शपथपत्र क्या है | Affidavit in Hindi | शपथपत्र कैसे लिखे | प्रतिज्ञापत्र | हलफनामा
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परिचय
ॲफिडेव्हीट एक ऐसा दस्तावेज है, जो अक्सर मनूष्य के उपयोग मे अक्सर आता रहता है। अथवा लेनदेन के दौरान कई स्थानों पर उपयोग किया जाता है। जब ॲफिडेव्हीट की बात आती है, तो हम यह कह सकते हैं कि ऐसा कोई भी विषय नहीं है, जिसका हलफनामों से कोई लेना-देना नहीं है। ॲफिडेव्हीट, कब, कहां और कैसे उपयोग मे आता है यह कहना संभव नहीं है। आईये हमे इस लेख के जरीये इस बहुउपयोगी दस्तावेज़ को जाननेकी कोशीश करते है। और साथ ही, इसका प्रोसिजर भी जानना बहुत महत्वपूर्ण है।
हर आम आदमी को अपने जीवन के किसी न किसी मोड़ पर यह हलफनामा बनवाना ही होता है। उस समय, वह उसे खर्चा करके बनाता ही है। ॲफिडेव्हीट बनवाते समय, मनूष्य उसके बारे में ज्यादा जानने की कोशिश नहीं करता। और इसी वजहसे मनूष्यकी गलत फेहमी हो जाती है के, जैसे ॲफिडेव्हीट बनवाना कोई मुश्कील काम है। आइए, पहले हम यह समझनेकी कोशीश करते है कि, यह ॲफिडेव्हीट कितने रूपये के स्टैम्प पेपरपर बनवा लेना चाहिए। प्रचलित कानून के अनुसार, ॲफिडेव्हीट रु-------के स्टाम्प पेपर पर बनाए जाते हैं। बेशक, समयके नुसार कानून मे बदलाव होते रहते है चो यह कहना असंभव है कि, प्रत्येक बार ॲफिडेव्हीट बनवानेके लिये कितने स्टाम्प की लागत होती है। ईसलिए हरबार स्टाम्प अधिनियम में, उस समय जितना आवश्यक स्टाम्प की किमत बताई जाती है। उतनी राशि के समान स्टाम्प पेपर का उपयोग करना आवशक होगा। जितने रक्कम स्टँम्प पेपर की जरुरत होती है उतनेही स्टँम्प पेपर के उपर ॲफिडेव्हीट लिखा अथवा टाईप कीया जाता है। यहा पर और खास बत ध्यान देने लायक यह है के, अगर स्टांप के दोनों ओर टेक्स्ट लिखने के बाद भी, यदि टेक्स्ट लिखा जाना बाकी है, तो उसे दुसरे प्लेन लेजर पेपर पर लिखा जाना चाहिए और वह लेजर पेपर स्टैम्प के साथ जोडना चाहिए।
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आइए जानते हैं की, यह ॲफिडेव्हीट किसके सामने बनाना चाहीए। स्टैम्प पेपर पर ॲफिडेव्हीट बनवाने के बाद, इसे अदालत में मजिस्ट्रेट के समक्ष जाकर हस्ताक्षर करना होगा। कई मामलों में, अदालत के कामकाज के दौरान, और अदालत को जाना-आना ऐसे कई मुश्किले आनेके कारण, इस तरह ॲफिडेव्हीट बनवाने के लिए हर बार अदालत में उपस्थित होना संभव नहीं है। ईस्तरह के कई अन्य कठिनाइयों को और समस्या को देखते हुए, सरकार ने घोषणा की है के, यदि नोटरी पब्लिक के समक्ष ॲफिडेव्हीट पर हस्ताक्षर किए जाते हैं तो वह वैध माना जाएगा।
यह नोटरी पब्लिक क्या होता है? आईये, अब हम संक्षेप में यह समझनेकी कोशिश करते है:-
