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गुजारा भत्ता कानून और गुजारा भत्ता देने के नियम | गुजारा भत्ता समाप्त करना | | Maintenance in Hindi

गुजारा भत्ता कानून और गुजारा भत्ता देने के नियम | गुजारा भत्ता समाप्त करना | | Maintenance in Hindi

Photo by Karolina Grabowska from Pexels



परिचय

    अगर हम इसे हिंदू विवाह अधिनियम के दृष्टिकोण से देखें, तो इसके प्रावधान धारा 24 और 25 में दिए गए हैं। अदालत धारा 24 के तहत कार्यवाही में शामिल सभी कारकों पर विचार करने के बाद, हर महीने उचित गुजारा भत्ता का आदेश दे सकती है। अदालत मामले के परिणाम पर इस तरह के गुजारा भत्ता के भुगतान का भी आदेश दे सकती है। ऐसा आदेश करते समय पति की वित्तीय स्थिति और अन्य कारकों को ध्यान में रखा जाएगा। यदि समय अनुमति देता है, तो अदालत संपत्ति पर बोझ का आदेश भी दे सकती है। 

    अदालत धारा 25 (2) के तहत बनाए गए या दिए गए ऐसे गुजारा भत्ते के आदेश पर पुनर्विचार कर सकती है। बेशक यह उस समय की स्थिति पर निर्भर करेगा। परिस्थितियों के आधार पर, अदालत गुजारा भत्ता राशि में वृद्धि, कमी या रद्द कर सकती है।


    यदि अदालत निम्नलिखित के बारे में आश्वस्त है, तो अदालत आंशिक रूप से या पर्याप्त संशोधन/बदलाव कर सकती है या बाद में अगले आदेश को निरस्त कर सकती है, वे इस प्रकार हैं:-

  1. जिसके लिए गुजारा भत्ता का आदेश दिया गया है, अगर वह दोबारा शादी करती है।
  2. यदि पत्नी के लिए गुजारा भत्ता का आदेश दिया गया है, यदि उसने अपने पति के अलावा  किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध किया है।
  3. यदि पति के लाभ के लिए गुजारा भत्ता का आदेश दिया गया है, यदि वह अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला के साथ संबंध करता है।

    धारा 26 के अनुसार, अदालत बच्चों की इच्छा को देखते हुए कोई भी अस्थायी आदेश दे सकती है।  साथ ही, धारा 27 के अनुसार, अदालत परिस्थितियों के अनुसार विवाह के समय प्रस्तुत की गई किसी भी संपत्ति के संबंध में अलग-अलग आदेश जारी कर सकती है।हमने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इन सभी प्रावधानों को देखा। आइए अब हम अतिरिक्त प्रावधानों को देखें।


गुजारा भत्ता कानून :-

        इससे पहले, केवल सिविल कोर्ट के भीतर से गुजारा भत्ता के आदेश प्राप्त करने थे, लेकिन अब अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है उदाहरण के लिए, विकलांग माता-पिता, पत्नी, अज्ञानी विकलांग बच्चों के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 से 128 तहद ज्यूडिशियल मॅजिस्ट्रेट फर्ट क्लास के न्यायाधिश गुजारा भत्ता का आदेश दे सकते हैं। साथ हि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनीयम 2005 न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत में आवेदन करके धारा 12 के अनुसार , पत्नी को पति से गुजारा भत्ता मांगने का भी प्रावधान है। इसमें, पत्नी अपने पति को होने वाली असुविधा के लिए मुआवजे की मांग कर सकती है, जिसमें शादी में दिया जाने वाला गुजारा भत्ता, घरेलू सामान, सोने का सामान और गहने शामिल हैं, साथ ही शादी में होने वाला खर्च भी शामिल है। 


गुजारा भत्ता देने के नियम :-

    अब इस तरह का गुजारा भत्ता पत्नी, विकलांग बच्चों, अज्ञानी बच्चों या माता-पिता को दिया जा सकता है। लेकिन उनकी स्थिति इस प्रकार हैः-
  1. उनके पास आजीविका के अन्य साधन उपलब्ध नहीं होने चाहिए। उदाहरण के लिए, एक पत्नी जो पैसा नहीं कमाती है।
  2. यदि उनके बच्चे हैं, तो वे अज्ञानी हो सकते हैं या शारीरिक रूप से स्वयं का समर्थन करने में असमर्थ हो सकते हैं।
  3. यहां तक कि अगर उनके माता-पिता हैं, तो वे स्वयं का समर्थन करने में असमर्थ होना चाहिए।

