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रजिस्ट्री में नाम गलत हो गया है को कैसे सुधारें? | रजिस्ट्री में संशोधन | Supplementary Deed | अनुपूरक विलेख

रजिस्ट्री में नाम गलत हो गया है को कैसे सुधारें? | रजिस्ट्री में संशोधन | Supplementary Deed | अनुपूरक विलेख

Photo by RODNAE Productions from Pexels


परिचय

कई बार जब हम अलग-अलग दस्तावेज बनवाते हैं, तो उन दस्तावेजोमे कुछ त्रुटियां रह जाती हैं और जब संपुर्ण दस्तावेज बन जाता हैं, तो उन दस्तावेजोमे हमे कुछ गलतीया दिखती है। एसे स्थिति में, हम भ्रमित हो जाते हैं कि, अब हमे क्या करना है और क्या नहीं करना है। सामान्य रूप से, आइए विचार करें कि, दस्तावेज़ो में त्रुटियों को देखने से पहले हमें किन त्रुटियों का सामना करना पड़ता है।


हम विभिन्न प्रकारके दस्तावेज बनवाते हैं। जैसे साझेदारी पत्र बनवाते हैं, वसीयतनामा बनवाते हैं, और कुछ समय बाद अथवा एक दस्तावेज बनने के बाद, यह ध्यान दिया जाता है कि, इन दस्तावेजोमे कुछ त्रुटियां हैं। तो आइए हम हर प्रकार के त्रुटियोके बारेमे विस्तारसे माहिती प्राप्त करते है।


लोगों को आमतौर पर निम्नलिखित दस्तावेजो में त्रुटियो का सामना करना पड़ता है:-

1) समझौते: -

मनूष अपने जिवनकाल मे बहुत बार सौदे करता है। जैसे खरीते हैं, बेचते हैं, इस प्रकार के अलग-अलग सौदे करते हैं और हर बार उनके दस्तावेजो के विवरणो में गलतियाँ होती हैं। कई बार उस दस्तावेजो की अवधि को बढ़ाना पड़ता है। कितनी बार उन दस्तावेजो मे कोई वाकिया अथवा, एक तारीख अनजाने में लिखना रह जाता है। इस मामले में, इन गलतियों को ठीक करने के लिए, मनूष्यको एक सुधार पत्र जैसा दस्तावेज बनाना होगा या जिसे अंग्रेजी में “सप्लीमेंट्री डिड” कहते है। 


2) हुंड्या, डिमांड, प्रॉमिसरी नोट:-

इस तरह के दस्तावेज़ो में अधिकांश समय, दिये हुवे समय को बढानेके लिए, अथवा राशि में वृद्धि या कमी जैसे सुधार करने होते हैं। एसे समयमे आपको एक सुधार पत्र अथवा एक नया दस्तावेज़ बनाना होगा। 


3) साझेदारी पत्र:-

अक्सर जब कभी एक साझेदारी पत्र बनाया जाता है, तब किसी एक साथी की मृत्यु हो जाती है। एसे स्थिती मे एक नए साथी को व्यवसाय में समायोजित किया जाता है। और तो कभी-कभी एक साथी व्यवसाय से सेवानिवृत्त हो जाता है। उस समय इन परिवर्तनों को दिखाने के लिए एक सुधार पत्र की आवश्यकता होती है।


4) वसियतनामा:-

अक्सर, मनूष्य द्वारा अपने मृत्यू के पश्चात अपनी संपत्ति की व्यवस्था करने के लिए एक वसीयत बनाई जाती है। जिसे अंग्रेजी में 'विल' कहते है। लेकिन फिर, जैसे-जैसे स्थिति बदलती है, वसियतनामा को बदलना पड़ता है, या कुछ जोड़ना पड़ता है। उस समय एक सुधार पत्र/ Supplementary Deed बनाना एक सही पर्यार होगा। आइए अब इसे कुछ उदाहरणों से समझते हैं। उदा- माना कि गायत्रीबाई का कोई बेटा नहीं था, उनका भतीजा बुढापेमे उनका खयाल रखेगा, इस तरह महसूस करते हुए, उन्होंने एक वसियतनामा के माध्यम से अपने भतीजे को अपनी संपत्ति देने का फैसला किया। लेकिन, वास्तव में, यदि उनका भतीजा उन्हें नहीं पूछता है, तो गायत्रीबाई को इस अर्थ में वसियतनामा के साथ एक सुधार पत्र करनी होगी कि उन्हें ऐसे समय में संपत्ति नहीं दी जानी चाहिए। या यहां तक कि अगर एक लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है, तो एसेमे भी उन्हें एक वसियतनामा के साथ एक सुधारपत्र बनानी होगी।