नोटरी पब्लिक याने, कुछ विशिष्ट ऐसे व्यक्ती, जिन्होंने कानूनी पेशे में कुछ विशिष्ट सालोतक अनूभव लिए हैं और अन्य जो आवश्यक शर्तों को पूरा करते हैं। उन्हे नोटरी करनेका अधिकार दिया जाता है। इसका मतलब यह है कि, सरकार ने उन लोगों को शपथ लेने का अधिकार दिया है। और आपको पता ही होगा कि अदालत में शपथ लेना कितना महत्वपूर्ण है। नोटरी पब्लिक के समक्ष ॲफिडेव्हीट करने वाले व्यक्ति द्वारा उनके सामने ॲफिडेव्हीट पर हस्ताक्षर किए तो भी वह काम करता है। यदि नोटरी यह सुनिश्चित नहीं करता है कि शपथ पत्र बनाने वाला व्यक्ति एक ही है, अथवा वह वह व्यक्ति इसे नहीं जानता है, तो नोटरी पब्लिक द्वारा ॲफिडेव्हीट पर तभी स्टँम्प लगाएगा जबतक हस्ताक्षर करनेवाले व्यक्ति को पेहचान देने वाला दुसरा कोई उसपर अपनी पहचान नही देता, अथवा एक वकील द्वारा अपनी पहचान साबित करने के लिए पहचान दिया जाता है।, इसके बाद नोटरी पब्लीक उसपर अपने समक्ष ॲफिडेव्हीट पर हस्ताक्षर किये एसे एलान करके उसपर अपने स्टँम्प लगवाकर हस्ताक्षर करते है। और एक विशिष्ट ऐसी सील उस ॲफिडेव्हीट को लगवाया जाता है। जिस्से उस ॲफिडेव्हीट को वैध माना जाता है।
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ॲफिडेव्हीट बनवाले वाले व्यक्ती से यह अपेक्षा की जाती है कि, उसे अपने ॲफिडेव्हीट मे जो कुछ भी लिखा गया है, उसका पुरा गहन ज्ञान होना चाहिए। अब, जब किसी अनपढ़ व्यक्ति के लिए ॲफिडेव्हीट बनाने का समय आता है, तो उसे जिस भीषा की समझ है, तो उसे उस भाषामे समझाकर बतानेवाले व्यक्तीकी भी हलकनामेपर हस्ताक्षर करना जरूरी होता है। ऐसा करने से विवाद की कोई गुंजाइश नहीं रहती। इसके अलावा, भले ही कोई व्यक्ति साक्षर हो और उसे अपनी मातृभाषा के अलावा किसी अन्य भाषा में ॲफिडेव्हीट बनाने का समय आया हो, तब यह सलाह दी जाती है कि, जो लोग उसे अपनी मातृभाषा में समझाते हैं उनकेभी हस्ताक्षर उस ॲफिडेव्हीट पर होना जरुरी है। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति की मातृभाषा हिंदी है और किसी कारण से उसे अंग्रेजी में ॲफिडेव्हीट देना होता है और भले ही वह अंग्रेजी नहीं समझता हो, तो उसे ॲफिडेव्हीट समझाया जाता है। ऐसे स्थिती मे समझा कर बतानेवाला और पहचान देने वाले व्यक्ति ने ॲफिडेव्हीट पर अपनी पहचान दिया और मातृभाषा में बताया हैं ऐसा अथवा अंग्रेजी मे जैसे “आयडेंटिफाय बाय मी अँड एक्सप्लेन इन हिंदी” इस तरह लिखकर हस्ताक्षर करना चाहिए। इसके अलावा, यदि पहचान देनेवाला और समझा कर बतानेवाला व्यक्ति एक वकील है, तो वह अपना हुद्दा लिखता है और इसके तहत, उस व्यक्ति का पूरा पता लिखता है। ॲफिडेव्हीट बनाते समय यदी लिखे हुवे स्टेटमेंट मे कही कुछ गलती हो गई हो तो उसको सुधार ना हो अथवा किसी स्टेटमेंट को मिटाना हो, तो उस जगाह पर ॲफिडेव्हीट लिखकर देने वाले व्यक्ती के छोटे हस्ताक्षर, जिसे अंग्रेजी में 'इनिशियल' कहा जाता है, वह लिया जाना चाहिए। कईबार नोटरी पब्लिक भी उस इनिशियल के साथ भी खुदका हस्ताक्षर करते है।
