आईपीसी की धारा 304 ए क्या है? | क्रोस ऐग्जामिनेशन मे पुछे जानेवाले प्रश्न | What is Section 304 A of I.P.C. in Hindi
आईपीसी की धारा 304 ए क्या है?
यदि किसी व्यक्ती के लापरवाही के वजह से अथवा असावधानी के वजाह से अथवा उतावलेपन के वजाह से किसी दुसरे व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है जिसे आपराधिक मानव वध के अंतर्गत नहीं आत हो तो उस व्यक्ती पर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 304 A तहद मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। क्यूंकी, यह एक संज्ञेय अपराध होने के वजाह से पुलिस द्वारा शिकायत दर्जर करने के बाद तुरंत संज्ञान लिया जाता है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाता है और यह एक जमानती अपराध होने के वजाह से आरोपी जमानत ले सकता है। अपराध सिद्ध हो जाने पर आरोपी को दो वर्ष का कारावास या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
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धारा 304 ए- उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना-
जो कोई उतावलेपन के या उपेक्षापूर्ण किसी ऐसे कार्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा, जो आपराधिक मानववध की कोटि में नहीं आता, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
Section 304 A – “Causing death by negligence” -
“Whoever causes the death of any person by doing any rash or negligent act not amounting to culpable homicide, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.”
Classification of offence
- Punishment- Imprisonment for two year or fine or both.
- Cognizable
- Bailable
- Triable by JMFC
- Non-Compoundable
टिप्पणी: -
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 304 (ए) के शब्दों के रचनाओ को देखते हुए, यह प्रतीत होता है की, इस धारा का विस्तार बहोत बड़ा है। इस धारा को न केवल दुर्घटना के मामले में, बल्कि दुर्घटना के मामले के अलावा यदि कोई व्यक्ति किसी लापरवाही या लापरवाहीपूर्ण कार्य के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु के लिए जिम्मेदार होता है और एक गैर-इरादतन हत्या नहीं है, तो उस मामले मे धारा 304 (ए) के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। यदि कोई चिकित्सक (डॉक्टर) किसी घायल व्यक्ति या बीमार व्यक्ति के उपचार में लापरवाही करता है और उसी लापरवाही के वजाह से उस बीमार या घायल व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ धारा 304 (ए) के तहद मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
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सरकारी पक्ष द्वारा कौनसे मुद्दो को साबित करना आवश्यक है?
इस धारा के तहत दायर किये गये एक मामले में, सरकारी पक्ष द्वारा निम्नलिखित मुद्दो को साबित करना आवश्यक है। वे इस प्रकार है।
- संबंधित व्यक्ति की मृत्यु हो गई है।
- उसके मौत के लिए आरोपी जिम्मेदार है। और
- आरोपी द्वारा किऐ गऐ लापरवाही की वजाह से मृत्यू हो गई है।
हालांकि, इस तरह के कृत्य को गैर इरादतन हत्या का कार्य नहीं माना जाना चाहिए।
इस धारा के तहत मामले में आरोपित के खिलाफ आरोप और मामले के तथ्य के बारेमे पहले पता कर लेना चाहिए। खासकर, अगर डॉक्टर के लापरवाही के वजाह से मरीज की मौत हुई हो, तो ऐसे मामलों मे क्रोस ऐग्जामिनेशन करने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में पर्याप्त ज्ञान होने की आवश्यकता होती है।
दुर्घटना से मृत्यु :-
ऐसे मामलों में सरकार पक्ष की ओर से विभिन्न गवाह हो सकते हैं। प्रत्यक्षदर्शी गवाह, चिकित्सा अधिकारी, पंच आदि गवाहों से क्रोस ऐग्जामिनेशन करना जरूरी है। और एक चश्मदीद गवाह ऐग्जामिनेशन इन चिफ को पूरी तरह से अध्ययन करने के बाद ही उसका क्रोस ऐग्जामिनेशन कीया जानी चाहिए।
मृतक के साथ गवाह का क्या रिस्ता है? गवाह के निवास का स्थान और घटना स्थल ईन के बीच की दूरी, घटना के कितने दिनो के बाद गवाहों ने पुलिस के समक्ष अपना जबाब दिया? घटना के बाद ऐसे गवाहो का व्यवहार कैसा था आदी मुद्दे महत्वपूर्ण होते है।
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क्रोस ऐग्जामिनेशन मे पुछे जानेवाले प्रश्न :-
दुर्घटना में एक व्यक्ति की मृत्यु होने के मामले में चश्मदीद गवाहों से क्रोस ऐग्जामिनेशन (जिरह) कुछ इस प्रकार हो सकती है।
- घटना के समय रात के 8:00 बजे थे।
- उस समय बहुत अंधेरा था।
- घटना स्थल और आपके बीच की दूरी 100 से 125 फीट है।
- घटना के समय आप अपने काम में व्यस्त थे।
- घटना के बाद जोर-जोर से शोर-शराबा हुआ।
- फिर तुम चीखने-चिल्लाने की आवाज से घटनास्थल पर गए।
- उस समय आपने एक इसम को घायल अवस्था मे देखा।
- अगले दिन जब पुलिस आस-पास छानबीन और पुछ ताछ कर रही थी तब आप खुद होकर पुलिस के पास नहीं गए।
- पुलिस को दिए गए जवाब में और कोर्ट में दिए गए जवाब में महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र नहीं किया गया, क्या वे घटनाएं आप पहली बार बता रहे हैं?
- मृतक व्यक्ती आपका रिश्तेदार होने के वजाह से, आप कोर्ट मे आरोपी के खिलाफ झूठी गवाही दे रहे हैं।
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