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दस्तावेज़ कैसे बनाते हैं? / How to create Deeds & Documents in Hindi

दस्तावेज़ कैसे बनाते हैं? / How to create Deeds & Documents in Hindi

Photo by Alex Green from Pexels

परिचय

        दस्तावेज कैसे बनाते है? और उसके लिए कौन-कौन सी सावधानीया बरती जानी चाहिए? इन सभी चीजों को देखने और समझने से पहले, हमे यह तय करना होगा कि, हम किस तरह का दस्तावेज बनाना चाहते है। क्योंकि, लगभग सभी प्रकार के अनुबंधों (ॲग्रीमेंट) को दस्तावेज कहा जाता है। ईन सभी बतोको समझनेके लिए, आइए देखें कि दस्तावेजो में कौन-कौन से प्रकार होते हैं।

 दस्तावेजों में खरीद का विलेख, बिक्री का विलेख, बिक्री का अनुबंध (जिसे अंग्रेजीमे ॲग्रीमेंट फोर सेल कहा जाता है।), किराये का विलेख (लिज ॲग्रीमेंट), वसीयतनामा (विल),बंधकपत्रक (मोर्टगेज डीड), शीर्षक विलेख, साझेदारी विलेख (पार्टनरशिप डिड), संशोधन विलेख, आदि कई प्रकार ईसमे शामिल हैं। इसलिए, सबसे पहले आपको यह तय करना होगा कि आपको कौन सा दस्तावेज बनाना हैं। 


दस्तावेजो को पंजीकृत करना अनिवार्य है या नही?

       हमे  कौनसा दस्तावेज़ तैयार करना है, यह तय करने के पश्चात अगला महत्वपूर्ण सवाल यह है कि उस दस्तावेज को पंजीकरण अधिकारी (रजिस्ट्रार) के पास ले जाकर, हमे दस्तावेज़ को पंजीकृत करना है या नहीं। कुछ दस्तावेज ऐसे हैं जिनको कानूनन पंजीकरण करना अनिवार्य(जरूरी) है और कुछ दस्तावेज को पंजिकरण करना अनिवार्य(जरूरी) नही। ईसलिये, हमे यह देखना जरूरी है के, हमारे द्वारा जो दस्तावेज बनाया जा रहा है, वह दस्तावेज़ किस प्रकार मे आता है, यह देखना सबसे महत्वपूर्ण है। यदि, हमारे द्वारा बनाए जा रहे दस्तावेज़ को कानून पंजिकृत करना अनिवार्य है, तो हमारे इच्छा का कोई सवाल ही नहीं आता। क्योकी, इस दस्तावेज को पंजिकरण करना ही होगा। लेकिन, कुछ ऐसे दस्तावेज हैं, जिन्हें पंजीकृत करना अनिवार्य नहीं है। जैसे उदाहरण के लिए,  वसीयतनामा (विल, याने मृत्यूपत्र) एक दस्तावेज है जिसे पंजीकृत करने की कोई आवश्यकता नहीं है। पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी यह तब भी मान्य होता है, जब नोटरी पब्लिक द्वारा पुष्टि की जाती है। बक्षिस पत्र कोभी पंजीकृत करना अनिवार्य नहीं है। ज़ाहिर है, यह तय करना आवश्यक है कि, हमारा बनाया गया दस्तावेज, पंजीकरण करानेके लिस्ट में आता हैं या नहीं। कई बार, वस्तू की कीमत भी यह निर्धारित करती है कि, दस्तावेज को पंजीकरण कराना अनिवार्य है या नहीं। इसलिए, इस मामले को ठीक से जांच करने की जरूरत है।


दस्तावेज को कितनी रक्कम का स्टॅम्प लगाना होगा?

        दस्तावेजों को पंजीकृत करने के बारेमे पुष्टि करने के बाद अगला सवाल आता है के, स्टाम्प ड्यूटी कितने रक्कम का लगाना है? यदि एक दस्तावेज़ पंजीकृत करना चाहते हैं, तो स्टैम्प अधिनियम की पुस्तक से प्रचलित याने जो चल रहा है उस स्टैंम्प की दर का पता लगाना होगा। उद. के लिए, एक वसीयतनामा को किसी मोहर की आवश्यकता नहीं है यदि आप एक हलफनामा(ॲफिडेव्हीट) बनाना चाहते हैं, तो आपको कमसेकम रुपये 20/- या 100/- रूपये का स्टाम्प शुल्क देना होगा। साधासा समझौता, ईसारा पावती, गिफ्ट डिड आदि के दस्तावेजो को रुपये 100/- के स्टाम्प पेपर पर किया जाता है। और, पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे दस्तावेजो को आमतौर पर रुपये 100/- या 500/- के स्टांप पेपर पर किया जाता है। ईसलिए, आवश्यक दस्तावेजो के नुसार स्टैंप पेपर ड्यूटी दिया जाना चाहिए और उन स्टैंम्प पेपर पर दस्तावेज़ लिखा अथवा टाइप किया जाना चाहिए।