अभी हमने देखा के, ॲफिडेव्हीट को कितने रूपये के स्टैम्प पेपर पर बनाना चाहिए, और किसके सामने उसपर हस्ताक्षर करना चाहिए। आदी जानकारी हासील की है।
अभी हमे इसके अलावा, ॲफिडेव्हीट कैसे लिखा जाता है, इसका उपयोग कहा किया जाता है? इसमें किस तरह की भाषा को शामिल किया जाना चाहिए, यह जानना जरूरी है।
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ॲफिडेव्हीट कहाँ कहाँ ईस्तेमाल किया जाता है यह देखाजाए, तो जहां दस्तावेज और कागजाद प्रदान करना संभव नहीं है। वहां ॲफिडेव्हीट का उपयोग करने का निर्णय लिया जाता है, और ॲफिडेव्हीट दिया जाता है। ईसलिए यह कहना लगभग असंभव है के, ॲफिडेव्हीट का उपयोग कब किया जाता है। लेकिन ॲफिडेव्हीट अक्सर हमारे दैनंदीन जिवन के लिए भी उपयोगी होता है। और तो यह बात सच है के जब अदालत में मुकदमेबाजी की बात आती है, तो पार्टी को अक्सर ॲफिडेव्हीट दाखिल करना पड़ता है। कई बार हमने अखबारों में भी पढ़ते है और न्यूज चॅनल पर सुनते है के, आज किसी एक राज्य सरकार ने कोर्ट में ॲफिडेव्हीट दाखिल किया है। और किसी एक व्यक्ती को अथवा पक्ष को कोर्ट ने ॲफिडेव्हीट दाखिल करने के लिए कुछ समय की अवधि दी। इन सभी बतोसे हमें यह एहसास होगा कि राज्य सरकार, केंद्र सरकार, एक संस्थान, व्यक्ति, आदि सभी को कहीं न कहीं एक मर्तबा ॲफिडेव्हीट का उपयोग करना पडा है। ईसमे कोई शक नही है के, ॲफिडेव्हीट के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना असंभव है। लेकिन, एक आम आदमी को अपने दैनंदीन व्यावहार मे ॲफिडेव्हीट कितना उपयोगी है यह देखते है।
एक आम आदमी को अपने दैनंदीन व्यावहार मे ॲफिडेव्हीट का उपयोग इस प्रकार है: -
- किसी व्यक्ती के राशन कार्ड पर किसी एक सदश्यक का नाम गलत लिखा गया हो तो उसे ठीक करने के लिए।
- यदि किसीका स्कूल प्रमाण पत्र खो गया हो, तो उसे फिरसे वापस प्राप्त करने के लिये।
- छोटे व्यापारीयो को याने उदा. शिलाई का काम करने वाले व्यापारी, कोई बिगडी वस्तूवो को बनाने वाले व्यापारी ईन छोटे व्यापार के मालिकों के लिए अपने उत्पंन्न की घोषणा करते समय।
- मृतक व्यक्ती के उत्तराधिकारियों की निर्धारण के बारे में।
- मृतक व्यक्ती का बैंक खाते से पैसा प्राप्त करने के लिये।
- जमीन के अधिकारों के बारे में, कब्जे आदि से संबंधित किसी चीज की घोषणा करने के बारेमे।
- यदी कोई एक महत्वपूर्ण रसीद गुम होने की स्थिति में।
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- अदालती कार्यवाही में प्रस्तुत शपथ पत्र और
- दैनिक जीवन में विभिन्न प्राधिकरणों और अधिकारीयो के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए तैयार किए गए ॲफिडेव्हीट।
