परवाना पत्र / License Agreement
परवानापत्र को अंग्रेजी में लाइसेंस एग्रीमेंट कहते है। परवानापत्र, यह एक तरह का करारनामा ही होता है। इस परवानापत्र की आवश्यकता हमें रोजाना जिंदगी में हमेशा होती रहती है। इसीलिए, इस लेख मे हम इस महत्वपूर्ण दस्तावेज की जानकारी हासिल करते हैं।
कइ बार कुछ ऐसा होता है की, जब हम जैसा सोचते हैं वैसा होता नहीं, तब ऐसे हाल में हमें कही-ना-कही कॉप्रोमाइज भी करना पडता है। और ऐसे हाल में, हमें कुछ समझौता करना पड़ता है। तो ऐसे समझौते मे जिसका जन्म होता है, उसे परवानापत्र कहते है। परवानापत्र यह एक करारनामा होता है। व्यवहार में जो सबसे ज्यादा लोकप्रिय परवानापत्र होता है। वह ‘लीव्ह लायसेंस ॲग्रीमेंट’ है। बहुत से मामलों में ऐसी ही घटना होती है कि, एक मनुष्य किसी एक शहर में एक ब्लॉक खरीद लेता है। और अचानक से उसका ट्रांसफर होने की वजह से उसे वह घर बंद रखना पड़ता है। तो कुछ समय बाद एखादा जरूरतमंद व्यक्ति जिसकी जरूरत ही कुछ समयके लिए होती है। उससे मिलकर कुछ समय के लिए उसे अपना ब्लॉक इस्तेमाल करने के लिए एक करारनामा करके अपना ब्लॉक इस्तेमाल करनेका इजाजत देता है। ऐसे में उस इजाजत को देने की प्रक्रिया को परवानापत्र में लिखते है उसे लिव्ह लाइसेंस एग्रीमेंट कहते है। यही बात खेती घर आदि स्थावर/जंगम प्रॉपर्टी के बारे में भी होता है। ऐसे ही कुछ समय तक घर, जागाह या अन्य कोई वस्तु इस्तेमाल करने का हक प्रदान करते हुवे उसके बदले में वह कंपनसेशन लेता है। उस बारे में जो करारनामा किया जाता है उसकी जानकारी आज हम यहां हासिल करने वाले है।
इस समझौते मे जिसे परवाना कहा गया है, उसे हम अंग्रेजी में ‘लाइसेंस’ कहते है। उसका अर्थ सरल शब्दोमे कहे तो, एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अथवा किसी समुदाय को अपनी कुछ प्रॉपर्टी इस्तेमाल करने का हक कुछ समय के लिए प्रदान करता है, उसे परवाना या लाइसेंस कहा जाता है। इस परवाना की डेफिनेशन को इंडियन इजमेंट एक्ट १८८२ मे बताया गया है। इस कानून के तहत कुछ समय के लिए, दिए गए अनुमति को परवानापत्र में गिना जा सकता है। यहां पर परवाना धारक यह व्यक्ति कुछ कंपनसेशन अदा करके, मर्यादित समय तक ही अपने हक का इस्तेमाल कर सकता है।
यह परवानापत्र को भाड़े पट्टा अंग्रेजी में लीज ॲग्रीमेंट कहते हैं वह नहीं है। परवाना पत्र और लिज ॲग्रीमेंट में बहुत फर्क है। लीज एग्रीमेंट मे प्रॉपर्टी का मालिकाना हक छोड़कर बाकी सभी हक किरायेदार को दिया जाता है। आसान भाषा में कहे तो प्रॉपर्टी का कब्जा किरायेदार को दिया जाता है। लेकिन, वहां पर उस प्रॉपर्टी का मालिक उस प्रॉपर्टी का उपभोग नहीं ले सकता। और लायसन्स ॲग्रीमेंट मे सिर्फ थोडासा अधिकार ही दिया जता है। यदी, लायसन्स ॲग्रीमेंट के नुसार कोई प्रोपर्टी किसी मालिक ने अन्य दुसरे व्यक्ति को दिया है, तो वह मालक भी उस अन्य व्यक्ति के साथ प्रॉपर्टी मे प्रवेश कर सकता है। उस प्रोपर्टी का इस्तेमाल भी कर सकता है। इसलिए यहा पर ध्यान रखने लायक है के, परवाना पत्र याने लिज ॲग्रीमेंट नही हो सकता। और लिज ॲग्रीमेंट के नुसार जितने अधिकार प्राप्त होते है। उतने अधिकार लायसन्स ॲग्रीमेंट द्वारा प्राप्त नही होते।