यदि दस्तावेज़ को पंजीकृत करवाना है, तो एकबार पंजीकरण अधिकारी उनको मिलकर, उन्हे दस्तावेज का कच्चा मसौदा दिखाकर, उस दस्तावेज को कितने मुल्य का स्टाम्प लगाना चाहिए, इसका पुछताछ करना आवश्यक है। क्योंकि, इसके संबंध में पंजीकरण अधिकारी उनकी राय अलग होनेकी संभावना हो सकती है। यदि आपकी राय के अनुसार स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है, तो पंजीकरण अधिकारी की एक अलग राय हो सकती है। सिर्फ इसी एक वजाह से भी, पंजीकरण अधिकारी इस तरह के दस्तावेज को पंजीकृत करने से इनकार कर सकता है, और यदि पंजीकृत होता भी जाता है, तो उसपर “इम्पौंडेड” ऐसा शेरा दिया जाता है। इन सभी तकलिफो से बचने के लिए, पहले पंजीकृत अधिकारी उन से संपर्क करके पुछताछ करना सबसे बेहतर रहेगा। इससे, आगे आनेवाले संकटो से बचा जा सकता है।


इसके अलावा, आमतौर पर दस्तावेज तैयार करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है: -

1) रिक्त जगह:-

अ) जब आप स्टांम्प पेपर पर एक दस्तावेज लिखना शुरू करते हैं, तो स्टाम्प डीलर के संकेत के नीचे से लिखना शुरू करना चाहिए। स्टांम्प के पीछे कुछ भी लिखाना नही चाहिए।

ब) इसके अलावा, स्टैम्प पेपर पर लिखते समय और स्टैम्प के अलावा, बाईं ओर साढ़े तीन इंच जगह छोड़ दे। साथ ही दाईं ओर एक इंच जगह छोड़ना भी आवशक है। उसी तरह, स्टैंप के अलावा इस्तेमाल किए गए कागज पर भी समान मार्जिन छोड़ दिया जाना चाहिए। वरना शायद, तकनीकी कारणों से, ऐसी संभावना है कि, पंजीकरण अधिकारी इस तरह के दस्तावेज़ो को रिकॉर्ड करने से इनकार कर देगा।

2) पंजीकरण शुल्क: -

स्टाम्प के अलावा, पंजीकरण शुल्क का भुगतान करना होगा। यह प्रत्येक दस्तावेज़ के अनुसार बदलता रहता है। इसलिए, कितना शुल्क भरना चाहिए इसकी जानकारी पेहले ही निकाल कर रखना उचित होगा। 

3) परिचय के लिए: -

दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए जाते समय, दो पहचान करने वाले व्यक्ती को साथ मे लेजाना चाहिए, जो दस्तावेज़ निर्माता को पहचानता हो और पंजीकरण अधिकारी को पहचानता हो। इसका मतलब यह है कि बादमे पहचान का सवाल नहीं उठेगा। इसके अलावा, यह बेहतर होगा कि, यदी कोई वकील अपना परिचय याने पहचान दे।

4) दस्तावेजों की प्रती: -

दस्तावेज़ की प्रतियां निकाल कर रखना बहोत महत्वपूर्ण है। आम तौर पर चार से पांच प्रतियां निकाली जानी चाहिए, एसे करनेसे भविषमे कोई दिक्कत नहीं होगी।


इन सभी सामान्य बातो पर गौर करने के बाद, आइए देखते है कि, दस्तावेज़ मे लिखी जानेवाली लिखावट और उसकी सामग्री के बारे में कौन-कौन से बातो पर ध्यान रखा जाना चाहिए। क्योकी, दस्तावेज़ के प्रकार के आधार पर, उसे लिखी जाने वाले सामग्री बदल सकती है।


हालाँकि, यदि आप निम्न बातों पर ध्यान देते हैं, तो इसमें त्रुटियाँ होने की संभावना कम हो जाती है। आइए देखते हैं क्या हैं वो चीजें।


