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Relinquishment Deed in Hindi | हक-त्याग पत्र | Release Deed

Relinquishment Deed in Hindi | हक-त्याग पत्र | Release Deed

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परिचय

हक-त्याग पत्र को अंग्रेजी में  Relinquishment Deed कहा जाता है। कई मामलों में, एसा भी देखा जाता है की, कोई शक्स अपने मिले हुवे अधिकारो का प्रयोग नहीं करता है। कितनी बार, वह अपने खुदसे अपना हक्क और अधिकार छोड़ देता है। तब उस समय क्या करना चाहिए यह बात बहोतसे लोगोको कुछ समझमे नही आता। हक-त्याग पत्र पर विचार करने से पहले, किस तरह के अधिकारो को छोडने के लिये इस तरह के हक-त्याग पत्र को बनाने कि आवशक्ता होती है,  आइए सर्व प्रथम इस बात को समझने की कोशीश करते है। यदि आप किसी दूसरे व्यक्ती को कोई एक वस्तू दे देते हैं, तो उस वस्तू में से आपका अधिकार खुदबखूद ही खतम हो जाते हैं। आइए ईस बात को एक उदाहरण के साथ समझते है। यदि आप अपने घड़ी, पेन और अन्य सामान अपने भाई या रिश्तेदार को देते हैं, तो उन घड़ी, पेन या अन्य वस्तुओं का उपयोग करने का आपका अधिकार स्वचालित रूप से खतम हो जाता है। सामान्य तौर पर, जिस वस्तू कब्ज़ा दूसरे को दिया जाता है, उस वस्तू को उसे सौंपने के बाद पूर्व व्यक्ती का अधिकार खुदबखूद ही समाप्त हो जाता है। इसकेलिये कोई अलग दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, अचल संपत्ति के संबंध में उत्पन्न होने वाले ऐसे अधिकारों को त्यागने के लिए, आपको हक-त्याग पत्र बनाना आवश्यक होता है। वह अधिकार कौन-कौन से है। और उन अधिकारोको त्याग करने का समय कब आता है। यह बात समझने के लिए, आइए कुछ उदाहरण देखेंते है।


Relinquishment Deed / हक-त्याग पत्र देने का समय कब है?

  1. हिंदू सक्शेशन एक्ट 1956 के अनुसार,माता-पिता की संपत्ति पर, लडकोकी तरह लड़कियों का भी समान अधिकार हैं। लेकिन, कई बार जब लड़कियां ससुराल जाती हैं, तब वे ऐसे अपने माता-पिता के संपत्ति पर का जो उनका अधिकार है वे हक्क त्याग देती हैं। यदि एसे हालत मे अचल संपत्ति के लिए अपने अधिकारों को त्यागना चाहते हैं, तो एसे परिस्थिती मे हक-त्याग पत्र करना आवश्यक होता है।
  2. कभी-कभी, जब कोई, एकत्र हिंदू परिवार (Hindu Joint Family) का सदश्य अपना अधिकार छोड़ देता है, तो यह हक्क त्यागपत्र तैयार करना पड़ता है। मान लीजिए, किसी व्यक्ति के चार बेटे हैं। उनमें से एक बेटे ने अपने एकत्र हिंदू परिवार से बाहर रहकर अपनी पढाई पुरी की और नौकरी हासिल की, साथही अपने दम पर खड़ा हो गया। एसे स्थिती मे जो उसको एकत्र हिंदू परिवार का सदश्य होने के नाते घर की संपत्ति का हकदार होता है, और जो उसको हिस्सा मिलता है, वह उस अधिकार को या उसके हिस्से को त्यागना चाहता है। उस समय उपरोक्त हक-त्याग पत्र करना आवश्यक होता है। 
  3. बेनामी व्यवहार में भी इस तरह का हक-त्याग पत्र देना आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति नौकरी के लिए विदेश में रह रहा है। वह अपने देश में कुछ संपत्ति खरीदना चाहता है। तब उसके लिए उसके भाई ने खुदके नाम पर संपत्ती खरिदकर देने के लिए कुछ लेनदेन किया है। क्योंकि, विदेश में रहने वाला व्यक्ति लेनदेन के व्यावहार मे मौजूद नहीं हो सकता। तब उसके भाई को जो अधिकार प्राप्त होते है, वह छोड़ने के लिए इस तरह के हक-त्यागपत्र जैसे दस्तावेज बनाने होंगे।



उपरोक्त चर्चा से, सर्वसाधारण तरिके से, आपको किस समय हक-त्यागपत्र बनाया जाना आवश्यक है? यह आप समझगये होंगे। आइये देखते हैं कि हक-त्याग पत्र बनाते समय किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यानमे रखना चाहिए। 


इन बातों को देखने से पहले एक बात को स्पष्ट करना चाहता हूं के, इस तरह के हक-त्याग पत्र में कोईभी, किसीभी तरह का मुआवजा नहीं लिया जाता है। अन्यथा, विक्री विलेख और हक-त्याग पत्र में कोई अंतर नहीं रेहता। क्योकी, विक्री विलेख मे मुआवजे का भुगतान किया जाता है। लेकिन हक-त्याग पत्र में, खुशी से हक्क छोडा गया होता हैं। इन महत्वपूर्ण अंतरों को हमे ध्यान में रखना चाहिए।


हक-त्याग पत्र बनाते समय ध्यान रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखीत दी गई हैं:-

