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मोटर दुर्घटना क्लेम | Motor Accident Claim in Hindi | इन्शुरन्स क्लेम कैसे करे

मोटर दुर्घटना क्लेम | Motor Accident Claim in Hindi | इन्शुरन्स क्लेम कैसे करे

Photo by Dominika Kwiatkowska from Pexels


परिचय

आम आदमी को न चाहते हुए भी कई कठिनाईयँका सामना करना पड़ता है। इसमें मुख्य रूप से मोटर दुर्घटनाएँ जैसे घटनाए शामिल हैं। कई बार, ना चाहते हुवे भी आम आदमी को इस तरह की अप्रिय घटनाओं से सामना होता रहता है, तब भी जब की उसकी कोई गलती नहीं होती है। एक बार ऐसी घटनाओं से सामाना करने के बाद, अगले सभी आनेवाले तकनीकी चीजों को पुरा करना होगा। एक ओर दुःख के वजहसे मनशांती भंग हो चुकी होती है और दूसरी ओर, इसके बारेमे कोई ज्ञान नहीं होने के कारण, किसी अंन्य व्यक्ति के सहायता पर पूरी तरह से निर्भर होना पड़ता है। इस प्रकार आम आदमी अपने आप को एक अजीब स्थिति में पाता है। इन सभी परिस्थितीयो को टालनेके लिए यहा सवाल आता है के मोटर दुर्घटना क्लेम याने इन्शुरन्स क्लेम कैसे करे? आइए एक नजर डालते हैं, ऐसे ही कुछ जरूरी हादसों और नुकसानों से जिन्हें बचा जा सकता है।



मोटर दुर्घटना क्लेम / इन्शुरन्स क्लेम कैसे करे

आजकल, मनुष्य रोज अपने जिवनमे इतना भागदौड कर रहा है के, उसे अपने काम करने के लिए रोज किसी ना किसी कारण वाहन से यात्रा करना पड रहा है, इस तरह के यात्रा से बचना उसके लिए लगभग असंभव हो गया है। जिस तरह बिजली मानव जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गई है, उसी तरह यात्रा मानवीय आवश्यकता औमे से एक बन गई है। अब जब यात्रा की बात आई है तो वाहन आ ही गया। वाहन कई प्रकार के होते हैं। लेकिन हम जिस चिज की जानकारी के बारे में बात कर रहे हैं वह मोटर यात्रा के बारे में है। आजकल, सड़कों पर इतनी वाहनोकी भीड़ है कि आम आदमी को सडक पर चलना लगभग असंभव हो गया है। ऐसे मामलों में मोटार दुर्घटनाएं अनिवार्य रूप से होती हैं। इससे अक्सर मौत हो जाती है। कुछ लोग विकलांग हो जाते हैं। आइए देखें कि इस संबंध में कानून में क्या प्रावधान हैं। 


इससे पहले, मोटर दुर्घटना होने पर एक दीवानी अदालत में मुकदमा दायर करना पड़ता था। उस समय, मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण, जिसे अंग्रेजीमे 'मोटार एक्सीडेंट क्लेम त्रिबूनाल' के रूप में भी जाना जाता है, वह मौजूद नहीं था। यदि ऐसा दावा दीवानी अदालत में दायर किया जाता था, तो तब अदालत शुल्क स्टाम्प के रूप में बहुत बड़ी राशि का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, सिविल कोर्ट के बड़े अधिकार क्षेत्र के कारण इस तरह के दावोके परिणाम में भी देरी होने की संभावना थी। इन सभी प्रकारों को ध्यान में रखते हुए और यातायात में वृद्धि और परिणामस्वरूप दुर्घटनाओं में वृद्धि देखते हुए, सरकार ने मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण की स्थापना की।


इस न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र में, केवल मोटर दुर्घटना से संबंधित दावों का निपटान किया जाता है। अन्य आकस्मिक मृत्यु के दावे इस न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति बिजली के झटके से मर जाता है या एक व्यक्ति पानीमे डूबकर मर जाता है। इसतरह के भले ही दावे आकस्मिक मृत्यु के हों, वे मोटार दुर्घटना से संबंधित नहीं हैं, इसलिए उन्हें इस ट्रिब्यूनल में दायर नहीं किया जा सकता है। इससे एक बात स्पष्ट है कि मोटर दुर्घटना के संबंध में ये दावे ईस अदालत मे न्यायनिर्णय किये जाते हैं। 