इस बात को हमें ध्यान में रखना चाहिए कि लायसन्स ॲग्रीमेंट यह लिज ॲग्रीमेंट की तरह नहीं होता, और लिज ॲग्रीमेंट में जितना अधिकार और हक प्राप्त होता है, उतना अधिकार और हक लायसन्स ॲग्रीमेंट में प्राप्त नहीं होता।
परवाना पत्र संबंध में कानूनी बातों का खुलासा यह इंडियन इजमेंट एक्ट १८८२ मे बताया गया है। इस लायसन्स ॲग्रीमेंट संबंध में निम्नलिखित बातों को महत्व दिया गया है। वह कुछ इस प्रकार है:-
- लायसन्स ॲग्रीमेंट यह यदि प्रॉपर्टी के अधिकार प्रदान करने के बारेमे हो तो भी, इसमें कानूनी नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
- परवाना यह प्रत्यक्ष दे सकते है। वह लिखित रूप से देना चाहिए, ऐसा कही बंधन नही है। क्योकी, प्रत्यक्ष दिए गये परवाने को लिखीत स्वरूपसे दोनेकी कोई जरूरत नही और ऐसा कोई बंधन नहीं है।
- लायसन्स ॲग्रीमेंट से मिला हुवा अधिकार अथवा हक, यह किसी अन्य वक्ती को हस्तांतरण नहीं किया जा सकता।
- लायसन्स ॲग्रीमेंट से मिला हुआ हक और अधिकार यह एक मनुष अपने वारिस को कानूनी तौर से नहीं दे सकता।
- परवाना देने वाली व्यक्ति को परवाना लेने वाले व्यक्ति को उसको उसे मिले हुए हक्क से संबंधीत आने वाले नुकसान और धोखा के बारे में बता देना चाहिए।
- परवानाधारकको प्रॉपर्टी का नुकसान करने जैसा कोई भी कृत्य कर नहीं सकता।
- लायसन्स ॲग्रीमेंट यह प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रद्द किया जा सकता है। इस मुद्देको हम एक उदाहरण के साथ देखते है। मानलिजीए, अजय ने अपने बबन को अपने खेतोसे जाने का परवाना दिया क्यो के वहीसे बबन को नजदिकी रास्ता है। कुछ दिनो बाद अजय ने अपने खेती के बांध पर कांटे लगवाकर अप्रत्यक्ष तौर से बबन को दिया हुवा परवाना रद्द किया।
- जब कोई नया लायसन्स ॲग्रीमेंट किसी दूसरे को दिया जाता है, या हस्तांतरण किया जाता है, तभी पहले बनाया हुआ परवाना पत्र खुद ब खुद रद्द हो जाता है।
उपर दिए गए मुद्दो के अलावा, लायसन्स ॲग्रीमेंट तैयार करते समय निम्नलिखित बातों की ओर गौर करना जरूरी है:-
- यह लायसन्स ॲग्रीमेंट को पंजीकृत करना कानूनी तौर पर जरूरी नहीं है। लेकिन, अगर ज्यादा कीमती जैसे अचल संपत्ती की बात हो तो उसे पंजीकृत करना चाहिए।
- यह लायसन्स ॲग्रीमेंट यह एक साधा करारनामा होने के कारण इसे जनरस टाइम पेपर पर करना चाहिए।
- लायसन्स ॲग्रीमेंट में प्रॉपर्टी का पूरा विश्लेषण होना चाहिए।
- लायसन्स ॲग्रीमेंट में, प्रॉपर्टी इस्तेमाल करने अधिकार के बदले उससे मिलने वाले कंपनसेशन का पुरा विश्लेषण होना चाहिए।
- लायसन्स ॲग्रीमेंट कौन से हक के लिए और कौन से वजह के लिए दिया गया है, उसका भी विश्लेषण होना चाहिए।
- लायसन्स ॲग्रीमेंट में समय सीमा स्पष्ट बताया गया होना चाहिए।
- लायसन्स ॲग्रीमेंट में कुछ कंडीशन बताए गए हो तो उसे भी उल्लेख किया हुआ होना चाहिए।
इस तरह लायसन्स ॲग्रीमेंट बनाते समय जो सावधानियां बरतनी चाहिए। उसे आपने समझ लिया होगा और भविष्य में लायसन्स ॲग्रीमेंट किस उद्देश्य के लिए बनाया जाए वह साध्य हो जाएगा।
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