सम्पत्ति के अदला बदली वाला दस्त | म्युचुअल एक्सचेंज डीड | Mutual Exchange Deed in Hindi
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म्युचुअल एक्सचेंज, याने की ,एक संपत्ति देते हैं, और दूसरी संपत्ती लेते हैं। इसे प्रॉपर्टी के अदला बदली वाला दस्त भी कहते है। इस कार्य मे पैसो का लेनदेन होता है एसे नहीं है। लेकिन, यह हालात के उपर निर्भर करता है। मान लीजिए, मुझे मेरे गांव का घर देकर, मुंबई में एक फ्लैट लेना है। क्योंकि मैं अब यहां गांव मे नहीं रहना चाहता। मैं मुंबई में रहना चाहता हूं। और ऐसेही एक मुंबई का व्यक्ति वह नौकरी से रिटयर होने के बाद चाहता है कि वो अब मेरे गांव में आकर रहें। इसमे दोनो को भी आसानी होगी। अगर, मुंबई के एक फ्लैट की कीमत मेरे घर की कीमत के बराबर हो, तो सीधे भुगतान करने का कोई सवाल ही नहीं आता। लेकिन, अगर, यहां गांव के घर की कीमत और मुंबई के एक फ्लँट की कीमत के बीच बहोत अंतर है, तो यह समस्या अलग है, और इसे पैसो की भुगतान करके हल किया जा सकता है।
इसका मतलब यह है कि, बिक्री मूल्य ठहराकर एक्सचेंज, न केवल नकद मूल्य के लिए बल्कि अन्य वस्तु के पूर्ण विस्तृत मूल्य के जरिए उनका हिसाब-किताब करके भी संपत्ती का आदान-प्रदान किया जा सकता है। इसके अलावा, एक्सचेंज के बाद, कल भविष्य अगर संपत्ति के स्वामित्व में कोई दोष निर्माण हो, तो यह जिम्मेदारी उस व्यक्ति के उपर है, जिसके पास से संपत्ती एक्सचेंज होकर आई है। इसका मतलब है कि एक्सचेंज के लिए जिम्मेदारी भी दोनों के लिए समान होती है। यदि लेनदेन रु। ____ / - से अधिक है, तो संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार दस्त को पंजीकरण करनेकी आवश्यकता होती है।
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के अध्याय 6 में, इस तरह संपत्ती का आदान-प्रदान कैसे किया जाए यह धारा 118 से 121 में बताया गया है। एक्सचेंज करने का मतलब प्रत्येक वस्तु की कीमत निकालकर और उनमेसे, उच्च मूल्य वाली संपत्ती की रक्कम और कम मूल्य मूल्य वाली संपत्ती की रक्कम निकालकर इनमेसे जिसकी किमत कम है वह दूसरेको उस मुल्यका फरक देना चाहीये। और जिस संपत्ती का मुल्य जास्त है उसके नुसार स्टांप शुल्क का भुगतान करना चाहिए।
अर्थात्, दो अलग-अलग संपत्तियों के, दो अलग-अलग मालिकों के बीच संपत्ति का आदान-प्रदान भी संपत्ति हस्तांतरण का व्यावहार होता है। यह लेन-देन संपत्ती हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 118 में परिभाषित किया गया है। जब दो संपत्तियों के दो अलग-अलग मालिक एक संपत्ति के बदले में दूसरी संपत्ति प्रदान करते हैं, या स्थानांतरित करते हैं ,और दोनों गुण या उनमें से एक धन के रूप में नहीं होता है, तो इस लेनदेन को अदला-बदल याने एक्सचेंज कहा जाता है।
बेशक, अधिक या कम मूल्य के संपत्ती का आदान-प्रदान बिना पैसे के संभव नहीं है। यह दोनों पक्षकारों के मर्जी पर निर्धारीत है। लेकिन, अगर दोनो संपत्ती के मूल्य में बहोत जादा अंतर है, तो अपर्याप्त भुगतान के कारण लेनदेन रद्द होने की भी संभावना हो सकती है।