1) दस्तावेज़ में राशि (मुआवजा) का उल्लेख: -

दस्तावेज़ में राशि याने मुआवजा आमतौर पर संख्याओं और अक्षरों में लिखी जानी चाहिए। दोनों में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। और यह स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए।

2) दस्तावेजों में अधिकार: -

यह स्पष्ट होना चाहिए कि दस्तावेज़ में कौन-कौन से अधिकारों का उल्लेख है। यह सुनिश्चित करें कि इसका कोई दुसरा अर्थ तो नहीं निकलता है।

3) दस्तावेजों मे संपत्ती का विवरण: -

यदि दस्तावेज़ में जो कोई संपत्ती शामिल है, तो उस संपत्ती का विवरण स्पष्ट होना चाहिए। उस संपत्ती की चतुर्सीमा (पुरब, पश्चीम, उत्तर, दक्षिण) उन का संपूर्ण विवरण करना बेहतर रहगा। इसके अलावा, संपत्ती का विवरण, शेयर, उप-शेयर(हिस्सा), दस्तावेज का प्रकार, क्षेत्र का माप, गांव का नाम, तालुका का नाम, जिले का नाम आदि का उल्लेख करना आवश्यक है। इससे, यह स्पष्ट होता है कि संपत्ती किस बारे में लिखी गई है। अगर कोई घर है, तो उसका विवरण, अगर जमीन है, उसके पेड़, पथर, अगर वहाँ एक कुआँ है, तो कुएँ का विवरण, आदि को इसमें शामिल किया जाना चाहिए।

4) दस्तावेज़ में इस्तेमाल किये जानेवाले नियम और शर्तें: -

दस्तावेज़ में डाली जानेवाले सभी नियम और शर्तें स्पष्ट होनी चाहिए। उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ नहीं होना चाहिए। इसमें अस्पष्टता नही होना चाहीए याने नियम स्पष्ट और समझनेमे आसान होने चाहीए। अन्यथा, इसके अलग-अलग अर्थ निकाले जाते हैं और पार्टियाँ को इससे तकलिफ होती हैं। इसलिए, यदि इन नियमों और शर्तों को सरल भाषा में, सटीक शब्दों में वर्णित किया जाए, तो बाद में विवाद उत्पन्न नहीं होते हैं।


5) अपवाद: -

यदि कोई अपवादात्मक मामला दस्तावेज़ में शामिल किया जाना है, तो उसका इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति अपने बाग को दूसरे को बेचता है, तो उसके पास एक कुआँ है, और विक्रेता अपने घर के लिये पीने के पानी का अधिकार रखता है, इस्तरह दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से उल्लिखित होना चाहिए।


6) पार्टियों का विवरण: -

पार्टियोने कौनसे अधिकार के तहद दस्तावेज बनवारहे है। उन अधिकारों का विवरण दस्तावेज मे होना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि हिंदू परिवार के मुखिया या कर्ता के रूप में कोई पार्टी है, तो उसमें इसका उल्लेख होना चाहिए।

7) गवाह: -

इसके अलावा दस्तावेज़ में दो गवाह होना ज़रूरी है। उन गवाहों के हस्ताक्षर लेकर इसके तहत उनके पते भी लिखना आवश्यक है। अगर कोई गवाह अशिक्षित है, तो उसका अंगूठा लेना, और वह अंगूठा उसिका है यह सुनिश्चित करने के लिए, इसके तहत एंडॉर्समेंट याने शेरा करना आवश्यक है। यदि पुरुष गवाह एक पार्टी है, तो उसके बाएं हाथ के अंगूठे को आमतौर पर उपयोग किया जाता है और महिलाओं के मामले में, दाहिने हाथ के अंगूठे का उपयोग किया जाता है।

8) अन्य: -

इसके अलावा अन्य जानकारी जैसे अतिरिक्त, तथ्यात्मक खंड, थोड़ा पूर्व-इतिहास, दस्तावेज़ का नाम, दस्तावेज़ में डाली जाने वाली तारीख, दस्तावेज जिस स्थान पर किया गया हो उस स्थान का अथावा जगह का नाम आदि को भी सुनिश्चित करना चाहिए।


आम तौर पर, यदि उपरोक्त सभी का ध्यान रखा जाता है, तो दस्तावेज़ ठीक से तैयार करके पंजीकरण किया जाएगा


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