    इस प्रकार, जब गुजारा भत्ता का आदेश दिया जाता है, तो एक निश्चित राशि प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा तय की जा सकती है। मजिस्ट्रेट स्वयं जाँच करेगें कि आदेश जारी करते समय उपरोक्त शर्तें पूरी हुई हैं या नहीं। जीस व्यक्ती के खिलाफ आदेश जारी किया गया हो, यदि वह व्यक्ती आदेश का पालन करने में विफल हो जाये तो  आदेश का पालन नकरने के परिणामस्वरूप दंडनिय कारावास हो सकता है। आइए देखें कि हम इसके लिए कहां आवेदन कर सकते हैं। आप नीचे दिखाए गए स्थान पर गुजारा भत्ता के लिए आवेदन कर सकते हैं।


  1. जिस स्थान पर विवाह हुआ था, उस जगह के कोर्ट के अधिकारकक्ष में आवेदन कर सकते है।
  2. उस जगह के कोर्ट के अधिकारकक्ष में जहां आवेदक याने जिसे गुजारा भत्ता लेना है वह रहता है।
  3. अंत में, आवेदन उस क्षेत्र की अदालत में किया जा सकता है जहां आवेदक रहता है आखरी समय वे एक साथ रहते है।

    आपने देखा कि गुजारा भत्ता के लिए कहां आवेदन करना है। आइए अब जानते हैं कि इस आदेश को कब रद्द याने समाप्त किया जा सकता है।


गुजारा भत्ता समाप्त करना :-

     निम्नलिखित मामलों में गुजारा भत्ता आदेश रद्द समाप्त किया जा सकता है।:-

(१) यदि पत्नी व्यभिचारिणी है।
(२) यदि वह सही कारण के बिना अपने पति के साथ रहने से इंकार करती है।
(३) यदि पति-पत्नी स्वेच्छा से अलग हो जाते हैं, तो तलाक के लिए गुजारा भत्ता आदेश निम्नलिखित कारणों से रद्द किया जा सकता है।
(‌अ) यदि एक तलाकशुदा महिला पुनर्विवाह करती है।
(ब) यदि व्यक्तिगत कानून के अनुसार गुजरा भत्ता के आदेश से पहले अथवा बाद में कोई राशि प्राप्त होती है।
(क) यदि आदेश एक निर्दिष्ट अवधि के लिए है और यह समाप्त हो रहा है।
(ड) यदि तलाक की याचिका के समय वह स्वेच्छा से अपना अधिकार त्याग देती है।

 ईस्तरह के उपर दिए गये कारणो के वजाह से गुजारा भत्ता आदेश रद्द किया जा सकता है।

        पारसी कानून के अनुसार, गुजारा भत्ते का अधिकार दावे के समय और भुगतान के समय मान्यता प्राप्त है। इस कानून के अनुसार, पत्नी को लगभग 1/5 आय प्राप्त हो सकती है।

        ईसाई कानून के अनुसार, भारतीय तलाक अधिनियम 1936 पत्नी के गुजारा भत्ते के लिए लागू हो सकता है। सात प्रावधानों में से कई पारसी कानून के अनुसार हैं।

        मुस्लिम व्यक्ति के मामले में एक अलग पर्सनल लॉ है। विवाह से संबंधित सभी प्रावधान इसके प्रावधानों के अनुसार लागू किए गए हैं। हमने ऊपर हिंदू कानून के बारे में विस्तृत जानकारी देखी है।

        सन 2005 मे घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के नुसार कोई भी महिला जो घरेलू हिंसासे पिडीत है वह ज्यूडिशियल मॅजिस्ट्रेट फर्ट क्लास के कोर्ट मे धारा 12 के नुसार गुजारा भत्ता के लिये आवेदन कर सकती है।



        सामान्य तौर पर, उपरोक्त प्रावधान इस गुजारा भत्ता पर लागू होते हैं। तलाक के आवेदन जिला अदालतों में संसाधित किए जाते हैं, कुछ जिलों को छोड़कर जहां कोई पारिवारिक न्यायालय नहीं है। और जहां पारिवारिक न्यायालय हैं, उन्हें अंग्रेजी में फैमेली कोर्ट कहा जाता है।

        ईस्तरह ईस लेख मे हमने गुजारा भत्ता कानून के बारेमे जानकारी हासील कि है। और समझा के आवेदन कैसे किया जाता है


नोट:- एसेही कानूनी जानकारी हिंदी मे पाने के लिए हमारे टेलिग्राम चैनल Law Knowledge in Hindi को Join करे।


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