चल संपत्ति का आदान-प्रदान केवल मौखिक विनिमय द्वारा भी किया जा सकता है। लेकिन, अगर एक घटक अचल संपत्ति है, तो वह सौदा दस्तावेज द्वारा ही किया जाना चाहिए और वह दस्तावेज पंजीकृत करना चाहिए। क्योंकि, अचल संपत्ति का कोई भी लेन-देन, दस्तावेज द्वारा ही किया जाना उचित रहेगा। और दस्तावेज पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत करना महत्वपुर्ण हे।
इसी तरह, एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह संपत्ती का अदला-बदल याने एक्सचेंज का व्यावहार यह दो अलग-अलग संपत्ती के अलग-अलग स्वामित्व गुणों के व्यक्तीयो के साथ ही किया जा सकता है। यदि संपत्ति एकत्रीत हो तो, संपत्ती के हिस्सेका आदान-प्रदान यह अदान-प्रदान के व्यावहार मे नही गिना जाता। क्योंकि, इस तरह संपत्ती का आदान-प्रदान नहीं किया जा सकता है। संयुक्त मालिकों के हिस्सो का आदान-प्रदान यह संपत्ता है विभाजित होने मे आता है।
साथ ही, दोनों संपत्तियों का स्वामित्व और अधिकार पूरी तरह से होना चाहिए और इसमें कोई महत्वपूर्ण दोष नहीं होना चाहिए। यदि एक संपत्ति का स्वामित्व दोषपूर्ण है, तो दूसरे को उसका मुआवजा देना होगा, अन्यथा लेनदेन रद्द हो सकता है।
एक्सचेंज का व्यावहार, एक बिक्री लेनदेन के समान होता है। दोनो संपत्तायो के मालीक एक मर्तबा विक्रेता होता है और एक मर्ताबा खरीदार भी होता है। तब, दोनों मालिकों को एक-दूसरे मालिको की संपत्ति के स्वामित्व की उचित जांच करने की आवश्यकता होती है। एक्सचेंज दस्तावेजों के लिए दोनो पक्ष समान होना चाहिए।
संपत्ती एक्सचेंज का व्यावहार, यह एक ही दस्तावेज द्वारा हो सकता है अथवा एक ही समय में दो अलग-अलग दस्तावेजो द्वारा किया जा सकता है। लेकिन, उन दस्तावेज को पंजीकृत किया जाना चाहिए। और उसपर, किसी एक संपत्ती के मौजूदा बाजार मूल्य के नुसार, स्टांप शुल्क का भुगतान किया जाना चाहिए।
एक्सचेंज का लेन-देन, अचल और चल एसे दोनों संपत्तायो के बिचमे हो सकते हैं। यानेकी एक अचल संपत्ति दूसरी अचल संपत्ति में स्थानांतरित करने के लिए एक्सचेंज किया जा सकता है। अथवा एक अचल संपत्ति को दूसरी चल संपत्ति में स्थानांतरित करने के लिए एक्सचेंज किया जा सकता है। या चल संपत्ति या कोई वस्तू दोनों का आदान-प्रदान हो सकता है। लेकिन, इस चल संपत्ति में एक संपत्ती पैसे के रूप में नहीं हो सकती है। यानेके, एक चल अथवा अचल संपत्ती और दूसरा पैसा, ईनमे एक्सचेंज का व्यावहार नहीं हो सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि, अगर अचल या चल संपत्ति के बदले पैसे का भुगतान किया जाता है, तो यह लेन-देन बिक्री के लिए होता है, एक्सचेंज के लिए नहीं। क्योंकि बिक्री हमेशा पैसे के लिए होती है। लेकिन, अगर दोनों संपत्ती के गुण समान मूल्य के नहीं हैं, तो उनके मूल्य को समान बनाने के लिए उनमे पैसोको जोड़ा जा सकता है। एक्सचेंज यग दोनों समान मूल्य की संपत्ती मे ही हो सकती है।
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