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समझौता ज्ञापन क्या है | What is Memorandum of Understanding

समझौता ज्ञापन क्या है | What is Memorandum of Understanding

Photo by Karolina Grabowska from Pexels

परिचय

इसे अंग्रेजी में Memorandum of Understanding कहा जाता है। आज हम इल समझौता ज्ञापन को कैसे लिखेंते है। इसके लिए हमें क्या करना चाहिए। इसमें कौन-कौन सी बातोंको शामिल करना चाहिए। इन सभी बातो के विवरणों को देखें। समझौता ज्ञापन या जिसे अंग्रेजी में डीड ऑफ अंडरस्टैंडिंग कहा जाता है, यह सरकार द्वारा निर्धारित किए गए मुल्य के स्टांप पर बनाया जाता है।


यह समझौता ज्ञापन एक तरह का करारनामा होता है! करारनामे से ईसमे कुछ बाते अलग  होती है। यानी इस तरह के करारनामे में सभी पक्षों के बीच एक तरह का समझौता होता है। इस करार इसमें मुआवजे के मुद्दे को महत्वपूर्ण माना गया है। लेकिन इस तरह के समझौता ज्ञापन में मुआवजे या शर्तों को शामिल करना जरूरी नहीं। जबकि करारनामा को अक्सर बनाना पड़ता है, लेकिन समझौता ज्ञापन को शायद ही कभी किए जाते हैं। इसतरह दोनों के बीच कुछ अंतर हैं। लेकिन, इनमे कई समानताएं भी हैं। जैसे समझौता ज्ञापन को रजिस्ट्रार के पास भी रजिस्टर किया जा सकता है, अथवा फिर किसी नोटरी पब्लिक द्वारा नोटराईजड भी किया जा सकता है। समझौता ज्ञापन को एक विशिष्ट परिस्थिति में बनाया जाता है। इसलिए, इसका महत्व उस विशेष महत्व उस विशिष्ट परिस्थिति तक ही सीमित है।


अब हम एक उदाहरण के साथ इस बात को समझते हैं के समझौता ज्ञापन कब और कैसे बनाते हैं। मान लीजिए किसी व्यक्ति के तीन बच्चे हैं। उस व्यक्ति ने अपनी एक इच्छा व्यक्त की है और उसके मृत्यू के बाद, इसे लागू करना होगा। यदि ऐसा है तो इसका कार्यान्वयन कानून द्वारा बाध्यकारी नहीं है। तब बाद में कुछ समस्याएं उत्पन्न न हों इसलिये सभी बच्चे एक दूसरे के साथ मिलकर एक समझौता ज्ञापन बना सकते हैं। और आगे कोई विवाद उत्पंन्न नहीं होगा एसे प्रावधान बनवाकर रख सकते हैं। यदि दो लोग मे किसी लेनदेन का हल नही निकला हो जैसे किसी कुएं का पानी कैसे बटवारा करते हैं, तो एसे जगहों पर भी एक समझौता ज्ञापन बनाया जाता है। 


एक समझौता ज्ञापन बनवाने का फायदा यह है कि,यह भविष्य मे आनेवाले विवादों से बचा जाता है। कामो के विभाजन अथवा बटवारा निर्धारित करने से विवाद नहीं होते हैं। और इस प्रकार आगे मुकदमेबाजी से बचा जाता है। आइए अब देखते हैं कि समझौता ज्ञापन में किन महत्वपूर्ण बातों को शामिल किया जाना चाहिए ।


समझौता ज्ञापन करते समय, समझौता ज्ञापन मे शामिल पार्टियों के संबंध में निम्नलिखित बातोंको शामिल करना चाहिए: -


  1. पार्टियों के पूर्ण नाम,
  2. पार्टीयोंके, धर्म, विवाहित, अविवाहित आदिका उल्लेख
  3. पार्टियोंके पूर्ण पते और उनकी उम्र,
  4. पार्टीयोंका व्यवसाय,
  5. यदि पार्टियों के पते अलावा अन्य जगहों पर समझौता ज्ञापन तैयार किया जा रहा है तो उनके गाँव के नाम और पते 
  6. समझौते की तारीख, वार, समय आदि का विवरण।


ये तो हुई कानूनी बुनियादी बातें। इस समझौता ज्ञापन के तथ्यों के तहत निम्नलिखित मुद्दोको शामिल होना चाहिए, त्या गोष्टी पुढीलप्रमाणे:-

1) समझौता करने की पात्रता: -

समझौता ज्ञापन जिन पक्षो के बिच होता है। उनमे ही समझौता होना चाहिए। उसके कारण। उदाहरण के लिए, चूंकि समझौते मे सभी पक्ष भाई-बहन होते हैं, अगर वे अपने पिता की इच्छा के लिए कोई समझौता करते हैं, तो वारिस के रूप में, हम सभी समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।

2) समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के कारण: -

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि समझौते को क्यो करना चाहिए इस का कारण स्पष्ट होना चाहिए। क्योंके इससे, समझौता ज्ञापन का उद्देश्य तुरंत और स्पष्ट समझमे आएगा।


3) समझौता ज्ञापन करने के लिए परिस्थिती:- 

इसमें उन परिस्थितियों का उल्लेख करना चाहिए जिनके तहत पार्टियो के बिचमे समझौता ज्ञापन बनवा रही हैं। क्योंकि समय और स्थिति भी महत्वपूर्ण है।

4) कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी: -

समझौता ज्ञापन के संबंध में जो भी कोई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी हो तो वह जानकारी इस समझौता ज्ञापन मे उल्लेखित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए: - कोई जमिन होगी, अथवा एक पंजीकृत समझौता होगा, उनका इसमें पूरा विवरण अथवा कोई घटना होगा तो इसका पूरा विवरण यहाँ दिया जाना चाहिए।


समझौते के महत्वपूर्ण बिंदुओं में निम्नलिखित शामिल होना चाहिए।
(1) यदि समझौता नियमों और शर्तों पर है, तो उन नियमों और शर्तों को स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए।
(२) यदि समझौते की अवधि है, तो यह स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए।
(3) समझौता ज्ञापन में पार्टियों के दायित्वों को स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए।
(४) यदि कोई व्यक्ति समझौते को लागू करने जा रहा है, तो इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।

अन्य महत्वपूर्ण बातें: -
(1) समझौता ज्ञापन में एक मध्यस्थता खंड (आर्बिट्रेशन क्लोज) होना चाहिए
(२) समझौते में क्षेत्राधिकार (ज्यूरिडिक्शन) का क्लोज हो तो बेहतर होता है।
(३) दोनों पक्षों के हस्ताक्षर उनके पते के साथ होना बेहतर है।

इन सब बातों से, समझौता का उपयोग करने का प्रश्न पहले हल किया जाएगा।





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