरीक अंग को नुकसान पहुंचाता है, तो वह व्यक्ति इस धारा 323 के तहत दोषी माना जाता है। इसमे यदी किसी को सामान्य चोट भी लगती है, अथवा यदि कोई किसी को थप्पड़ मारता है, या फिर पीटता है उसका हाथ घुमाता है, जिससे उस व्यक्ती को कोई नुकसान होता है, तो वह व्यक्ति आई.पी.सी. की धारा 323 के तहत दोषी ठहराया जाता है।


धारा 323- स्वेच्छया उपहति कारित करने के लिए दंड—

उस दशा के सिवाय, जिसके लिए धारा 334 मे उपबंध है, जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनो मे से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनो से, दंण्डित किया जाएगा।

323. Punishment for voluntarily causing hurt.-

Whoever, except in the case provided for by section 334, voluntarily causes hurt, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one year, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both.

Classification of offence

i) Punishment – Imprisonment for one year or fine of Rs. 1,000/- or both.
ii) Non-Cognizable
iii) Bailable
iv) Triable by any magistrate
v) Compoundable by the person to whom the hurt is caused.


सरकार पक्ष को अपराध साबित करने के महत्व पुर्ण मुद्देः-

इस धारा के तहद आरोपी का अपराध साबित करने के लिए सरकार पक्ष को निम्नलिखित मु्द्दो को साबित करना होगा।

1) आरोपी ने शिकायतकर्ता को चोट पहुंचाई और
2) आरोपी ने जानबूझकर चोट पहुंचाई
3) यदि शिक्षक छात्र को सुधार करने के लिए दंडित करता है, तो यह अपराध नहीं है।
4) शिकायतकर्ता को हुई चोट के संबंध में साक्ष्य शिकायतकर्ता को ही लाना होगा। ऐसे मामले में केवल शिकायतकर्ता का ही साक्ष्य पर्याप्त नहीं है, क्योकी उसके साक्ष्य को समर्थन करने के लिए अन्य सबूत कानूनी तौर पर अदालत के समक्ष लाए जाने चाहिए।


शिकायतकर्ता और उसके गवाहों के साक्ष्य विश्वसनीय होने चाहिए। अंन्यथा आरोपी बचाव मे यह कह सकता है कि यह घटना हुई नहीं थी।

क्रोस एग्जामिनेशन के सवालः-

लड़ाई के दौरान चोट लगने की स्थिति में, शिकायतकर्ता से निम्नानुसार क्रोस एग्जामिनेशन की जा सकती है वह इस प्रकार है।–

1) घटना चौक में दोपहर 2 बजे की है।
2) घटना के वक्त काफी भीड़ जमा हो गई थी।
3) घटना के वक्त वादी और आरोपी के बीच कहासुनी हो गई थी।
4) जिससे आपको टक्कर लगने से चोट लग गई।
5) जब आप पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद जांच के लिए अस्पताल जाना चाहते हैं? एसे पुलिस ने आपसे पूछा उस समय आपने अस्पताल नही जाने के बारेमे कहा।
6) आपने अस्पताल जाने से मना कर दिया क्योंकि आपको चोट लगी नहीं थी।
7) अदालत में दि गई आपकी गवाही और पुलिस थाने में आपकी शिकायत इन दोनो के बीच बहुत फरक है।
8) आपने पिछले झगड़े के गुस्से को ध्यान में रखते हुए आरोपी के खिलाफ झूठा मामला बनाकर दर्ज किया है।





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