अभी हमने देखा कि, सुधार पत्र किसे कहते है। आइए अब कुछ प्रमुख मुद्दो पर ध्यान दें:-


मुख्य दस्त (प्रिन्सिपल डिड):-

जब एक सुधार पत्र या पूरक पत्र बनाना होता है, उसमे जो पहले मूल दस्तावेज बनाए होते हैं, उन्हें मुख्य दस्त या अंग्रेजी में प्रिंसिपल डीड कहा जाता है। सुधार पत्र यह मूल दस्तावेज पर निर्भर करेगा। यदि एक सुधार पत्र बनाया जाता है, तो भी मुख्य दस्तावेज में बने हुए हिस्से को छोड़कर जो बचा हुवा बाकी हिस्सा है वह अस्तित्व में रहता हैं। हमें यह ध्यान रखना होगा कि मुळ दस्तावेज पर कोई बाधा न आये। 


एक सुधार पत्र तैयार करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए:-

  1. इसमें मूल दस्तावेज की सभी जानकारी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए पार्टी, विवरण और मूल मूल्य और पते आदि।
  2. मूल दस्तावेज़ में जो गलती है उसके बारे में विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, पैराग्राफ, पहचान आदि को गलत पाया जाना चाहिए।
  3. यह स्पष्ट होना चाहिए कि क्या गलत हुआ है और क्या सही किया गया है। उदाहरण के लिए सर्व्हे नंबर, मूल्य और अन्य सही विवरण।
  4. यदि मूल दस्तावेज का पंजीकरण किया गया है, तो सुधार पत्र को भी पंजीकरण किया जाना चाहिए।
  5. यदि मूल दस्तावेज बनाने वाला व्यक्ति जीवित नहीं है और उसके उत्तराधिकारी इसे बदलना चाहते हैं, तो पूरक या संशोधन करने वाले लोग मृतक के उत्तराधिकारी कैसे बनते हैं, उन्हें सुधार पत्र बनाने का अधिकार कैसे मिलता है? इस संबंध में सभी विवरण उस सुधार पत्र में आने चाहिए।
  6. मूल दस्तावेज के लिए जो कुछ स्टांप की राशि तय की गई है, उसी के समान राशि के स्टाम्प पेपर पर ही एक पूरक सुधार पत्र बनाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि 10 रुपये के स्टांप पर कोई दस्तावेज है, तो सुधार पत्र भी 10 रुपये के स्टांप पर होना चाहिए। या यदि आज स्टाम्प दर बदल गई है, तो स्टाम्प को प्रचलित दर पर लिया जाना चाहिए और उस पर एक सुधार पत्र बनाया जाना चाहिए।
  7. इसके अतिरिक्त, मूल दस्तावेज तैयार करते समय हमारे द्वारा ली जाने वाली सभी देखभाल को पूरक दस्तावेज या सुधार पत्र को तैयार करते समय लिया जाना चाहिए।


कोई भी हुंड्या, डिमांड अथवा प्रॉमिसरी नोट ईनमे कोई कुछ बदलना हो तो उसीतरह नया हुंड्या, डिमांड प्रॉमिसरी नोट बना सकते है। अन्यथा जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, उसी तरह पिछले सभी विवरणों को इसमें शामिल करके एक सुधारपत्र यह दस्तावेज बनवाना चाहिए। साझेदारी पत्र में सुधारपत्र के संबंध में, कोई भी बदलाव करना हो। उदाहरण के लिए, यदि भागीदार सेवानिवृत्त हो जाता है, मर जाता है, या कोई नया शामिल हो जाता है, तो सुधार पत्र को हर बार 100 रुपये के स्टाम्प पर सुधार पत्र बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा, कई राज्यो में, इन बदलावों को एक निर्दिष्ट आवेदन पत्र भरकर, अधिकृत अधिकारी के सामने भरके और इसे नोटरी करके भागीदारी के रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत करना होगा। अन्यथा ऐसे मामलों में दंडनीय होने की संभावना है।


नोट:- एसेही कानूनी जानकारी हिंदी मे पाने के लिए हमारे टेलिग्राम चैनल Law Knowledge in Hindi को Join करे।


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