मुख्तारनामा क्या है? | पावर ऑफ अटॉर्नी | Power of Attorney in Hindi
परिचय
परवाना पत्र से मिलता जुलता अगर कोई दूसरा करार पत्र है, तो वह मुख्तारनामा है। जिसे अंग्रेजीमे पावर ऑफ अटॉर्नी कहते है। मुख्तारनामा में किसी व्यक्ती के कुछ हक सीमित समय के लिए अथवा हमेशा के लिए किसी दुसरे व्यक्ती को हस्तांतरित किया जाता है। कुछ हद तक देखाजाए, तो परवाना पत्र और मुख्तारनामा एक जैसे समान दिखते है, तो भी यह दोनों अलग-अलग करार पत्र है। मुख्तारनामा यह रोजाना जिंदगी में इस्तेमाल में आने वाला करार पत्रो मे से एक करारपत्र है। आईए, मुख्तारनामा को समझने के लिए, हम इसके बारे में सविस्तर माहिती समझने की कोशीश करते है।
कई बार रोजाना जिंदगी में ऐसे ही मोड आते हैं कि, कुछ काम हमें पर्सनली अटेंड होकर करना पड़ता है। लेकिन कुछ कारणों की वजह से हम वहां नहीं जा सकते और वह काम नहीं कर सकते। वह काम होना तो बहुत जरूरी होता है, लेकिन ऐसे हाल में हम क्या करें यह सबसे बड़ा सवाल हमारे सामने आही जाता है। इसतरह के मुश्किलो को दूर करनेक के लिए, अगर एक कानूनी तरीका इस्तेमाल करना पडे तो वह मुख्तारनामा बनाकर किया जा सकता है। फिलहाल, मुख्तारनामा क्या होता है यह जानते हैं। किसी व्यक्ति को उसके गैर हाजरी में उसका काम करके देने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को अधिकार दिया जाता है और वह अधिकार देने के लिए जिस दस्तावेज का इस्तेमाल किया जाता है, उस दस्तावेज को मुख्त्यार पत्र कहते हैं।
मुख्तारनामा दो प्रकार के होते हैं, वह निम्नलिखित है।
(१) खास मुख्तारनामा जिसे अंग्रेजी में स्पेसिफिक पावर ऑफ अटॉर्नी कहा जाता है।
(२) मुख्तारनामा जिसे अंग्रेजी में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी कहा जाता है।
इन दोनों मुख्तारनामा में क्या फर्क है और उसका क्या परिणाम है यह देखते हैं। आइये, देखते है।
१) खास मुख्तारनामा:-
यह करार पत्र कुछ सीमित वक्त के लिए ही दिया जाता है। वह सीमित वक्त कुछ खास काम के लिए किसी को मुख्तारनामा बना कर दिया जाता है। इस मुख्तारनामा में कुछ सीमित अधिकार होने की वजह से कुछ सीमित अधिकारोका ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, अधिक ज्यादा अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। आइए, इस बात को एक उदाहरण से देखते हैं। मान लीजिए अजय ने विजय को उसकी जमीन का सौदा करके बिकवाली करने का अधिकार मुख्तारनामा बनाकर देता है। इस मुख्तारनामा में अजय ने विजय को सिर्फ जमीन का सौदा करने का अधिकार दिया है। इसके अलावा विजय अजय के बैंक खातों का इस्तेमाल नहीं कर सकता, और उसे बैंक खातों का इस्तेमाल करने का भी अधिकार भी नहीं मिलता। और जब जमीन की बिकवाली हो जाती है तभी वह मुख्तारनामा खत्म हो जाता है।
२) मुख्तारनामा:-
यह मुख्तारनामा जब भी किया जाता है, तब जिस शख्स को यह सर्वसाधारण मुख्तारनामा बनाकर अधिकार दिया जाता है, वह व्यक्ती सभी काम कर सकता है, जो-जो काम मुख्तारनामा लिख कर देने वाला कर सकता है। इस मुद्दे को एक उदाहरण से समझते हैं मान लीजिए अजय ने विजय को अपना कुलमुख्तयार अप्वॉइंट किया है तब अजय जो भी काम कर सकता है वह सभी काम विजय भी कर सकता है। वह जमीन बेच सकता है, बैंक खातों का पैसा इस्तेमाल कर सकता है, और कानूनी कामकाज के लिए न्यायालय में याचिका दाखिल भी कर सकता है, रकम ले सकता है और खर्चा भी कर सकता है। यानी कि अजय जो काम कर सकता है वह सभी काम विजय भी कर सकता है। लेकिन, खास मुख्तारनामा में विजय यह सभी कामे नहीं कर सकता।
१८८२ के कानून के मुताबिक मुख्तारनामा बनाया जा सकता है। मुख्तारनामा बनवाने के लिए पार्टियों को इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के नियमों के अनुसार क्वालीफाईड होना चाहिए। यानी कि वे सजना होना चाहिए। वह पागल नहीं होना चाहिए। कुछ मामलों में पागल और माइनर लोगों के लिए उनके मालमत्ता के संरक्षण करने के लिए न्यायालय भी मुख्तार अप्वॉइंट करते हैं।
यह मुख्तारनामा अनेक कारणों के लिए बनाया जाता है। वे कुछ इस प्रकार हैं:-
- थर्ड पार्टी की तरफ से कर्जा वसूल करने के लिए
- एक दस्त पंजीकृत करने के लिए या उसे बनाने के लिए
- भारत के बाहर रहने वाले लोगों के, भारत के अंदर कि सभी काम होने के लिए।
- न्यायालय में केस दाखिल करने के लिए, केस निकालने के लिए, कॉम्प्रोमाइज करने के लिए और उससे जुड़ी हुई कामों के लिए।
- व्यवस्था पत्र और इच्छा पत्र इनका नकल प्राप्त करने के लिए और अगर किसी वकील को न्यायालयीन सभी काम चलाने के लिए दिया हुआ मुख्तारनामा को वकील पत्र कहते हैं।
मुख्तारनामा के अटेस्टेशन और ऑथेंटिकेशन क्या होता है ?
- मुख्तारनामा बनवा कर देने वाला शारीरिक दृष्टि से अपाहिज हो तो।
- यदि उस व्यक्ति को हजर होने के लिए कोई खतरा या संकट हो तो।
- यदि न्यायालय ने प्रत्यक्ष हाजिर होने के लिए माफी दी गई हो तो।
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