ॲफिडेव्हीट के बारेमे जरूरी बाते-
- ॲफिडेव्हीट करनेवाले व्यक्ती का पूरा नाम, उम्र, पता, धर्म का उल्लेख करना बहोत जरूरी होता है। वह भारतीय होने के साथ-साथ विवाहित अथवा अविवाहित होने का उल्लेख करना बेहतर होगा। बेशक, नाम, पता, उम्र आदि के अलावा किसी और चीज को देखने का कोई कानूनी दायित्व नहीं है। लेकिन, उनका उल्लेख होना, यह बहुत कुछ बातो को समझाता है। आइये, इस बात को एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते है, यदि कोइ व्यक्ती हिंदू है अथवा मुसलमान यह उल्लेख अगर उस व्यक्ती के ॲफिडेव्हीट मे किया जाता है, तब हम कौनसे व्यक्ती को, कौन सा व्यक्तिगत कानून उसके लिए उपयोगी होगा यह आसानी से तय कर सकते हैं। किसी के व्यवसाय, नौकरी आदि का उल्लेख उस व्यक्ती के इनकम बताने के लिए किया जा सकता है। उसीके साथ एक महिला के मामले में, वह उसके ॲफिडेव्हीट मे वह विवाहित अथवा विधवा होने का भी उल्लेख करती है। तो बहोत कुछ चीजें जल्दी स्पष्ट हो जाती हैं।
- इसके अलावा कुछ ॲफिडेव्हीट मे, इनके बेटे, इनकी पत्नी या सन ऑफ सो अँड सो या वाइफ ऑफ सो अँड सो एसा भी उल्लेख किया जाता है। अब सवाल यह उठता है कि, जो हमारा जैसा सीधा नाम है, उनके लिए इसका क्या उपयोग है। क्योंकि हमारे देश के कानून मे अपने नाम के साथ अपने पिता / पति और फिर अंतिम नाम रखने का रिवाज है। लेकिन, अगर आप इसके बारे में और भी गहराई के साथ सोचते हैं, तो यह बात सामने आएगी के दक्षिण भारतीयों के मामले में विशेष रूप से उपयोग मे आता है, कई बार उनके गांव का नाम पहले रखा जाता है। फिर पिता या पति का सही नाम, जिस्से यह तय करना बहुत सुविधाजनक है।
- इसके अलावा, ॲफिडेव्हीट मे स्थान और तारीख होना बहुत जरूरी है। ॲफिडेव्हीट के अंत में अक्सर स्थान और तारीख का उल्लेख किया जाता है। अक्सर ॲफिडेव्हीट देने वाला व्यक्ति एक स्थान पर रहता है और दूसरी स्थान पर ॲफिडेव्हीट तैयार करता है। इसलिए उपरोक्त दोनों बातो का उल्लेख महत्वपूर्ण हैं।
- इसके अलावा, मैं ॲफिडेव्हीट के अंदर ‘मै कसम खाता हूं’ या अंग्रेजी में 'सॉलमनली अफर्म' इस तरह के शब्दो का प्रयोग किया हूवा दिखाई देना चाहिए। इसके अलावा मध्य भाग में, किस विषय के लिए ॲफिडेव्हीट तैयार किया जा रहा है, उसका संपूर्ण रूप से उल्लेख करना आवश्यक है। यदी स्टैंप पेपर के बाद और भी लिखना बाकी है, तो इसके लिए ग्रीन लेजर पेपर का इस्तेमाल किया जाता है। ॲफिडेव्हीट लिखे हुवे स्टेटमंट को धारक द्वारा सुनिश्चित करना चाहिए कि ॲफिडेव्हीट जो लिखा है वह सत्य है। और यह बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक झुटा ॲफिडेव्हीट प्रस्तुत करना एक अपराध है।
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