1) हक-त्याग पत्र पर स्टांप लगाने से संबंधित प्रावधान:- 

स्टांप अधिनियम में संशोधन को ध्यान में रखते हुए, जितने किमत के अथवा रक्कम के अचल संपत्ती का अधिकार छोडा है, उतने स्टैंप पेपर पर हक्क त्यागपत्र करना होगा।

2) पंजीकरण/रजिस्ट्रशन और संबंधित जानकारी: -

जिस वस्तु पर का हक्क छोडना है यदि इसका मूल्य एक ____/- रुपये से अधिक है, तो इस तरह के वस्तु के संबंध में रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। अपंजीकृत दस्तावेजों को कानूनी कानून की नजर मे कोई अहमियत नही है। एसे मामलो में, संपत्ती को एक अचल संपत्ती माना गया है।


3) अन्य महत्वपूर्ण बातें: -

हक-त्यागपत्र बनवाते समय, निम्नलिखित बातो का उल्लेख किया जाना चाहिए। साथही उन महत्वपुर्ण बातो को भी ध्यान मे रखाना चाहिए। आइए, वे महत्वपुर्ण बाते क्या है वे देखते हैं।

  1. हक-त्यागपत्र बनाने वालेको यह हक्क कैसे मिला? इस का विशलेशण हक-त्यागपत्र मे स्पस्ट रुपसे उल्लख  किया जाना चाहिए। उस संबंध मे वाक्य संरचना स्पष्ट लिखा होना जाना चाहिए। उनमे दो अर्थ वाले वाक्य रचना नहीं निकलने चाहिए।

  2. जिस वस्तूपरका हक्क छोडना है, उस वस्तू का संपुर्ण वर्णन हक-त्यागपत्र मे आना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आप जमीन जैसे संपत्ती का अपना अधिकार छोड़ देना चाहते हैं, तो इसमें पहले जमीन, क्षेत्र, स्थानीय नाम, सर्वेक्षण संख्या, उप-शेयर संख्या, तालुका जिले के सभी विवरण शामिल होने चाहिए। 

  3. अपने अधिकार छोडने के कारणों को स्पष्ट रूप से हक-त्यागपत्र में बताया जाना चाहिए। उसमे कोई दुसरा मतलब नही होना चाहिए।

  4. हक्कसोडपत्र मे लिखे गयी भाषा स्पस्ट और आसान शब्दोमे लिखा हुवा होना चाहीए। भाषा में कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए। साथ ही उनमे निकलनेवाला अर्थ स्पष्ट होना चाहिए। यानी इससे भविष्य मे कोई वाद-विवाद उत्पन्न नहीं होंगे।

  5. हक्क-त्यागपत्र दो गवाहो के समक्ष होना चाहिए, और हक्क-त्यागपत्र पर उन गवाहो के हस्ताक्षर होना आवश्यक है। यदी, एक महिला अपने मैके के संपत्ती से हक्क-त्याग करना चाहती है, तो हक्क-त्यागपत्र पर उस महिला के पती के अथवा उसके बडे बेटे के हस्ताक्षर लेना बहोतही फायदेमंद होगा।

इसके अलावा, हक-त्यागपत्र करने वाला व्यक्ति सक्षम होना चाहिए। किसी के दबाव में आकर उसने यह दस्तावेज नहीं किये होना चाहिए। हक-त्यागपत्र करने वाले व्यक्ति को जानकार होना चाहिए और कानून द्वारा पागल या अयोग्य घोषित नहीं होना चाहिए। याने वह पागल अथवा नाबालीग नही होना चाहीए।


हक-त्याग पत्र के कितने प्रकार होते है?


वास्तव में, तीन प्रकार के हक-त्यागपत्र होते हैं। जिनका जादातर लेनदेन में व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं। वे इस प्रकार है

1) अपने अधिकारों को स्वेच्छा से त्यागने का हक-त्यागपत्र: -
इसमें बेनामी लेन-देन आदि से संबंधित अधिकारों को छोड़ दिया जाता है। यहापर ध्यान मे रखने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि अब कानून में संशोधन के अनुसार बेनामी लेनदेन को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है।


2) एक संयुक्त हिंदू परिवार में एक शेयरधारक द्वारा किया गया हक्कत्यागपत्र: -
यदि कोई भाई या वह व्यक्ति जो नौकरी या व्यवसाय करके किसी विदेशी देश में बस गया है, तो वह अपना अधिकार छोड़ना चाहता है, इसमें अधिकारो को छोड़ने का कार्य भी शामिल है।

3) संयुक्त अथवा हिंदू एकत्र परिवार के भाईयो के हित के लिए बहन द्वारा किया गया हक्कत्यागपत्र: -
इसमें विवाहित लड़कियों को अपने मैके के संपत्ती से उनके अधिकारों को त्याग करने के बारेमे ईस दस्तावेज बताया गया है।

यह माना जाता है कि उपरोक्त चर्चा यह हमारे पाठकोको हक्कत्यागपत्र कैसे बनाया जाता है, ईसके बारेमे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी।


कुछ हक्कत्यागपत्र के नमुने जो हमारे कामकाज मे मदत करते है वे निम्नलिखीत हैः-

नोट:- एसेही कानूनी जानकारी हिंदी मे पाने के लिए हमारे टेलिग्राम चैनल Law Knowledge in Hindi को Join करे।


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