अब देखते हैं कि मोटर शब्द मे कौन-कौन से वाहन आते हैं, भले ही इसे मोटर दुर्घटना कहा जाए। मोटर वाहन की परिभाषा मोटर वाहन अधिनियम, 1939 की धारा 2 (18) में दी गई है। उस परिभाषा के अनुसार, मोटर वाहन एक स्वचालित वाहन है। इसमें निम्नलिखित वाहन भी शामिल हैं। (1) यात्री बसें, (2) मालवाहक ट्रक, (3) टेम्पो, (4) रिक्शा, (5) डिलीवरी वैन, (6) टैक्सी, (7) टूरिंग कारें, (8) जीप, (9) ट्रैक्टर, ( १०) ट्रेलर आदि। ईतनाही नही, जिस ईजिनपर चेशी नही लगाई गई हो उन वाहन का भी समावेश किया गया है। साथ ही, सभी दोपहिया, तिपहिया और चार पहिया वाहन जैसे मोपेड, स्कूटर, टेम्पो आदि भी इस शब्द की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।


वाहन दुर्घटना का दावा मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आता हो, और यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य अदालत में कॉम्पेनशेशन के लिए दावा दायर किया है, तो वह मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण के समक्ष दावा दायर नहीं कर सकता है। संक्षेप में कहे तो, नुकसान भरपाई के लिए दावा एक ही स्थान पर दायर किया जा सकता है। आइए ईस बात को एक उदाहरण से समझाते हैं। उन श्रमिकों के वारिस जिनकी मृत्यु मोटर दुर्घटना में हुई या कर्मचारी जो कि मोटर दुर्घटना के कारण अक्षम हो गए, जैसे कि ड्राइवर, कंडक्टर, आदि, दोनों के लिए मुआवजा वर्कर कंपेन्झेशन ॲक्ट  1923 और मोटर वाहन अधिनियम 1939 के तहत मुआवजे के हकदार होंगे। लेकिन वह एक ही दुर्घटना के लिए दोनों तरफ मुकदमा नहीं कर सकेगे। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने वर्कमेन कंपेन्झेशन ॲक्ट के प्रावधानों के तहत मुआवजे के लिए आवेदन किया है, तो वह मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण में फिर से आवेदन नहीं कर सकेगा।


यदि मोटर चालक की लापरवाही से दुर्घटना होती है, तो दुर्घटना के लिए मोटर चालक और मोटर मालक दोनों को जिम्मेदार माना जाता है। नौकर की गलती से हुई दुर्घटना के लिए मुआवजा उसके मालिक से मांगा जा सकता है। इसके अलावा, मोटर वाहन अधिनियम में कुछ अन्य प्रावधान किए गए हैं। आइये, उसके बारे में जानकारी  देखते हैं। मोटर वाहन अधिनियम, 1939 की धारा 34 के अनुसार, मोटर वाहन का उपयोग तब तक नहीं किया जा सकता है जब तक कि उसका बीमा नहीं किया जाता है। बीमा के दो प्रकार के होते हैं।

1) बहु-व्यापक बीमा

2) थर्ड पार्टी इंश्योरेंस।


बहु-व्यापक बीमा के संदर्भ में निम्नलिखित मुद्दोको कवर किया गया हैं।


  1. वाहन के नुकसान की पूरी भरपाई की जाती है।
  2. यदि वाहन आग का शिकार हो जाता है, तो उसे पूर्ण मुआवजा मिलता है।
  3. यदि वाहन चोरी हो गया है, तो मुआवजा वाहन के मूल्य के बराबर है।
  4. दंगों या आगजनी के कारण नुकसान के मामले में, क्षतिपूर्ति केवल तभी उपलब्ध होती है जब कुछ शर्तों को बीमा पॉलिसी में शामिल किया जाता है।

दुर्घटना में मारे गए लोगों के वारिस मुआवजे के हकदार हैं। पूर्व वारिसों या कानूनी प्रतिनिधियों को मुआवजे पर विभिन्न अदालतों के अलग-अलग विचार थे। लेकिन भारतीय परिवार प्रणाली में या एकत्र हिंदू परिवार प्रणाली में, भाई और बहन, चाचा, चाची, आदि एक साथ रहते हैं। यदि इस परिवार के कर्ता पुरुष की मृत्यु हो जाती है, तो पूरे परिवार को मुसिबत का सामना करना पडता है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इन सभी को मुआवज़े का अधिकार है। इसके अलावा, मोटर दुर्घटना में मरने वाले व्यक्ति के वारिसों को मुआवजा प्रदान करने के लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 110 ए और धारा 110 बी में प्रावधान दिया गया है। तदनुसार, संबंधित वारिस मुआवजे के लिए आवेदन कर सकते हैं।


इससे पहले, कई अदालतों ने ऐसा फैसला सुनाया था कि, ईस्तरह के कोई अधिकार नहीं है। अब दुर्घटना कानून में बदलाव हुए हैं। उन सभी की जानकारी प्राप्त करने के लिए, मोटर दुर्घटना क्लेम अथवा इन्शुरन्स क्लेम संबंधित कानूनों का अध्ययन करने की आवश्यक्ता है।


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